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Discussions | Replies | Latest Activity |
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शफ़क--राजकुमारी नायक का कविता संग्रहश्रीमती राजकुमारी नायक का काव्य संग्रह शफ़क जब हमारी लेखिका संघ की अध्यक्षा आ. अनिता सक्सेना जी ने मुझे सौंपा तो यह मेरे लिए एक नई चुनौती ल… Started by नयना(आरती)कानिटकर |
0 | Aug 23, 2017 |
‘करो परिष्कृत अंतर्मन को’- काव्य की आत्मा से एक संवाद(कवयित्री माधवी मिश्रा की पुस्तक ‘करो परिष्कृत अंतर्मन को’ की संवाद शैली में आलोचना ) ‘करो परिष्कृत अंतर्मन क… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
0 | Jun 26, 2017 |
पुस्तक समीक्षा : लक्ष्मण की कुण्डलियाँसमीक्षक : अशोक कुमार रक्ताले. आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला जी कविताई तो लम्बे समय से कर रहे हैं किन्तु उन्होंने छंद रचनाएं करना प… Started by Ashok Kumar Raktale |
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Mar 17, 2017 Reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला |
‘पृथ्वी के छोर पर’- अभियान और अनुभूति का एक रोमांचक दस्तावेज - डॉ0 गोपाल नारायन श्रीवास्तवहिन्दी साहित्य की गद्याधारित विधाओं में नाटक, उपन्यास, कहानी और निबंध के बाद जीवनी आत्म-कथा, संस्मरण, यात्रा वृत्तांत, रहस्य-रोमांच के इतिव… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
0 | Mar 16, 2017 |
"कुंडलिया छंद के नये शिखर" संकलन की समीक्षाश्री त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी द्वारा सम्पादित “कुंडलिया छंद के नये शिखर” में 14 कुण्डलियाकारों के कुंडलिया छंद है | इन छन्दों के बारे में… Started by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला |
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Dec 19, 2016 Reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला |
समीक्षा : “अब किसे भारत कहें” एक कुण्डलिया छंद संग्रह.“अब किसे भारत कहें” नाम देखकर तो लगा न था की यह कोई कुण्डलिया संग्रह होगा. किन्तु यह डॉ. रमाकांत सोनी जी का जुलाई-१६ में प्रकाशित कुण्… Started by Ashok Kumar Raktale |
0 | Nov 24, 2016 |
छन्द काव्य संकलन ”करते शब्द प्रहार“ पुस्तक के विमोचन पर उदगार -दिनांक 12 अक्तूबर, 2016 को छन्द काव्य संग्रह “करते शब्द प्रहार” पर अपने संबोधन में मुख्य अतिथि कलानाथ जी शास्त्री में कहाँ कि दोहों में जि… Started by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला |
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Oct 27, 2016 Reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला |
सदस्य टीम प्रबंधन सार्थक प्रस्तुतीकरण हेतु सोच को भी संश्लेषित होना होता है // -सौरभयुवा कवि अरविन्द की कई कविताओं से गुजरने का संयोग बना है। ऐसे किसी संयोग का बनना मेरे जैसों के लिए सौभाग्य है। आजके कवियों की अंतर्दशा और व… Started by Saurabh Pandey |
0 | Sep 14, 2016 |
सदस्य टीम प्रबंधन छन्दों के प्रति उत्कट आग्रह के साथ सतत क्रियाशील रहना कई अर्थों में महत्त्वपूर्ण हैसार्थक रचनाकर्म शाब्दिक अभिव्यक्ति मात्र नहीं होता, बल्कि यह एक सुगढ़ काव्य-अनुशासित भाव-संप्रेषण है । रचनाकर्म भावुक किन्तु आग्रही अभिव्यक्… Started by Saurabh Pandey |
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Sep 3, 2016 Reply by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" |
सदस्य टीम प्रबंधन ज़हीर कुरेशी की ग़ज़लें विविध आयामी सोच तथा भाषायी व्यवहार के कारण ही नयी ऊँचाइयाँ तय कर पाती हैं // --सौरभकई विधाएँ, विशेषकर पद्य विधाएँ हैं, जो भाषा विशेष की गोद में जन्म अवश्य लेती हैं, और तदनुरूप पल्लवित भी होती हैं । परन्तु, कालांतर में अपनी… Started by Saurabh Pandey |
0 | Jul 19, 2016 |
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