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मेरे पास ही सो रहा पोता रात्रि करीब ३ बजे अचानक उठकर तकिये के निचे देखने लगा,फिर पानी पीकर सो गया | 
सुबह उठकर तकिये के निचे से दस रुपैये का नोट उठाते हुए बोला-" देखो बाबा,  एक दिन दादी ने जो कहानी सुनाई थी, 
वह बात सच निकली | सोने का सिक्का तो नहीं,पर दस रुपये का नौट मेरे तकिये के निचे मिला है, और मेरा टूटा हुआ 
दांत गायब हो गया | मेरा पांच वर्षीय पोता यह कहते हुए खुश हो रहा था | 
बच्चे के स्कूल चले जाने के बाद, जब मेरी पत्नी कहने लगी, यह कैसे हुआ, मैंने कहा "भागवान, मैंने रात्री में 
चीकू को उठकर तकिये के निचे दांत संभालते हुए, देख समझ लिया था, और तुम्हारी कहानी को सच साबित कर,
उसके चेहरे पर ख़ुशी देखने के लिए दांत की जगह दस रुपैये का नोट रख दिया था |  
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 

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Replies to This Discussion

छोटी छोटी खुशियाँ बच्चों के लिए कितना खुश करती हैं , अच्छी रचना , बधाई लडीवाला जी |

आपने बहुत सही कहा आदरणीय बागी जी, यह मेरे स्वयं के पोते चीकू के दूध के दांत टूट जाने परहुई वास्तविक घटना पर लिखी गयी है,और दस रुपय पाकर वह बेहद खुश हुआ था उससे प्रेरित होकर ही मैंने लिख कर पोस्ट की थी,देर से ही सही,आप जैसे परखी की नजर में आई, तो मुझे कहानी की सार्थक पर गर्व हुआ है । लगता है, बाल साहित्य और धार्मिक साहित्य पर आप जैसे बिरले ही पढ़कर टिप्पणी करते है । हार्दिक आभार स्वीकारे ।

अनमोल पल 

अनमोल पलों का अहसास,हार्दिक साभार सीमा जी

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लाडिवला जी, ऐसी नन्ही नहीं घटनाएं यादगार होती हैं और ऐसे पलों की मुस्कान अनमोल भी.. इसे कहानी का रूप दे कर अभिव्यक्त करने के लिए बहुत बहुत बधाई.

जी, डॉ। प्राची जी; सही कहा आपने, कहनी का रूप देकर छोटी 2 घटनाओ को यादगार बनाया जा सकता है ।

आपका हार्दिक आभार  

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