For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

  

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.   

 

इस बार के आयोजन के लिए सहभागियों के अनुरोध पर अभी तक आम हो चले चलन से इतर रचना-कर्म हेतु एक विशेष छंद साझा किया जा रहा है। 

इस बार के दो छंद हैं -  रोला छंद   

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

20 अप्रैल’ 24 दिन शनिवार से

21 अप्रैल’ 24 दिन रविवार तक

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

रोला छंद के मूलभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

*********************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -

20 अप्रैल’ 24 दिन शनिवार से 21 अप्रैल’ 24 दिन रविवार तक

रचनाएँ तथा टिप्पणियाँ प्रस्तुत की जा सकती हैं। 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम  

Views: 250

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागत है

चित्रानुकूल रोला छंद में रचना
(1)
अपने कांधे बोझ, सदा लेकर चलता हूँ,
रोटी अपनी नित्य, स्वयं बेला करता हूँ।
दो हाथों के बीच, पेट अपना है प्यारे,
भरने अपना पेट, काम करता हूँ सारे।
(2)
रानी अपनी रूठ, गई मात पिता द्वारें,
अपना जीवन साथ, नहीं है किसी सहारे।
बेकार हुई रार, अकड़ अब निकली सारी,
करना तो था प्यार, कमी मुझ में थी भारी।
(3)
कैसे जाऊँ द्वार, उसे कैसे समझाऊँ,
उसके आगे शीश, झुकाने कैसे जाऊँ।
इस कारण ही सोच, नहीं पाया हूँ अब तक,
रोटी अपने हाथ, बनाऊँ अब मैं कब तक।
- दयाराम मेठानी
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

शुभ प्रभात, भाई श्री दया राम मेठानी जी रोला छंद पर अच्छा प्रयास है, आपका ।
"रानी अपनी गई रूठ, मात-पिता द्वारें"
द्वारे, शुद्ध है, अनुस्वार बिन्दु अनावश्यक है, देखियेगा। और अन्त्यानुप्रास
का निर्वाह भी इससे नहीं हो पाया । सादर !

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। द्वारे में अनुस्वार बिन्दु कैसे लग गया यह तो मैं भी समझ नहीं पा रहा हूँ। खैर गलती तो गलती है, चाहे वो जाने में हो या अनजाने में। इस ओर ध्यान दिलाने के लिए भी आभार।

आदरणीय दयारामजी, आपकी प्रस्तुतियों का स्वागत है। 

रोला छंद पर चित्रानुरूप तीनों भाव रोचक हुए हैं। शिल्प भी सुगढ़ है।

प्रथम प्रस्तुति के तौर पर इन रचनाओं का विशेष रूप से स्वागत है। 

हार्दिक बधाइयाँ। 

अलबत्ता, द्वारे के साथ लगा अनुस्वार टंकण-त्रुटि प्रतीत हो रहा है। 

दूसरे, पहले छंद में 'पेट' शब्द दो बार प्रयुक्त हो रहा है, जो व्याकरण सम्मत नहीं है। दूसरे 'पेट' के स्थान पर सर्वनाम का प्रयोग किया जाना अधिक उचित होता। 

शुभ-शुभ 

आदरणीय सौरभ पांडे जी, आपकी टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार। आपने जो इंगित किया है उसके लिए भी आभार। दरअसल द्वारे में गलती तो टंकण में हुई होगी और पेट के बारे ध्यान नही रहा। भविष्य में प्रयास रहेगा कि त्रुटि न ​हो। मार्ग दर्शन करते रहें। सादर।

आपका हार्दिक आभार, आदरणीय

आदरणीय दयाराम मथानी जी

चित्र को शाब्दिक करते हुए रोला छंद आधारित बहुत सुन्दर सृजन किया है आपने।हार्दिक बधाई आपको

आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।

चली गई तुम छोड़, 

सालती रह रह बिछड़न।

तुम हो मेरे साथ, 

पास जब चौका बासन।

सूरज जाए पार, 

हृदय में संझा बाती।

लिखता हूं हर रोज, 

चपाती जैसी पाती।

गुम्फित मन के पोर-पोर में 

चकला बेलन।

एक तुम्हारे दूर 

चले जाने की भटकन।

जीने की सौ बार 

कसम दी, कैसा बंधन?

चूल्हे की अंगार 

धधकती है अंतर्मन।

करते हैं आवाज

सरौता कलछी मथनी।

होता है ये भान

तुम्हारी पायल नथनी।

बर्तन की झंकार

भरे मेरा खालीपन।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

नमस्कार, भाई श्री मिथिलेश वामनकर जी, बहुत सुन्दर रोला छंद आधारित
गीत की सृजना हुई है। बधाई स्वीकार कीजिये !

आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service