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समीक्षा :"अतल रतन अनमोल" दोहा संग्रहसमीक्षा पुस्तक : अतल रतन अनमोल दोहाकार : जी. पी. पारीक प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर (राज.) मूल्य : रु. १२०/- भावों ने पहनी सहज, मृदु श… Started by Ashok Kumar Raktale |
0 | Nov 29, 2017 |
मातृ धर्म से मानव धर्म की राह बताता उपन्यास " श्याम की माँ "पुस्तक - श्याम की माँ लेखक - साने गुरूजी अनुवादक - संध्या पेडणेकर प्रकाशक - प्रभात प्रकाशन मूल्य - ४०० रुपए संस्करण - २०१७ ----------------… Started by shashi bansal goyal |
0 | Nov 5, 2017 |
पृथ्वी के छोर पर ; लेखक – शरदिन्दु मुखर्जी : एक पाठकीय टिप्पणी -- शुभ्रांशु पाण्डेयबहुत दिनों से इस पुस्तक के बारे में लिखना चाह रहा था जोकि संस्मरण विधा की एक अनुपम कृति की तरह सामने आयी है. मै शरदिन्दु मुखर्जी की पुस्… Started by Shubhranshu Pandey |
0 | Oct 24, 2017 |
ज़िन्दगी से जुड़ी व ज़िन्दगी से जोड़ती राजेश कुमारी की लघुकथाएंपुस्तक- ‘गुल्लक’ (लघुकथा संग्रह) लेखिका- राजेश कुमारी प्रकाशक- अंजुमन प्रकाशन, इलाहाबाद मूल्य- 140-00 रू. ------------------------… Started by Ravi Prabhakar |
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Oct 10, 2017 Reply by Ravi Prabhakar |
सदस्य कार्यकारिणी ग़ज़ल संग्रह “डाली गुलाब पहने हुए” : मेरे विचारआज राजेश कुमारी ‘राज’ जी का ग़ज़ल संग्रह “डाली गुलाब पहने हुए” प्राप्त हुआ जिसे प्रकाशित किया है अंजुमन प्रकाशन ने l… Started by मिथिलेश वामनकर |
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Oct 4, 2017 Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़') |
समीक्षा : 'मन में भरो उजास'“मन में भरो उजास” – कुण्डलिया छंद संग्रह छंदकार – सुभाष मित्तल ‘सत्यम्’ प्रकाशक – बोधि प्रकाशन, जयपुर. (राज.) मूल्य – रुपये 150/- “बदलते… Started by Ashok Kumar Raktale |
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Sep 20, 2017 Reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला |
रश्मि शर्मा का कविता संग्रह : ' मन हुआ पलाश'कृति : मन हुआ पलाश लेखिका : रश्मि शर्मा विधा : काव्य मूल्य : 320 रुपये प्रकाशक : अयन प्रकाशन , नई दिल्ली मन के पलाश की तला… Started by डॉ.लक्ष्मी कान्त शर्मा |
0 | Sep 4, 2017 |
शफ़क--राजकुमारी नायक का कविता संग्रहश्रीमती राजकुमारी नायक का काव्य संग्रह शफ़क जब हमारी लेखिका संघ की अध्यक्षा आ. अनिता सक्सेना जी ने मुझे सौंपा तो यह मेरे लिए एक नई चुनौती ल… Started by नयना(आरती)कानिटकर |
0 | Aug 23, 2017 |
‘करो परिष्कृत अंतर्मन को’- काव्य की आत्मा से एक संवाद(कवयित्री माधवी मिश्रा की पुस्तक ‘करो परिष्कृत अंतर्मन को’ की संवाद शैली में आलोचना ) ‘करो परिष्कृत अंतर्मन क… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
0 | Jun 26, 2017 |
पुस्तक समीक्षा : लक्ष्मण की कुण्डलियाँसमीक्षक : अशोक कुमार रक्ताले. आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला जी कविताई तो लम्बे समय से कर रहे हैं किन्तु उन्होंने छंद रचनाएं करना प… Started by Ashok Kumar Raktale |
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Mar 17, 2017 Reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला |
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