इकड़ियाँ जेबी से
‘ये इयकड़ियाँ नहीं अनमोल अशरफियाँ है’ आ0 योगराज सर की ये पंक्ति इस रचना संकलन के लिए एकदम उपयुक्त बैठती है । आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी का शब्द संसार बहुत विस्तृत है । उन्होने अपने मनोभावों को बड़ी ही सुंदरता से एक एक नगीना सा जड़ा है । उनकी प्रयोग धर्मिता हर रचना मे परिलक्षित होती है लीक से हट कर एक दोहा उनकी ही रचना का अंश है देखिये –
“ संयम त्यागा स्वार्थवश , अब दीखे लाचार ।
उग्र हुई चेतावनी , बूझ नियति व्यवहार ॥
इस संकलन मे किसी विशेष विधा को नहीं चुना गया है अपितु चलतू सभी विधा की रचनाओं का समावेश किया है । इसमे तुकांत , अतुकांत , गीत , नव गीत एवं विभिन्न छंदों को चुनकर संकलित कर सच मे आदरणीय सौरभ जी ने अपनी जेबी से इकड़ियाँ निकाली है । ये अमूल्य इकड़ियाँ जो हम सबके लिए किन्ही अशर्फियों से कम नहीं है इसमे शामिल सभी रचनाएं विषय तथा विधागत वैविध्यता को पूर्णतया दर्शाने मे कामयाब है ।
उनकी रचना “एक जीवन ऐसा भी” मे शब्द संयोजन देखिये –
वेग – वेग – वेग मे
द्रुत वेग के प्रवेग मे
कभी कहाँ ये सोचता
कि ज़िंदगी क्या है भला ..........
रचना मे हर शब्द का प्रवाह बहुत ही सुंदर है पाठक भावों के साथ बहता ही चला जाता है
“ जिजीविषा” नमक रचना को देखिये :-
कि मुँदी
उठी ,
झपकी ,
ठिठकी
रुक ठहर परख तकती
झट छूट छलक भागा झटके मे
शब्द प्रवाह बहुत ही सुंदर है :-
ना , तुम कभी नहीं समझोगे
निस्सीम तुम विस्तार से ............
पुस्तक के अंतिम भाग मे लगभग सभी छंदों को संकलित कर प्रस्तुत किया है इसमे दोहा छंद , उल्लाला छंद , आल्हा छंद , मत्त गयंद सवैया , कुण्डलिया , हरिगीतिका , दुरमिल सवैया , भुजंग प्रयात , घनाक्षरी , अमृत ध्वनि छंदों का समावेश है ।
वीर छंद का सुंदर उदाहरण देखिये :-
“ तभी लपक कर सहसा कूदा ,
भौचक करता एक जवान
आधे लीवर की काया ले
औचक आया सीना तान “...
अङ्ग्रेज़ी से लीवर लेकर उन्होने रचना को जीवंत कर दिया और रचना मुखर हो उठी । उन्होने रचनाओं मे कहीं कहीं कुछ क्लिष्ट शब्दों का भी प्रयोग किया है किन्तु वे मनस को लुभाते है ।
अमृत ध्वनि छंद मे “जल के शोषक” रचना अत्यंत प्रभाव शाली है भाव देखिये :-
शुष्क होंठ मरु रुष्क मन , देह चुप कंठ
जल विहीन भूतल मगर बेच रहे जल कंठ
घनाक्षरी छंद के भाव अद्वितीय है देखिये :-
अर्थ मिलें तय तय , भाव खिलें जय जय
रचना बगैर पय , यही व्यवहार दे
आदरणीय सौरभ जी का संकलन उनके उचित प्रबंधन को दर्शाता है , थोड़े मे बहुत कहना उनकी आदत मे शुमार है । पाठक के दिल मे सीधे उतरती हुई रचनाएँ कहीं न कहीं यथार्थता का बोध कराती हैं ।
मै उनकी रचनाओं पर समीक्षात्मक टिप्पणी करने के लिए अभी बहुत छोटी हूँ , मेरा कर्म शायद सूरज को दीपक दिखाने जैसा होगा । किन्तु मैंने अपने मनोभावों को आप सबके समक्ष साझा किया है । मुझे आशा है आप सभी सहमत होंगे । इस आशा के साथ कि वे साहित्य के नभ पर सूर्य सम चमके और अपनी रश्मियो से हम सबको आलोकित करते रहें ।
............ अन्नपूर्णा बाजपेई
Tags:
आदरणीया अन्नपूर्णा ’अंजू’जी, मैं आपकी सहृदयता और सदाशयता का अत्यंत आभारी हूँ. आपने जिस संलग्नता से मेरे काव्य-संग्रह पर अपने मंतव्य दिये हैं वही मेरी थाती है. मैं अपने काव्य-संग्रह को एक सामुहिक प्रयास अधिक मानता हूँ. कारण कि इस संग्रह की अधिकांश रचनायें अपने मंच पर प्रस्तुत होने और तदोपरान्त अनुमोदित होने के पश्चात ही प्राणवान हुई हैं. अतः, सम्मिलित रचनाओं के होने में इस मंच के सदस्यों का बहुत बड़ा योगदान है.
आप द्वारा मिल रहे सम्मान के लिए मैं आपका अत्यंत आभारी हूँ.
सादर
पुस्तक-समीक्षा से सम्बन्धित एक तथ्य जो अत्यंत महत्त्वपूर्ण है वो ये है कि समीक्ष्य पुस्तक के रचयिता/ लेखक को अति सम्मान सूचक सम्बोधनों से समीक्षा में इंगित नहीं किया जाता. समीक्षा-साहित्य में यह एक मान्य परम्परा है.
इसका एक कारण यह हो सकता है कि रचनाकार की रचना का नीर-क्षीर होता है, और यहाँ रचनाकार नहीं बल्कि रचना मुख्य होती है. आदरसूचक सम्बोधन समीक्षक को पूर्वग्रह से ग्रसित साबित कर सकते हैं. इस कारण में दम है.
अतः समीक्षा में आदरणीय या श्रद्धेय आदि सम्बोधन न लिखें.
सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |