For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समीक्षा पुस्तक : अतल रतन अनमोल

दोहाकार : जी. पी. पारीक

प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर (राज.)

मूल्य : रु. १२०/-

 

 

भावों ने पहनी सहज, मृदु शब्दों की खोल |

दोहों में गुँथकर बने, अतल रतन अनमोल ||

 

जी. पी. पारीक जी से मेरा परिचय फेसबुक पर एक समूह ‘दोहालय’ के माध्यम से हुआ है. सच कहूँ तो बहुत दिनों तक मुझे उनके दोहे समझने में कठिनाई भी हुई, क्योंकि मैं उन्हें फेसबुक के एक आम दोहाकार की तरह समझ रहा था. मुझे उनके लेखन की गहराई का अंदाज ही नहीं था. आज में उनके दोहों को बिहारी, रहीम, कबीर के दोहों की तुलना में कहीं से भी कमतर नहीं पाता हूँ.

 

सनातनी छंदों में दोहा ऐसा छंद है जो हिंदी काव्यों में अपनी सम्प्रेषणीय त्वरा की कारण सर्वाधिक जाना भी जाता है और पढ़ा भी जाता है. इसे देश में कहीं कुरल, दुहा तो कहीं दोहरा के नाम से भी जानते हैं. मात्र दो पंक्तियों में गागर में सागर भरने वाला यह अर्ध-सममात्रिक छंद क्रमशः १३,११ / १३,११// मात्राओं के चार चरणों में कई बन्धनों के साथ पूर्ण होता है. किसी भी दोहावली में प्रत्येक दोहा स्वतंत्र इकाई होता है. वह किसी अन्य दोहे पर तनिक भी आश्रित नहीं होता.

 

दोहा किसी विषय विशेष पर ही रचा जाए ऐसा नहीं है. यह किसी भी विषय पर रचा जाता है और आजकल राजनीति पर दोहे अधिक रचे जा रहे हैं ऐसा प्रतीत होता है, जबकि परम्परागत दोहे उपदेश के लिए रचे जाते रहे हैं. अतुकांत के प्रचलन के कारण दोहा सहित किसी भी छंद में कविता करना कवियों ने लगभग बंद ही कर दिया था. किन्तु अब कवियों ने अपनी काव्याभिव्यक्ति के लिए पुनः दोहों को माध्यम बना लिया है. ‘बाबूजी का भारतमित्र’ साहित्यिक पत्रिका के सम्पादक श्री रघुविन्द्र यादव जी के दोहा संग्रह ‘नागफनी के फूल’ और ‘वक्त करेगा फैसला’ क्रमशः २०११ और २०१५ में प्रकाशित हुए हैं. अंजुमन प्रकाशन द्वारा निजी प्रयास लगभग ४० दोहाकारों के दोहों का संकलन ‘दोहा प्रसंग’  शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला है. इसके अतिरिक्त भी वर्तमान में कई दोहा संग्रह प्रकाशित हुए हैं. श्रेष्ठ दोहाकारों में जी.पी. पारीक जी के अतिरिक्त आदरणीय सौरभ पांडे जी, मिथिलेश वामनकर जी, कुंडलिया छंद के पर्याय बन चुके श्री त्रिलोकसिंह ठकुरेला जी, रमेश शर्मा जी, अंसार कंबरी जी, आदरणीया वैशाली चतुर्वेदी जी एक लम्बी कतार है. इसतरह दोहा छंदों पर प्रशंसनीय कार्य हो रहा है.

 

जी. पी. पारीक जी द्वारा ‘अतल रतन अनमोल’ में उन्ही के अनुसार सात सौ से अधिक दोहे विषयवार प्रकाशित हुए हैं. प्रस्तुत पुस्तक में सर्वप्रथम माता सरस्वती प्रथम पूज्य गणपति के साथ ही भगवान् राम और श्रीकृष्ण को भी मनाने का प्रयास करते हुए ‘आराधना’ शीर्षक के अंतर्गत सात भक्तिभावपूर्ण दोहे रखे गए हैं. भावों में आत्मीयता, व्यक्तित्व की सरलता और ईश्वर में अपार श्रृद्धा का भाव इस दोहे में स्पष्ट देखने मिलता है.

 

निर्गुण मेरे श्याम जी, मैं अवगुण की खान |

सहज भाव सुमिरन करूँ, कृपा करो भगवान ||  

 

कितनी सहजता से जी पी पारीक जी ने इस दोहे में सांसारिकता के कारण मानव मन में आ जाने वाली बुराइयों के लिए पूर्ण भक्तिभाव से ईश्वर के नाम सुमिरन का मार्ग सुझाया है. मैं जब पारीक जी से पुस्तक विमोचन के अवसर पर मिला तो मैंने यही आत्मीयता और भक्तिभाव का गुण उनके स्वभाव में भी देखा है.

 

‘अतल रतन अनमोल’ शीर्षक के अंतर्गत रखे दो सौ पैंतालीस दोहों के गहन भावों को इस एक दोहे को पढ़कर आसानी से समझा जा सकता है.

 

काल खडा नव द्वार पर, दण्ड लिए है हाथ |

समय चक्र है घूमता , केवल सुमिरन साथ ||

 

इस दोहे में जी पी पारीक जी द्वारा यह कहने का प्रयास किया गया है कि मनुष्य के शरीर में जो नौ द्वार हैं (दो चक्षु, दो नासिका, दो श्रोत, मुख, वायु व उपस्थ द्वार.)उन्ही के माध्यम से मानव शरीर देवत्व भी प्राप्त कर  सकता है और असुरत्व भी. नौ द्वार मनुष्य द्वारा इन्द्रियों को साधने में सहायक होते हैं. यदि ध्यान के द्वारा हम इन्हें साध लेते हैं तो हम स्वर्ग का मार्ग प्राप्त कर लेते हैं. समय चक्र चल रहा है और मनुष्य को नरक में जाने से बचने के लिए इन्द्रियों को नियंत्रण में करना चाहिए और ईश्वर सुमिरन में लग जाना चाहिए. बचने का कोई मार्ग नहीं है.

 

 केवल यही नहीं प्रस्तुत पुस्तक में ईश्वर भक्ति के साथ ही वैराग्य,शृंगार,विरह,प्रकृति,आस, आध्यात्म, और बेटीयों जैसे कई विषयों पर रचे दोहे रखे गए हैं. जी पी पारीक जी भीलवाडा , राजस्थान से होने के कारण उनके दोहों में स्थानीय भाषा का भी बहुतायत में प्रयोग स्पष्ट नजर आता है, सात दोहे उन्होंने ‘राजस्थानी कहणात’ शीर्षक के अंतर्गत भी रखे हैं. विभिन्न विषयों के कुछ दोहों को रसास्वादन के लिए प्रस्तुत करता हूँ.

 

प्रभु के दर पर जात हो, जाओ खाली हाथ |

काम-वासना त्याग दो , पा जाओगे पाथ ||

 

पत्रा तो पंडित लिखे , नहिं कोई परमान |

विधना ने जो लिख दिया, सही लेख सच जान ||

 

क्रूर बड़ा ये काल है , रहे सदा तकतान |

नाम उजाला दीप का, करे काल हलकान ||

 

राजस्थानी कहणात के अंतर्गत रचे दोहों में राजस्थान वासियों की स्पष्टवादिता कैसी होती है उसकी एक झलक इस दोहे में साफ़ नजर आती है.

 

शकुन देखकर जावतो , पंडित ले परमाण |

लिखा लेख ही होवसी, कर ले नोट सुजाण ||

 

जी पी पारीक जी का परिवार के प्रति जो अनुराग है, माता के प्रति जो श्रद्दा है, बेटियों के प्रति जो सम्मान है उसकी एक बानगी इस दोहे स्पष्ट दिखती है.

 

चाहे बेडा पार तो , करले रोज प्रणाम |

देख सुता में तनय तूँ, समझ सधे सब काम ||

 

एक-एक कर पूरी पुस्तक ही उद्दृत की जा सकती है. किन्तु मेरा आग्रह है पाठक केवल समीक्षा ही न पढ़ें, यह पुस्तक पढ़कर इसके हर एक उल्लेखनीय दोहे का रसास्वादन करे.

 

 

-अशोक कुमार रक्ताले,

५४, राजस्व कॉलोनी, उज्जैन (म.प्र.)

मो. : 09827256343. 

Views: 543

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service