For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार एक सौ सोलहवाँ आयोजन है.   

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

19दिसंबर 2020 दिन शनिवार से 20 दिसंबर 2020 दिन रविवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

गीतिका छंद 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं. 

गीतिका छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  19 दिसंबर 2020 दिन शनिवार से 20 दिसंबर 2020 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

चित्र अंतर्जाल से 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 3303

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

समयानुसार उपस्थित हों.. 

गीतिका छंद आधारित गीत ~

~~~~~~~~~~~~~~~~~

रम्य है यह दृश्य मनहर , सृष्टि के आगोश में ,
पर्वतों की गोद में शुभ , ज़िंदगी की बानगी ।

भोर हर उड़ते गगन में , हो मुदित खग वृन्द हैं ।
खोल पर उल्लास रचते , जोश के नव छंद हैं।।
रश्मियों की सीढ़ियों पर , धूप रखती पाँव है ।
कुनमुना कर जाग जाता , घाटियों में गाँव है ।।

ओढ़नी रवि रश्मियों की,ओढ़ झिलमिल नग लगी ।
पर्वतों की गोद में शुभ ज़िंदगी की बानगी ।।

पत्र ऋतुओं के सुवासित बाँचता पवमान है ।
खेत जैसे क्यारियाँ हों, क्यारियों में धान है ।।
शब्द का तूणीर लघु है ,गिरि अकथ दृश्यावली ।
दृष्टि जाती है जिधर तक,उच्च नग नभ आवली ।

राह जाती घाटियों को , दौड़ बल खा पन्नगी ।
पर्वतों की गोद में , शुभ ज़िंदगी की बानगी ।।

मेहनती हैं जन यहाँ के , हृद परस्पर नेह है ।
द्वेष से हैं रिक्त मन , विश्वास का अवलेह है ।।
नित्य खाते व कमाते , अनगिनत हैं मुश्किलें ।
किंतु भूले से नहीं मुख , रेख अवसादी मिलें ।

हैं सरलता के उपासक, लोग मूरत सादगी ।
पर्वतों की गोद में , शुभ ज़िंदगी की बानगी।।

~ मौलिक व स्वरचित

आ. अनामिका जी, चित्रानुरूप उत्तम रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सृजन की सराहना हेतु अतिशय आभार आपका ।

चित्रानुरूप सुंदर शब्द चयन के साथ बहुत ही आकर्षक पंक्तियाँ सृजित की आपने दिल से बधाई

प्रस्तुति की सराहना हेतु सादर आभार आपका आदरणीय।

आदरणीया अनामिका सिंह जी सादर, प्रदत्त चित्र पर गीतिका छंद आधारित सुन्दर गीत रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर

वाह बहुत सुन्दर गीत, उत्कृष्ट शब्द चयन।  हार्दिक बधाई आदरणीया अनामिका सिंह अना जी

आदरणीया अनामिका सिंह अना जी, सुरम्य वादियों की गोद में बसे गाँव और हरियाली को आपने मनोयोग से शब्दबद्ध किया है. 

रचना-सामर्थ्य प्रभावी होने से आपकी प्रस्तुति पठनीय बन पड़ी है. 

हार्दिक बधाई एवं अशेष शुभकामनाएँ.. 

वैसे, आवली शब्द को देख लेना उचित होगा. 

शुभ-शुभ

गीतिका छंद

घाटियों में दृश्य अनुपम छा गया
स्वर्ग मानों इस धरा पर आ गया

हर तरफ़ लावण्यता है शिर्ष पर
इंद्रधनुषी रंग मन को भा गया

रश्मियाँ नर्तन करें भू लोक पर
मंजु मधुवन प्यार का सरसा गया

हर तरफ़ छवि-जाल ज्योतित हो रही
भूप दिनकर धूप से नहला गया

ईश अपनी सौम्यता ये जादुई
दिग्दिगंतों में यहाँ दिखला गया

तरु तृणों पर पीत आभा शोभती
लग रहा कुंदन गगन बरसा गया

मन मुदित मोहित करे रमणीयता
मृदुल करतल से मदन सहला गया

मौलिक एवं अप्रकाशित

आदरणीय डॉ. छोटेलाल सिंह जी सादर, प्रदत्त चित्र पर आपने गीतिका तो सुंदर रची है किन्तु यह रचना गीतिका छंद के नियमों का पालन नहीं कर रही है. देख लें. सादर.

आदरणीय अशोक रक्ताले साहब सादर अभिवादन उत्साहवर्धन और ध्यानाकर्षण के लिए आपका हृदय से आभार,इसे पुनः सुधारने की कोशिश करता हूँ 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service