For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार एक सौ ग्यारहवाँ आयोजन है.   

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

18 जुलाई 2020 दिन शनिवार से 19 जुलाई 2020 दिन रविवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

आल्हा छंद और सार छंद

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं. 

चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

आल्हा छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...

सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 18 जुलाई 2020 दिन शनिवार से 19 जुलाई 2020 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 3239

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

सार छंद(गीत)

*******

भारी हर दुश्मन पर पड़ते

भारत के सैनिक हम

घुसा हमारी सीमा में तू

और फुलाता सीना

शांति चाहने वालों का तू

मुश्किल करता जीना

ड्रेगन सुन ले भूल न करना

हमें आँकने की कम

कुछ पिछलग्गू नये बने हैं

कुछ हैं मूढ़ पुराने

काँधे रख जिनके बन्दूकें

तू है हम पर ताने

तेरी गोटी बने हुए वो

दिखा रहे झूठा दम

मन में देश बसा है अपने

साथ दुआओं का बल

भारत माँ पर आँच न आये

सोच यही है पल पल

मुश्किल हालातों में तपकर

बढ़ता जाता दम-खम

भारत के सैनिक हम

********************

 मौलिक व अप्रकाशित

आदरणीया प्रतिभाजी

सार छंद(गीत) सचमुच चित्र का सार है। 

मुश्किल हालातों में तपकर

बढ़ता जाता दम-खम ...........  सच है भारत की जनता और सैनिक ऐसे ही हैं।

मोहरा चीन का बनकर तुम

दिखा रहे झूठा दम

हृदय से बधाई इस छंद गीत के लिए

आ. प्रतिभा बहन, प्रदत्त चित्र को आपने बहुत सुन्दरता से सार छंद रूपी गीत में उकेरा है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

आदरणीया प्रतिभा दीदी, सादर नमन, मनोहारी गीत हुआ है।

आदरणीया प्रतिभा जी, 

सार छंद में प्रस्तुत हुए गीत के लिए हार्दिक बधाई. मुखड़े का दूसरा चरण मात्रिक रूप से सधा हुआ होने के बावज़ूद लयता पर आबद्ध नहीं हो पा रहा. कारण कलों की व्यवस्था है. इस ओर तनिक ध्यान दीजिएगा. 

बाकी, अंंतरा की पंक्तियाँ सार्थक रूप से सधी हुई हैं. 

एक निवेदन है, हालातों  जैसे शब्दों का प्रयोग न किया करें.  हालात वस्तुतः हालत का बहुवचन है. तो बहुवचन का बहुवचन क्या होगा ? जो होगा वह अशुद्ध ही होगा. 

सादर बधाइयाँ 

सार छन्द
**
चीते  जैसी  फूर्ती  रखते,अपने  वीर  सिपाही।
लेकिन बाँधे राजनीति ने, उनके हाथ सदा ही।।
तज दो छुट्टी देश कहे जब, करते नहीं मनाही।
सीमा पर संकट आये तो, चल पड़ते उत्साही।।
**
राष्ट्र विरोधी  कितने  पनपें, भले  देश  के भीतर
सैनिक को कमजोर समझ वो, फेकें चाहे पत्थर।।
पर सैनिक को सीमाओं पर, पड़े न इससे अन्तर
धीर सहज  भावों  से  वो  तो,  उन को देते उत्तर।।
**
पाक चीन के सैनिक इनको, जब भी हैं उकसाते
पहले धीरज  रख  बातों  से, उनको  हैं समझाते।।
हम तुम  भाई  लड़ो  न  हम से, मानवता के नाते।
पर जब सिर से गुजरे पानी, बढ़चढ़ कर दहलाते।।
**
युद्ध भूमि में  जब  जब  उतरे, दुश्मन  चुन चुन मारे।
बिचलित तनमन रहे न इनका, हिम्मत कभी न हारे।।
आन देश की  जीवन  से  बढ़, सैनिक  सदा  उचारे।
झण्डा ऊँचा  रखने  खातिर, शीश  स्वयम्  के वारे।।
**
रिपु का शोणित पान करें ये, समझ नीर का झरना।
इनका पौरुष  देख  हमेशा, पड़ा  व्याल  को डरना।।
सदा देश पर  आता  उन को, सब न्योछावर करना।
मर जाते हैं  सत्य  खुशी  से, अगर  पड़े  जो मरना।।

*****
मौलिक/अप्रकाशित

आदरणीय धामी जी चित्र के अनुरूप, सुन्दर उत्तम सार छन्द सृजन हुआ है। सादर बधाई

आ. भाई सतविन्द्र जी, सादर आभार ।

आदरणीय  लक्ष्मण भाई

बहुत सुंदर । आपने विस्तार से चित्र पर छंद लिखे। हार्दिक बधाई ।

आ. भाई अखिलेश जी, उपस्थिति ल सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

वाह वाह वाह ! 

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  सार छंद में निबद्ध आपकी रचना ने मोह लिया. अशेष बधाइयाँ 

शुभ-शुभ

सादर 

आल्हा छंद

 

सर पे बाँधे कफ़न चले हैं, हम भारत माता के लाल

आँच कभी न आए वतन पे, विफल हुये दुश्मन की चाल।

हर सैनिक है सिंह यहाँ पर, आँखों मे दहके अंगार

जीवन देश पे वार दिया है, मरना भी देखे संसार।

 

बन कर दुआ चली आती है, माँ करती है हर पल याद

साजन तुम बिन सब जग सूना, पत्नी भी करती फ़रियाद ।

बहना रस्ता देख रही है, बचपन याद करे घर-द्वार  

गाँव गली बेनूर से लगते, फीके लगते सब त्योहार ।

 

भारत की इस पुण्य धरा को, दुश्मन कैसे लेंगे छीन

जान लुटा देंगे हम अपनी, मत होना यारों ग़मगीन  ।

दुश्मन आपस में मिल बैठे, षड्यंत्रों से करते वार

धूल चटा दी हमने लेकिन, दुश्मन चित्त हुए हर बार ।

 

तीन ओर है सागर प्यारा, एक हिमालय का विस्तार

सरहद पर तो हम लड़ लेंगे, पर भीतर भी हैं गद्दार ।

नहीं सहेंगे यारों अपनी, भारत माता का अपमान

कारगिल तो फ़तह किया है, विजित किया हमने गलवान ।

 

तोपों को भी सह लेंगे हम, क्या है गोली की बौछार

तपते मौसम को झेला है, लाँघे बर्फ़ीले दीवार ।

रणभूमि है तीर्थ के जैसी, धन्य भाग जो हों क़ुर्बान

जब भी जीवन नया मिले तो, मिले धरा यह हिंदुस्तान ।

**********************************************

मौलिक व अप्रकाशित

 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
17 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service