For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sumit Naithani
  • Male
  • Dehradun
  • India
Share on Facebook MySpace

Sumit Naithani's Friends

  • गिरिराज भंडारी
  • Vasundhara pandey
  • D P Mathur
  • जितेन्द्र पस्टारिया
  • Priyanka singh
  • vijayashree
  • Kusum Thakur
  • डॉ नूतन डिमरी गैरोला
  • Savitri Rathore
  • Vindu Babu
  • shashi purwar
  • बृजेश नीरज
  • वेदिका
  • vijay nikore
  • आशीष नैथानी 'सलिल'

Sumit Naithani's Groups

 

Sumit Naithani's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Noida
Native Place
Dehradun
Profession
Student
About me
लेखन की दुनिया में नया, और सिखना चाहता हूँ बहुत कुछ....

Sumit Naithani's Blog

एक खबर यह भी (लघु कथा )

सुबह सुबह न्यूज़ पेपर पढ़ रहा था , कही पर चोरी की वारदात, कही रेप केस , तो कही हत्या। । आखिरी के पन्नो पर खेल समाचार …और  होता ही क्या है एक न्यूज़ पेपर के अंदर …और जाने कितनी  समाज सुधारक बातें मन में विचरण करने लगी। । कल्पनाओं   के समुंदर में गोते लगाने के बजाए मैं ऑफिस के लिए तैयार होने लगा। ….
.
घर से बाहर निकला ही था, कि मेरी नज़र एक कबाड़ बीनने वाले बच्चे पर गयी, जो सामने लगे विज्ञापन बोर्ड को बड़े ध्यान से देख रहा था…. आखिर वो क्या देख…
Continue

Posted on September 3, 2013 at 9:00am — 24 Comments

कागज़ी आज़ादी

एक बार फिर दिल से, गुस्ताखी माफ़ अगर लगे दिल पे 

 .

आज कल हर कोई  स्वतंत्रता दिवस के रंग में रंगा है, ऐसे में मेरे मन में कुछ विचार आये है ... जो शायद  क्रांति नहीं ला सकते और न ही उनमे कोई बोद्धिकता है | फिर भी लिख रहा हूँ और आप सबके साथ साँझा कर रहा हूँ ....

 .

बात तब की है, जब मैं बचपने की गोद में खेला करता था, दूरदर्शन पर  स्वतंत्रता दिवस के दिन मनोज कुमार की शहीद दिखाई गयी, फिल्म इतनी अच्छी लगी कि मुझे भारत माँ के  सबसे महान और वीर बेटे  भगत सिंह ही नज़र आने…

Continue

Posted on August 14, 2013 at 6:00pm — 12 Comments

गरीब की भूख

आज सुबह मेरे दोस्त ने मुझे फोन किया  और कहा की आज एक विषय पर कहानी लिखो -गरीब की भूख , मुझे थोड़ी हैरानी हुयी, "ये क्या ! आज ये क्या विषय दे दिया 'गरीब की भूख ', ये तो निबन्ध लिखने का विषय है, इस पर कहानी कैसे लिखी जा सकती है "...थोडा विरोध था मन में, मगर जाने क्या हुआ, मैंने सोचा "चलो रहने देते है, देखते है, आज अपनी प्रतिभा को भी आजमाते है .... 
.
उसके बाद मैं अपने कार्यालय के लिये चल पड़ा, मगर आज मन बेचैन था, आखिर गरीब की भूख पर कोई कहानी…
Continue

Posted on July 31, 2013 at 4:00pm — 10 Comments

ऐ प्रकृति तू धर शरीर

ऐ प्रकृति तू धर शरीर

ले जन्म किसी माँ की कोख से !!

.

जब तुझे लगेगी चोट

बहेगा लहू तेरे शरीर से

या बीच राह में कोई

दाग लगेगा आबरू पे कोई

जब जागेगा ये मानव कही

रक्षा को तेरी तभी

ऐ प्रकृति तू धर शरीर !!

.

वैसे तो कुछ दिनों का होगा जोश

मानव का मानव के लिए

मगर इस बहाने ऐ प्रकृति

तेरा ख्याल तो आयेगा

वरना ये शातिन प्राणी

अपने स्वार्थ के लिए

तुझको ही ये लूटता जायेगा

ऐ प्रकृति तू धर शरीर

ले…

Continue

Posted on July 12, 2013 at 9:30am — 10 Comments

Comment Wall (5 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 4:18pm on June 29, 2013, जितेन्द्र पस्टारिया said…
आदरणीय.. सुमित जी, "शुभकामनाऐं व स्नेह" आप के साथ है!
At 1:19pm on June 20, 2013, vijay nikore said…

आदरणीय सुमित जी:

आपने  मित्रता का हाथ बढ़ा कर मुझको मान दिया है।

धन्यवाद।

सादर,

विजय निकोर

At 7:45am on June 12, 2013, D P Mathur said…

आदरणीय सुमित जी आपका आभार । डी पी माथुर 

At 12:45pm on June 11, 2013, Vindu Babu said…
सुस्वागतम्
At 4:27pm on June 7, 2013, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

welcome ji 

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"ये दुनिया है दरिया उतर धीरे धीरे चला जा इधर से उधर धीरे धीरे वो नज़रें झुकाए अगर धीरे धीरे उतर ही न…"
32 minutes ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"निखर जायेंगे कम हुनर धीरे-धीरेअच्छा कहा अजेय जी         "
58 minutes ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नमस्कार आभार आपने ग़ज़ल पर चर्चा की।  पहुंचे नहीं पहुंचें लिखा है अर्थात पहुंचेंगे। फिर भी…"
1 hour ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण जी    "
1 hour ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जी "
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"बहा ले न जाए सँभल तेज़ धाराजहाँ उठ रहा है भँवर धीरे-धीरे।२। आपकी ही की बात और सरल शब्दों में तुझे…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"हुआ आदमी जानवर धीरे-धीरे   जहाँ हो गया चिड़ियाघर धीरे-धीरे  लगा मानने…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"गिरह के शेर में 'जहाँ जल्दबाज़ी में पहुँचे थे कल तुम' कहना सहज होता।  रदीफ़ क़ाफ़िया…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जहां हम मिले थे, जहां से चले थे चलो वापसी उस डगर धीरे धीरे कहन की पूर्णता के लिये वाक्य रचना की…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन।उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जहां हम मिले थे, जहां से चले थेचलो वापसी उस डगर धीरे धीरे एक प्रभावशाली गजल हुई है आ. पूनम जी।…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service