For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(चित्र अंतर्जाल से)

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन .. 

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ बीसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार का छंद है - 

गीतिका छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

17 अप्रैल 2021 दिन शनिवार से 18 अप्रैल 2021 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं. 

गीतिका छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कईएक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 20 मार्च 2021 दिन शनिवार से 21 मार्च 2021 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 1886

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 120 में आप सभी का स्वागत है....

चित्र पर कहना मुश्किल लगा लेकिन इस छंद में एक प्रयास

वक़्त मुश्किल आ पड़ा है बीत जाएगा मगर

है अभी ख़ुद को बचाना और तय करना सफ़र

आँख में दे ज़िंदगी चाहे हमें कितनी नमी

हौसले में पर कभी आने न देंगे हम कमी

मौलिक,अप्रकाशित

अंजलि 'सिफ़र'

आ. अन्जलि जी, प्रयास व सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई।

चित्र के भाव भी महामारी से उपजी व्यथा के ही हैं। इसी भाव पर सार्थक छंद सृजन के लिये हार्दिक बधाई आदरणीया अंजली जी

सत्य है बहुरूपिया यह रोग कोरोना हुआ।
रक्त पीता वर्षभर से खूब मानव का मुआ।।
जी रहे सब लोग इससे भर जगत भयभीत हो।
जानता अबतक न कोई किस तरह से जीत हो।।
**
बन्द करते जा  रहे  सब  गाँव  गलियाँ घर नगर।
खत्म होता पर न दिखता देश में जो व्याप्त डर।।
मुख ढके हैं सालभर से लोग अपना यूँ सभी।
लग रहे आसार लेकिन ये न जायेगा कभी।।
**
आदिवासी ये नहीं ये तो धरा के सभ्यजन।
माँ सुता संदेश देते आवरण मुख पर पहन।।
ये धरा जननी हमारी आवरण से हीन कर।
चाहते होना  जरा  से  दूर कैस तुम अजर।।
**
हर तरफ जलती चिताएँ रोग से या शोक से।
कम नहीं होती दिखीं शासन तुम्हारे रोक से।।
ये समय संकट भरा पर हल यही है सोच लो।
सादगी से जिन्दगी  जी  डोर इसकी काट दो।।
**
मौलिक/अप्रकाशित

 नमस्कार,  भाई  लक्ष्मण  सिंह  धामी  मुसाफिर  साहब,  " चाहते होना जरा से दूर कैस तुम अजर , अशुद्ध  है  ! और, गीतिका  मात्रिक  छ॔द है, अत: व्याप्त  चार मात्राएं है, न कि ( 21 ) तीन बंधु !

आ. भाई चेतन जी , रचना पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद। //चाहते होना जरा से दूर कैस तुम अजर //किस प््ररकार अशुुद्ध है मार्गदर्शन करेें। 

व्याप्त 21 ही है व्याकरणाचार्यों से सलाह लेकर ही लिखा है ।

ओबीओ महोत्सव में भी स्वार्थ को आपने 4 ही गिना था जिसकी उत्तर शायद आपने देखा नहीं । सादर...

महामारी के प्रकोप और चित्र को भी समेटते हुए सार्थक छंद सृजन।हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण जी। सोच लो/ काट लो की तुकान्तता देख लें

सुंदर छंद रचना है चित्र के परिपेक्ष्य में

बधाई स्वीकारें आदरणीय धामी सर

आज पहली बार मैंने भी गीतिका छंद लिखने की एक कोशिश की है गौर फर्मायियेगा

सादर

आदरणीय, नमन ! निम्न  गीत मंच को समर्पित कर रहा हूँ :

खतरा कोई नहीं माँ यहाँ है  !

रहतवारे दोस्त हम जंगल  के हैं 

कि माँ प्रकृति की रक्षा में रहते हैं 

मास्क जंगल का पत्ता पत्ता है,

आक्सीजन बसे स्वयं वायु में है

खतरा कोई नहीं माँ यहाँ है  !

कि कोरोना का जगत में संकट है 

रोजगार न हो, घर रहो झंझट  है 

भुखमरी मुँह बायें खड़ी तुम्हारे, 

कि जमा किया फलक कूड़ा-करकट है

कोरोना संकट  नहीं माँ यहाँ है  !

देर आया दुरुस्त आया, कहावत 

बिल्कुल ठीक बात है,  महावत !

सखा अभी समय है, बदल दो, ढर्रा 

वनवास करो, पढ़ो वक्त की  आयत 

कि नद- नालों सुरा-स॔गीत यहाँ है  !

सखा, सुख नहीं बसता विलासिता में 

संतोष-सुख बसे कब चंचल मन में

आर्त -पुकार सुनो भारती  की तुम  !

आज प्रकृति बैठी है, कोपभवन में

गुलाब बेला चमेली खिले हाँ है  !

कि पर्यावरण जकड़ा वायरसों ने 

फ्लू - डेंगू  - कोरोना - वंशजों ने

कहीं देखो तुम अँधेरा  छाया  है,

उजाले कब्जाये सखा उल्लुओं ने

चलो सीधा-सच्चा मार्ग  जहाँ है  !

खतरा कोई नहीं, माँ  ! यहाँ है  !!

मौलिक एवं अप्रकाशित 

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन । रचना के भाव चित्रोक्त तो हैं पर गीतिका के नियमों पर खरे नहीं उतर पाये है। थोड़ा प्रयास करते तो रचना निखर सकती है। फिलहाल इस सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई।

आदरणीय 

आप द्वारा रचित गीत के भाव सुन्दर हैं पर इस उत्सव के नियमनुसार प्रदत्त छंद पर ही सृजन करना था। सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"भाई शिज्जू जी, अलबत्ता हम आपके आभारी हैं.  भाई, अब से हम अपने-अपने अत्यंत व्यस्ततम समय में…"
7 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"राक्षस ______ "देखो नानी राक्षस! बड़े-बड़े सींगो वाला, दाँतों वाला,खा जाता…"
33 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, आप मेरी टिप्पणी की उस आखिरी पंक्तियों को देखें, जिसके अनुसार…"
54 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय चेतनजी, आप वयस के लिहाज से वरिष्ठ हैं. इस निराले मंच ओबीओ के सदस्य हैं. आप ही बताइए, वर्तमान…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"गजलों खो लेकर एक बात जो कम ही चर्चा में आअती है, वह है उसके मिसरों का गद्यानुरूप होना. अर्थात,…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा

.गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा नशा उतार ख़ुदाया नशा उतार मेरा. . बना हुआ हूँ मैं जैसा मैं…See More
2 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi posted a blog post

ग़ज़ल

2122 1122 1122 22आप भी सोचिये और हम भी कि होगा कैसे,,हर किसी के लिए माहौल ये उम्दा कैसे।। क्या…See More
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. सौरभ जी, क्षमा करें, समस्या के मूल में जाने के बजाय जिम्मेदार लोग  ' बलि का बकरा ढूँढ़…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आ. अशोक जी,बहुत सुन्दर छन्द हुआ है ...बधाई स्वीकार करें.एक शंका है...होतीं बेटियाँ की जगह क्या होती…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service