For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परम स्नेही स्वजन,
पिछले दिनों भीषण सर्दी पड़ी और कुछ इलाके तो अभी भी उसकी चपेट में है, इस सर्दी का असर महाइवेंट पर भी दिखा| परन्तु अब मकर संक्रांति के बाद तापमान में बढ़ोत्तरी की आशा है और OBO के आयोजनों में भी रचनाओं और टिप्पणियों में बढ़ोत्तरी की आशा है| तो पिछले क्रम को बरकरार रखते हुए प्रस्तुत है जनवरी का लाइव तरही मुशायरा| गणतंत्र दिवस सन्निकट है, इसी को मद्देनज़र रखते हुए इस बार का तरही मिसरा देश प्रेम की भावना से ओत प्रोत है और बहर भी ऐसी है की जो जन जन से वास्ता रखती है, राम प्रसाद बिस्मिल की "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है"  वाली बहर पर प्रस्तुत है इस माह का तरही मिसरा

"देश के कण कण से और जन जन से मुझको प्यार है"

दे श के कण,  कण से और(औ) जन,  जन से मुझ को, प्या  र है
२ १ २ २        २   १    २    २                    २   १ २ २     २   १ २

फाइलातुन     फाइलातुन                  फाइलातुन     फाइलुन 
बहर है -बहरे रमल मुसमन महजूफ

नियम और शर्तें पिछली बार की तरह ही हैं अर्थात एक दिन में केवल एक ग़ज़ल और इसके साथ यह भी ध्यान देना है की तरही मिसरा ग़ज़ल में कहीं ना कहीं ज़रूर आये| ग़ज़ल में शेरों की संख्या भी इतनी ही रखें की ग़ज़ल बोझिल ना होने पाए अर्थात जो शेर कहें दमदार कहे|
मुशायरे की शुरुवात दिनाकं २१ Jan ११ के लगते ही हो जाएगी और २३ Jan ११  के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा|

फिलहाल Reply बॉक्स बंद रहेगा, मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ किया जा सकता है |

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 इस गाने को सुनिए और बहर  को पहचानिए|

Views: 9959

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

तुम ग़रीबी भूख लाचारी का धंधा करते हो,
फिर भी सीना तान कर जनता से बोलो प्यार है।

 

हम्म कही पे निगाहें कही पे निशाना .....बहुत खूब ,

 

ऐ सियासतदां तेरी नस नस को हम पहचानते,
चोर हो तुम लोग हमको न बताओ प्यार है।

स्पष्ट बयानी , बहुत खूब , शानदार , ऐसी अभिव्यक्ति अम्बरीश सर सबके कुब्बत की बात नहीं , बेहद खुबसूरत , साथ मे मक्ता भी शानदार कही है |

आदरणीय साथियों इस मुशायरे की मेरे तरफ से एक और ग़ज़ल:-

प्रीति के बंधन यहाँ पर कर्म का अधिकार है
देश के कण कण से औ’ जन जन से मुझको प्यार है,

शुक्रिया प्रभु आज तेरा जन्म पाया है यहाँ
तेरा वंदन है यहाँ पर कलयुगी संसार है,

आओ दे दें हाथ में हर एक बच्चे के कलम
मुश्किलों में साथ देती हर कलम तलवार है,

आओ चुन लें राह ऐसी देश सेवा में रहें
ये तिरंगा ही कफ़न हो स्वप्न यह साकार है,

मान अब घटने न पाये शान ही बढ़ती रहे
देख आया पास अब गणतंत्र का त्यौहार है,
--अम्बरीष श्रीवास्तव

आदरणीय साथियों इस मुशायरे मे एक और ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ,

आप सभी की रचनाए दिल को छुने वाली है, आप ही से सीख रहा हूँ, यूँ समझिए जज़्बात मेरे है,

और मार्गदर्शन आपका....

लीजिए पेश है...

 

हर ओर धोखा बेईमानी, भ्रष्टाचार है,

कितनी इस देश की ये परंपरा अपरम्पार है....

 

सीख आधी रह गयी प्रभु तेरे अवतारों की,

पूजते है राम को, रावण सा व्यवहार है......

 

स्विस में नोट जमा है, घर में सोना चांदी,

लिए कटोरा घूम रहे, हाय हमें धिक्कार है...

 

तुम पूरब की नारी, पश्चिम को क्या तक रही,

कपड़े कम पहनने में कौनसा सद आचार है....

 

बहु अब भी जलती, बेटी अब भी अवांछनीय,

अबला सबला सभी यहाँ झेले अत्याचार है....

 

ग़ुलामी में थे बंधन आजादी में लापरवाही,

ज्ञान वही ठहर गया, फ़ैल गया विस्तार है.....

 

मंदिर मस्जिद झगड़ रहे, तो सब आपस में लड़ रहे,

एक को अनेक में बाँट रहे, देश के ये कर्णधार है....

 

चाहे दिल्ली में बैठी निकम्मी हर सरकार है,

देश के कण कण से औ जन जन से मुझको प्यार है.....

सीख आधी रह गयी प्रभु तेरे अवतारों की,

पूजते है राम को, रावण सा व्यवहार है

बहुत खूब कहा आपने

सुन्दर गज़ल के लिए बधाई

शुक्रिया भास्कर जी
आप बहुत ही सहृदय है भाई....
अच्छा प्रयास...

स्विस में नोट जमा है, घर में सोना चांदी,

लिए कटोरा घूम रहे, हाय हमें धिक्कार है..

 

kya baat kya baat harjeet sahab......dhamakedaar rachna

 

सुंदर प्रयास।

स्विस में नोट जमा है घर में सोना चांदी,

फिर भी घूमें हम कटोरा ही लिये धिक्कार है।

 

  अच्छी अभिव्यक्ति , बधाई।

सुन्दर गज़ल के लिए बधाई
अम्बरीष जी बहुत खूब बधाई ||

अरुण जी आपका तहे दिल से शुक्रिया ........

 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service