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Atul kushwah's Blog – January 2015 Archive (1)

मौत ने काटी फसल और जिंदगी बोती रही

रात में फुटपाथ पर इक बेबसी रोती रही,

लोग तो जागे मगर संवेदना सोती रही,

शाम होते ही जमीं पर तीरगी छाने लगी,

आसमानों में सुबह तक रोशनी होती रही,

याद की चादर वो अपने आंसुओं की धार से,

दर्द की कालिख मिटाने के लिए धोती रही,

किसलिए इतनी मशक्कत, जब उसे पीना नहीं

शहद मधुमक्खी न जाने किसलिए ढोती रही

ऐ खुदा तेरी खुदाई का सबब ये भी मिला,

मौत ने काटी फसल और जिंदगी बोती रही।।

.

(अतुल)

मौलिक व…

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Added by atul kushwah on January 25, 2015 at 7:30pm — 23 Comments

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