For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 135

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ पैंतीसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार का छंद है - शक्ति छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

23 जुलाई 2022 दिन शनिवार से 24 जुलाई 2022 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

चित्र अंर्तजाल के माध्यम से 

शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो

23 जुलाई 2022 दिन शनिवार से 24 जुलाई 2022 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 1620

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जहाँ रास्तों भी बरसती रहीं ।
किनारों नदी खेत बूंदे कहीं ।।
सरकते रहे बाल- छतरी वहाँ ।
भयातुर रहे आज बच्चे जहाँ ।।

शरण छत्र ..सावन बनी बात जो ।
कड़कती रहीं बिजलियाँ घात जो।।
जरूरी... अभी ..छुट्टिया हों सखा ।
असर.. खूब वो  बरिशों ..का दिखा ।।

कि स्कूलों हुए बाल वापस अभी ।
ठिठुरते ..रहे काल आपस अभी ।।
नहीं राह आसान उनकी गमन ।
डरे बाल जुड़ते, बना संगठन ।।

अचानक ..कई कार गुजरी यहाँ ।
लगा मौत रहती कि पसरी यहाँ ।।
इकट्ठे.. हुय़े ..जान खातिर सभी ।
तरफ ..एक निर्दोष बच्चे सभी ।।

मौलिक एवम् अप्रकाशित

बहुत खूब कोशिश हुई बंद पर  

बधाई मिले आपको छंद पर 

मगर भाव-भाषा नहीं सध सकी 

हमें चाहिए राय भी आपकी 

सादर धन्यवाद, आदरणीय 

सादर अभिवादन आदरणीय

चित्र पर सुन्दर गहन भाव उकेरती रचना के लिये हार्दिक बधाई

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन. सुन्दर छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।

आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करता सुन्दर सृजन हुआ है आपके क़लम से. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर

शक्ति छंद

 

चले जा रहे साथ बच्चे सभी

लिए हाथ में हाथ सच्चे सभी।

ख़ुशी से चले झूमते – झूमते।

खुली राह पर घूमते – घूमते।।

 

इन्हें एक छाता पुराना मिला।

नहीं किन्तु इनको ज़रा है गिला।

सभी के सरों को न वो ढँक रहा।

अधोअंग भी सब गये हैं नहा।।

 

इन्हें फ़िक्र है शेष तो स्कूल की।

न कपडे न जूते न ही धूल की।

इन्हें मित्रता से बहुत प्यार है।

बना ये अलग एक परिवार है।।

 

मौलिक/अप्रकाशित.

द्विकल मात्र शाब्दिक नहीं जानिए 

कलों का समर्थक इन्हें मानिए 

स्वयं को नहीं छूट देते कभी 

निकष आपका है कठिनतम तभी 

 

बहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीय अशोक भाईजी. 

चित्र के अनुरूप एक अच्छी रचना हुई है, हार्दिक बधाइयाँ 

 

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! आपके कहे का मैं ध्यान रखूँगा. प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदयतल से आभार. सादर

आदरणीय अशोक भाई साहब,

आपने मेरे कहे का इंगित समझा.

मेरे कहे का अशय इतना है, कि शक्ति छंद का द्विकल को वर्णमाला के अक्षरों पर स्वर मात्रा के कारण ही स्थापित नहीं होता, बल्कि दो लघु वर्णॊ का समुच्चय भी द्विकल का प्रभाव बनाता है. चूँकि आपने अपने लिए कठिन कसौटी नियत कर ली थी, अतः उसका सम्मान करते हुए मैंने उपर्युक्त इशारा किया था. 

सादर धन्यवाद

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप बेहतरीन छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई.

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर,  प्रस्तुत छंदों को चित्रानुरूप पाने के लिए आपका अतिशय आभार. सादर

सभी के सरों को न वो ढँक रहा।

अधोअंग भी सब गये हैं नहा।।//वाह सटीक भाव चित्र से। हार्दिक बधाई आदरणीय अशोक जी

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"आ. सौरभ सर श्राप है या दुआ जा तुझे इश्क़ हो मुझ को तो हो गया जा तुझे इश्क़ हो..इस ग़ज़ल के…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. नाथ जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. विजय जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. अजय जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. समर सर. पता नहीं मैं इस ग़ज़ल पर आई टिप्पणियाँ पढ़ ही नहीं पाया "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. रचना जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. तेजवीर सिंह जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उन  के बंटे जो  खेत तो  कुनबे बिखर गए
"धन्यवाद आ. आशुतोष जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की-जिस्म है मिट्टी इसे पतवार कैसे मैं करूँ
"धन्यवाद आ. समर सर "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post खत तुम्हारे नाम का.. लिफाफा बेपता रहा // सौरभ
"आ. सौरभ सर,मोएन जो दारो की ख़ुदाई से एक प्राचीन सभ्यता के मिले अवशेष अभी देख रहा हूँ..यह ग़ज़ल कैसे…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post खत तुम्हारे नाम का.. लिफाफा बेपता रहा // सौरभ
"आदरणीय, सहमति के लिए हार्दिक धन्यवाद"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service