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//जनाब नवीन चतुर्वेदी जी //

खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत|
बला की है ये दस्तकारी मुहब्बत ! (१)

अजब वाक़या, प्रेम-मूरत किसन ने|
कुरुक्षेत्र जा कर, नकारी मुहब्बत|  (२)

कन्हैया कों ऊधौ संदेसौ यै दीजो|
हमें तौ परी भौत भारी मुहब्बत|  (३)

कहीं मस्त हो के बहारों में झूमे|
कहीं पे करे पल्लेदारी* मुहब्बत|४|

//जनाब राणा प्रताप सिंह जी//
ये खादी के कुर्ते ये मखमल के गद्दे
इन्हें कोई समझा दे क्या है शहादत (५)

//जनाब शेषधर तिवारी जी//

छुपे घोंसलों में रहें डर क़े बच्चे

लिए चोंच चारा पधारी मुहब्बत  | (६)


//जनाब गणेश बागी जी//
तेरे दिल मे जो है मुझे भी पता है,
मगर तेरे मुँह से है सुनने की चाहत, (७)


//जनाब दानिश भारती जी//
नदी,  जा मिली  अपने  सागर-पिया  से
सुहागिन बनी है   कुँवारी  मुहोब्बत (८)

//जनाब अरुण कुमार पाण्डेय "अभिनव" जी//
बहुत दुश्मनी की अमाँ छोड़ भी दो

करें अपने बाघा-अटारी मुहब्बत | (९)


//जनाब दिगम्बर नासवा जी//

उमड़ती घटाएं महकती फिजायें

किसी की तो है चित्रकारी मुहब्बत  (१०)


है बदली हुई वादियों की फिजायें

पहाड़ों पे हे बर्फ़बारी मुहब्बत  (११)


तेरी सादगी गुनगुनाती है हर सू
मुहब्बत मुहब्बत हमारी मुहब्बत (१२)


//जनाब भास्कर अग्रवाल जी//

जीत जाती ये लगाकर दांव जिंदगी का
है सबसे बड़ी जुआरी मुहब्बत | (१३)


//जनाब डॉ संजय दानी जी //
हुई तोड़ने की कई कोशिशें पर,
सदा चोट खाकर हुई और उन्नत। (१४)

रसोई मेरी सूनी सूनी है दानी,

उसे दस्ते-मासूम की है ज़रूरत। (१५)

कभी वस्ल की फ़स्लें दिल से उगाती ,

कभी हिज्र की कास्तकारी मुहब्बत। (१६)


//आचार्य संजीव सलिल जी//
महुआ है तू महमहा री मुहब्बत.
लगा जोर से कहकहा री मुहब्बत.! (१८)

कभी मान का पान तो बन न पायी.
बनी जां की गाहक सुपारी मुहब्बत.(१८) .

//जनाब शेखर चतुर्वेदी जी//

मैं कूचा ए जानां से जब भी हूँ गुज़रा |
बदन में अज़ब सी हुई है हरारत || (१९)


//जनाब अरविन्द चौधरी जी //
मज़ा शेर का तो तभी खूब आए,
अगर काफ़िया साथ लाए अलामत ! (२०)

//जनाब वीरेन्द्र जैन जी//
नहीं वास्ता इसका मज़हब से कोई,

ऩफीसा की मोहन से यारी मोहब्बत !  (२१ )


है बेफ़िक्र मदमस्त झोंका हवा का
वो सोलह बरस की कुँवारी मोहब्बत ! (२२)

बजाकर कटोरी वो नाज़ो अदा से
रसोई से हुमको पुकारी मोहब्बत  ! (२३)


//जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी//
नहीं हाथियों पर जो रक्खोगे अंकुश
चमन नष्ट होगा मरेगा महावत ।२४।

//जनाब मोईन शम्सी जी//
है जिस दिन से देखा वो नूरानी पैकर
नशे जैसी दिल पे है तारी मुहब्बत । (२५)



//जनाब नवीन चतुर्वेदी जी //

खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत|
बला की है ये दस्तकारी मुहब्बत ! (१)

अजब वाक़या, प्रेम-मूरत किसन ने|
कुरुक्षेत्र जा कर, नकारी मुहब्बत|  (२)

कन्हैया कों ऊधौ संदेसौ यै दीजो|
हमें तौ परी भौत भारी मुहब्बत|  (३)

कहीं मस्त हो के बहारों में झूमे|
कहीं पे करे पल्लेदारी* मुहब्बत|४|

//जनाब राणा प्रताप सिंह जी//


ये खादी के कुर्ते ये मखमल के गद्दे

इन्हें कोई समझा दे क्या है शहादत (५)

//जनाब शेषधर तिवारी जी//

छुपे घोंसलों में रहें डर क़े बच्चे

लिए चोंच चारा पधारी मुहब्बत  | (६)

//जनाब गणेश बागी जी//

तेरे दिल मे जो है मुझे भी पता है,
मगर तेरे मुँह से है सुनने की चाहत, (७)


//जनाब दानिश भारती जी//

नदी,  जा मिली  अपने  सागर-पिया  से

सुहागिन बनी है   कुँवारी  मुहोब्बत (८)
//जनाब अरुण कुमार पाण्डेय "अभिनव" जी//

बहुत दुश्मनी की अमाँ छोड़ भी दो

करें अपने बाघा-अटारी मुहब्बत | (९)


//जनाब दिगम्बर नासवा जी//


उमड़ती घटाएं महकती फिजायें

किसी की तो है चित्रकारी मुहब्बत  (१०)

है बदली हुई वादियों की फिजायें

पहाड़ों पे हे बर्फ़बारी मुहब्बत  (११)

तेरी सादगी गुनगुनाती है हर सू
मुहब्बत मुहब्बत हमारी मुहब्बत (१२)

//जनाब भास्कर अग्रवाल जी//

जीत जाती ये लगाकर दांव जिंदगी का
है सबसे बड़ी जुआरी मुहब्बत | (१३)

//जनाब डॉ संजय दानी जी //

हुई तोड़ने की कई कोशिशें पर,
सदा चोट खाकर हुई और उन्नत। (१४)

रसोई मेरी सूनी सूनी है दानी,

उसे दस्ते-मासूम की है ज़रूरत। (१५)

कभी वस्ल की फ़स्लें दिल से उगाती ,

कभी हिज्र की कास्तकारी मुहब्बत। (१६)


//आचार्य संजीव सलिल जी//

महुआ है तू महमहा री मुहब्बत.
लगा जोर से कहकहा री मुहब्बत.! (१८)

कभी मान का पान तो बन न पायी.
बनी जां की गाहक सुपारी मुहब्बत.(१८) .

//जनाब शेखर चतुर्वेदी जी//

मैं कूचा ए जानां से जब भी हूँ गुज़रा |
बदन में अज़ब सी हुई है हरारत || (१९)


//जनाब अरविन्द चौधरी जी //

मज़ा शेर का तो तभी खूब आए,
अगर काफ़िया साथ लाए अलामत ! (२०)


//जनाब वीरेन्द्र जैन जी//

नहीं वास्ता इसका मज़हब से कोई,

ऩफीसा की मोहन से यारी मोहब्बत !  (२१ )


है बेफ़िक्र मदमस्त झोंका हवा का
वो सोलह बरस की कुँवारी मोहब्बत ! (२२)

बजाकर कटोरी वो नाज़ो अदा से
रसोई से हुमको पुकारी मोहब्बत  ! (२३)


//जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी//

नहीं हाथियों पर जो रक्खोगे अंकुश
चमन नष्ट होगा मरेगा महावत ।२४।

//जनाब मोईन शम्सी जी//

है जिस दिन से देखा वो नूरानी पैकर
नशे जैसी दिल पे है तारी मुहब्बत । (२५)

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येह बात !

क्या बात है सारा मसाला एक ही जगह मिल गया। मेरे शे’र को स्थान देने के लिए धन्यवाद योगराज जी।

आपका वो शेअर था ही इतना दिलकश की उसको तो छोड़ ही नहीं सकता था धर्मेन्द्र भाई जी !

बढ़िया है ये ओ.बी. ओ. का आस्कर नोमिनेशन हो गया सभी चयनित रचनाकारों को बधाई !!! वैसे चुनिन्दा शेरो के चयन का आपका कार्य हमें सभी मोती एक जगह उपलब्ध करा देता है |साधुवाद !!!

hardik dhanyavad is mehanat aur samay sadhya karya hetu.

 

धन्यवाद आचार्य जी !

जिस डिटेल की कमी मेरी तरफ से रह गई थी, वो आपने पूरी कर दी नवीन भाई ! सलाम है आपकी पारखी नज़र को !

धन्यवाद नविन जी ...कोशिश करूंगा आपकी उम्मीद पे खरा उतरूं

Yog raj ji Dhanyavad ! Main aapka shukr guzar hoon ki aapne mere sher ko bhi is list main shamil kiya.

Mera ye pehla he pryas tha gazal ka.  Aapne saraha mujhe bal mila. Dhanyavad!

प्रिय शेखर जी, आपका शेअर था ही बाकमाल, उसको कैसे छोड़ा जा सकता था !
शुक्रिया योग राज ... २५ शेरों की तलाश .. जैसे समुंदर से सीपियों की तलाश और आपने बहुत ही नायाब शेर छाँटे हैं ... 
इस मुशायरे की सफलता का पूरा श्रेय वैसे तो आयोजकों को जाता है पर शामिल होने वाले सब लोगों ने बहुत ही कमाल के शेर कहे हैं ... सब को बहुत बहुत बधाई ... 
दिल से आभार आपका आदरणीय दिगंबर साहिब ! आपने बिलकुल सही फ़रमाया है कि इस मुशायरे में वाकई बहुत ही मयारी आशार पढने को मिले ! कृपया स्नेह बनाये रखें !

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