For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी'
Share on Facebook MySpace

संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी''s Friends

  • Sumit Naithani
  • केवल प्रसाद 'सत्यम'
  • बृजेश नीरज
  • Tushar Raj Rastogi
  • राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
  • Preeti
  • अरुन 'अनन्त'
  • deepti sharma
  • Roshni Dhir
  • डॉ. सूर्या बाली "सूरज"
  • दिव्या
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • RAJEEV KUMAR JHA
  • पियूष कुमार पंत
  • Chaatak

संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी''s Groups

 

संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी''s Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Varanasi, Uttar Pradesh
Native Place
Deoria, Uttar Pradesh
Profession
Freelancer
About me
Speak to me to know me.

संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी''s Photos

  • Add Photos
  • View All

संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी''s Videos

  • Add Videos
  • View All

संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी''s Blog

"यार दौलत फिर कमा ली जाएगी"- ग़ज़ल

बह्रे रमल मुसद्दस महज़ूफ़

2122/ 2122/ 212



जाँ तेरी ऐसे बचा ली जाएगी;

हर तमन्ना मार डाली जाएगी; ।।1।।



बंदरों के हाथ में है उस्तरा,

अब विरासत यूँ सँभाली जाएगी;।।2।।



इक नज़ूमी कह रहा है शर्तियः,

दिन मनव्वर रात काली जाएगी;।।3।।



जब सियासत ठान ली तो जान लो,

हर जगह इज़्ज़त उछाली जाएगी;।।4।।



कर के…

Continue

Posted on January 14, 2014 at 10:00am — 32 Comments

ग़ज़ल- बातें करें !

बह्रे रमल मुसम्मन महज़ूफ़

================

2122/ 2122/ 2122/ 212



हैं परे सिद्धांत से, आचार की बातें करें;

भोथरे जिनके सिरे हैं, धार की बातें करें;।।1।।



मछलियाँ तालाब की हैं, क्या पता सागर कहाँ?

पाठ जिनका है अधूरा, सार की बातें करें;।।2।।



उँगलियाँ थकने लगीं हैं, गिनतियाँ बढ़ने लगीं,

जब जहाँ मिल जाएँ, बस दो-चार की बातें करें;।।3।।



इन पे यूँ अपनी तिजारत का जुनूं तारी हुआ,

लाश के…

Continue

Posted on September 30, 2013 at 12:30pm — 11 Comments

ग़ज़ल - "सितारे देखिये जब शब सियाह हो जाए"

बह्रे मुज़ारे मुसम्मन मुरक़्क़ब मक़्बूज़ मख़्बून महज़ूफ़ो मक़्तुअ



1212/ 1122/ 1212/ 22

***********************

हमें अज़ीज़ मुजद्दिद की राह हो जाए;

नज़र में शैख़ की गर हो गुनाह हो जाए;…

Continue

Posted on June 3, 2013 at 8:30pm — 20 Comments

ग़ज़ल- "न पीपल की छाया, न पोखर दिखे!"

बह्रे मुतक़ारिब मुसम्मन महज़ूफ़

122/122/122/12

***********************

न पीपल की छाया, न पोखर दिखे;

मेरे गाँव के खेत बंजर दिखे; (1)

हैं शुअरा जहाँ में बड़े नामवर,…

Continue

Posted on April 5, 2013 at 2:00am — 14 Comments

Comment Wall (35 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 6:54pm on May 13, 2013, Roshni Dhir said…

धन्यवाद वाहिद जी ... आशा है की आप का मार्गदर्शन मिलता रहेगा ...आभार 

At 10:48pm on May 4, 2013, बृजेश नीरज said…

संदीप भाई आपका आभार!

At 2:11pm on December 16, 2012, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…
जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाए । प्रभु आपको देश,समाज,परिवार में अपना दायित्व
निभाते हुए और उंचाइयां प्रदान करने का साहस प्रदान करे । आपका और हमारा स्नेह बना रहे  
At 1:33pm on December 16, 2012, अरुन 'अनन्त' said…

संदीप जी जन्मदिवस की ढेरों शुभकामनाएं.....

At 12:36pm on October 3, 2012, Admin said…

प्रिय सदस्य / सदस्या

आप का पत्राचार का पता एवं नाम (चेक / ड्राफ्ट निर्गत करने हेतु ) अभी तक अप्राप्त है, जिसके कारण प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार राशि नहीं भेजा जा सका है, कृपया शीघ्र उक्त विवरण admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराये जिससे अग्रेतर कार्रवाही कि जा सके | ध्यान रहे मेल उसी इ-मेल आई डी से भेजे जिस आई डी से आपने अपना ओ बी ओ प्रोफाइल बनाया है |
सादर 
एडमिन 
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम 
At 5:27pm on July 11, 2012, Vinay Kull said…

आपका स्वागत है !

At 8:04pm on July 9, 2012, Albela Khatri said…

आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय संदीप द्विवेदी 'वाहिद' साहेब

At 11:59pm on July 5, 2012, SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR said…

प्रिय वाहिद भाई आप के व्यस्त लम्हे कुछ हम सब को खलते तो हैं ही ....शब्दों के अर्थ आप ने बताये अच्छा लगा ...आप की शुभकामनाओं और बधाई के लिए बहुत बहुत आभार अपना स्नेह बनाये रखें 

आभार 
भ्रमर 5 
भ्रमर का दर्द और दर्पण  
At 11:15am on May 6, 2012, RAJEEV KUMAR JHA said…

बहुत खूबसूरत गजल संदीप जी.सभी पंक्तियाँ काबिलेतारीफ़ हैं.

बात कानों में घुलती शहद की तरह,

रात ही रात में क्यूँ ज़हर हो गयी;

अब तलक तो खुदा को न सजदा किया,

ये दुआ मेरी कैसे असर हो गयी.

बहुत सुन्दर.

At 11:12am on May 6, 2012, RAJEEV KUMAR JHA said…

संदीप जी,महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर बधाई!

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
35 minutes ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
13 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service