आदरणीय सदस्यगण
80वें तरही मुशायरे का संकलन प्रस्तुत है| बेबहर शेर कटे हुए हैं और जिन मिसरों में कोई न कोई ऐब है वह इटैलिक हैं|
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Tilak Raj Kapoor
सुना रहा है मुझे फिर वो इन्तज़ार की बात
वो इन्तज़ार मुसल्सल वो वस्ले यार की बात।
कभी किया न अदा तुमने उसको शुक्राना
रखी न याद खुदा से हुए क़रार की बात।
खुशी भरी है मुहब्बत तू ज़ह्र कर लेगा
किया न कर तू मुहब्बत में जीत-हार की बात।
खिजां, खिज़ां है, बहारों सी हो नहीं सकती
जुदा खिजां की तबीयत, जुदा बहार की बात।
हर एक शै में तुझे कुछ कमी नज़र आई
जहां खुदा का कहॉं तेरे अख़्तियार की बात।
ये वो जगह है जहॉं अक्ल की सुनी सब ने
सुनी किसी ने कहॉं दिल पे ऐतबार की बात।
सभी ने देख लिया एक मोजिज़ा जैसे
"उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात"
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Nilesh Shevgaonkar
कभी बदन की महक तो कभी बहार की बात,
ग़ज़ल इसी के बहाने करे हैं यार की बात.
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शराब खाने से वाबस्ता है ख़ुमार की बात,
कि जैसे मुझ से जुड़ी तेरे इन्तिज़ार की बात.
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क़ज़ा करे तो करे, रोज़ उस का काम यही,
मगर ये क्या कि करे ज़ीस्त भी शिकार की बात.
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तुम्हारे एक तगाफ़ुल से कौन मरता है,
मगर ये बात हुई अब तो बार बार की बात.
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दिखाया जाता है जैसा, वो है नहीं वैसा,
अलाहदा है वो शख्स और इश्तेहार की बात.
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टटोल कर जो फ़रिश्तों ने दिल मेरा देखा,
ज़माने भर को सुनाते रहे ग़ुबार की बात.
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किसी सफ़र पे जो कश्ती कभी गयी ही नहीं,
समन्दरों को बताये भँवर के पार की बात.
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हुई है जब से मुहब्बत है दिल का काम यही,
“उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात”.
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उधार प्रेम की कैंची है ये पढ़ा था कहीं,
उसूल.... आज नगद और कल उधार की बात.
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निगाह-ए-नूर में सिमटे हैं रेगज़ार तमाम,
यकीं से कैसे सुनाता है आबशार की बात.
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Samar kabeer
वो होंगे ख़ुश जो करोगे तुम इंतिशार की बात
गले से उनके उतरती कहाँ है प्यार की बात
इसी तज़ात पे चलती है ज़िन्दगी देखो
कभी ख़ज़ाँ की कहानी ,कभी बहार की बात
ख़ुदा का ज़िक्र ही होता है उनके होटों पर
जो नेक लोग हैं करते नहीं ख़ुमार की बात
ज़बाँ हिलाना तो आसान है मगर भाई
अलग ही होती है मैदान-ए-कार ज़ार की बात
चले हो राह-ए-मुहब्बत में तुम तो याद रहे
वफ़ा के साथ जुड़ी है सलीब-ओ-दार की बात
मैं अपने मंच का एहसान मंद हूँ कि यहाँ
बड़ी तवज्जो से सुनते हैं ख़ाकसार की बात
जहाँ जहाँ भी गये हमने ये ही देखा है
'उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्हीं के प्यार की बात'
तुम्हारे जैसी तो हिम्मत नहीं किसी में 'समर'
है किस में ताब जो टालेगा शह्रयार की बात
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शिज्जु "शकूर"
इन आँसुओं की कहानी वो आबशार की बात
जहान से है जुदा इस दिल ए फिगार की बात
तुम अपनी सोच पे थोड़ा विचार कर लेना
कि इश्क़ में नहीं होती है जीत-हार की बात
किसी का रद्दे अमल तो नहीं दिखा लेकिन
असर कोई तो दिखाएगी ख़ाकसार की बात
फ़क़त ये वक्त ही बदला है इतने बरसों में
अभी तलक नहीं बदली है मेरे यार की बात
जहाँ बदल गया क़ासिद को दें ज़रा आराम
नए तरीके से हो हिज्र ओ इंतज़ार की बात
दिखे हर एक वरक़ पर तेरी किताब में बस
"उन्हीं की आँखों के किस्से उन्हीं के प्यार की बात"
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गिरिराज भंडारी
नहीं, अभी तो न कीजे मियाँ करार की बात
अभी फज़ाओं में तारी है जीत हार की बात
खुली ज़बाँ से यहाँ हो रही है जार की बात
हमारे हो के हमीं से करे हैं रार की बात
मेरे ही दाँत मेरी जीभ के मुखालिफ हैं
करूँ तो कैसे, बता अब, मेरे दियार की बात
वहाँ के खून में शामिल है जंग के कीड़े
नहीं, न छेड़ वहाँ यार मेरे प्यार की बात
ख़ज़ाँ की बांह बहुत दूर तक है फैली हुई
दबी ज़बाँ से भी करना नहीं बहार की बात
जो दर्या सूख चुका है अजल से बस्ती का
ब क़द्र ए शौक़ करें आ उसी की धार की बात
हरेक चेह्रे पे है दाग़ तीर ओ ख़ंज़र के
हरेक, दिल में है नफरत, ज़बाँ में प्यार की बात
मुझे सुकून है गुमनामियों में रह कर भी
जिसे न आये सुकूँ, कर ले इश्तिहार की बात
वो मुझको भूला है बरसों से, मैं करूँ कब तक
" उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात "
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Dr Manju Kachhawa
बताऊँ आज तुम्हें आओ! एक बार की बात
ये है गुलों के, बहारों के इक दयार की बात
न मंज़िलें ही मिलीं , ये है बार-बार की बात
हैं रहगुज़र के ही किस्से या है ग़ुबार की बात
ये दिल तो कहने में है आपके ही जब, तो फिर!
है रायगाँ ही इसे कहना इख़्तियार की बात
यकीं रहा नहीं वादे पे अब मुझे तेरे
तू कर ही मत कोई मुझसे तो एतबार की बात
ख़िज़ां ने साथ दिया मुस्तक़िल यही सच है
है बेवफ़ा, यही इतनी सी है बहार की बात
तेरे भी दिल का वही हाल होता जो है मेरा
न होती लब पे हमारे कोई क़रार की बात
पुराने लगने लगे आसमाँ , ज़मीं, ये जहाँ
कि छेड़ो आज कोई इस जहाँ के पार की बात
सुकून देते थे आमाल हिज्र में ये ही
'उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्हीं के प्यार की बात'
अदावतें न रखें दिल में हम किसी के लिए
मिलें ख़ुलूस ही से और फ़क़त हो प्यार की बात
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Kalipad Prasad Mandal
ज़माने में कभी हमने किया है प्यार की’ बात
हज़ार बार किया है वही करार की’ बात |
बचोगे’ तुम भी’ नहीं वक्त बेवफा तो नहीं
गुनाह ने नहीं भूला गुनाहगार की’ बात |
किसान है निरा’ निर्बल, को’ई नहीं है’ सहारा’
गरीब क्या करे’ माना ज़मीनदार की’ बात |
चिढन जलन है’, बहुत है, सभी उन्ही के’ मन में’
खटास और भी’ है, फ़क्त नागवार की’ बात |
भरोसा अब नहीं’, उसने किया गुनाह अक्षम्य
पड़ोसी’ था, यही’ थी फ़क्त एतबार की’ बात |
नहीं पसंद उन्हें बात चीत कुछ करे’ और
उन्ही की’ आँखों’ के’ किस्से उन्ही के’ प्यार की’ बात |
बुझा बुझा सा’ है’ चेहरा, विषाद युक्त ललाट
उदास क्यूँ हो’ बताओ वो’ बेकरार की’ बात |
तुम्हे किया है’ बहुत दूर क्रूर वक्त ने’ हम से’
नसीब में नहीं’ थी यार ते’री प्यार की’ बात |
ये’ हुस्न तीक्ष्ण नयन क़त्ल के ही’ अस्त्र हैं’ सारे’
शबे विशाल में’ यौवन अदम कटार की’ बात |
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Tasdiq Ahmed Khan
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यही तो गम है वो करते हैं एतबार की बात |
मगर कभी नहीं करते हैं हम से प्यार की बात |
जहाँ पे बागबाँ सुनता हो सिर्फ़ खार की बात |
वहाँ पे फूल करें किस तरह बहार की बात |
मेरी ही होती हैं क्यूँ आज़माइशें यारो
जबां से करता हूँ मैं जब भी इख्तियार की बात |
मिलन के बारे में सोचे भी किस तरह आशिक़
हसीं तो करते हमेशा हैं इंतज़ार की बात |
सदा ही ज़िकरे क़ियामत के वक़्त याद आएँ
उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्हीं के प्यार की बात |
सितमगरों की यह बस्ती है लोग कहते हैं
यहाँ न करना किसी शख्स से दुलार की बात |
लगाई बाज़ी मुहब्बत की जैसे ही हम ने
अज़ीज़ करने लगे जीत और हार की बात |
यही तो फितरते रह्बर है मिलतेही कुर्सी
वो भूल जाते हैं दानिस्ता रोज़गार की बात |
अजब है वादाखिलाफी है जिसकी फ़ितरत में
वो कर रहा है फक़त क़ौल और क़रार की बात |
तअललुक़ात अगर बर क़रार रखने हैं
न क़र्ज़ दार से करना कभी उधार की बात |
सुनाएँ दास्ताँ तस्दीक़ हम भला किस को
सभी के लब पे है महफ़िल में अपने यार की बात |
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Ahmad Hasan
ज़माना रोज़ करे है उसी दयार की बात |
ज़रूर इस में छुपी है किसी से प्यार की बात |
हसीं से चेहरा -ए -ज़ेबा पे किस लिए गाज़ा
हमें तो भाती नहीं है तेरे सिंगार की बात |
उन्हीं की ज़ूलफ़े गिरहगीर के हर सू चर्चे
उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्हीं के प्यार की बात |
हैं और भी तो ज़माने में खूब तर खूबां
तुम्हें है एक की रट और हमें हज़ार की बात |
नज़र के दाम जो देखा तो ज़ुलफे पेचा को
गिरह लगा के कहा उसने कर शिकार की बात |
जहाँ सभी के हों ओछे से तुच्छ तुच्छ विचार
वहाँ पे कैसे हो संभव खुले विचार की बात |
हैं अस्ल गाज़ा के उत्पाद भी कहाँ अहमद
हमें तो भाती है बस क़ुदरती निखार की बात |
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munish tanha
अगर है प्यार करो तभी करार की बात
नहीं तो छोड़ दो बेकार है दुलार की बात
गुजर गयी सदियाँ मगर मुहब्बत है
उसी के राज में चलती सदा बहार की बात
मिली न हो जिसे रोटी भला वो क्या बोले
उसे कहाँ लगे अच्छी यहाँ दयार की बात
किया है प्यार में वादा न अब जुदा होंगे
हमें तो बस है मुहब्बत करो न खार की बात
खुदा ने सोच के दुनिया बनाई है साहिब
करे न आज से कोई यहाँ तो वार की बात
रहा है काम न कोई उन्हींकी चर्चा के
उन्हीं की आंख की बातें उन्हीं के प्यार की बात
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जयनित कुमार मेहता
खिज़ा के रुत में न कर ऐसे तू बहार की बात
हमारे दिल को चुभा करती है क़रार की बात
कोई क़दम भी उठाए तो कोई बात बने
ज़बाँ से तो यूँ सभी करते हैं सुधार की बात
उसी की जीत के चर्चे हैं अब जिधर देखो
कि जिसने हार न मानी थी सुन के हार की बात
न तुमने देखा, न उसने, न मैंने देखा है
वज़ूद उसका है सिर्फ एक ऐतबार की बात
बिछड़ के उनसे सुनाता हूँ मैं सभी को अब
"उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात"
ये शेरो-शाइरी की मेह्रबानियां हैं जो
पहुँच रही है सरे-बज़्म ख़ाकसार की बात
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
बड़ा खुदा से न कोई ये ऐतबार की बात,
बड़ी खुदा से मोहब्बत ये जानकार की बात।
लगा है जब से ये फागुन चली धमार की बात,
दिलों में छाई है होली ओ रंग-धार की बात।
जिधर भी देखिए छाई छटा बसन्त की आज,
फ़िज़ा का हर ही नज़ारा करे बहार की बात।
अगर जहाँ में कहीं पे नज़ारे जन्नत के,
जहाँ चिनार खड़े और देवदार की बात।
मची है धूम चुनावों की देखिए जिस ओर,
किसी की जीत की अटकल किसी की हार की बात।
करूँ जो लाख मैं कोशिश सहूँ सितम उनके,
मुकाम-ए-इश्क़ का मिलना न इख़्तियार की बात।
मैं गीत और ग़ज़ल में पिरौता हूँ केवल,
उन्हीं की आँखों के किस्से उन्हीं के प्यार की बात।
जो जाम इश्क़ का पीया वो लब से छलके अगर,
वो प्यार का नहीं किस्सा वो इश्तहार की बात।
बाज़ार में न ये बिकती किराये पे न मिले,
रही कभी न मुहब्बत खरीददार की बात।
सुनो वतन के जवानों न पीछे हटना कभी,
कभी वतन के लिए गर हो जाँ निसार की बात।
अगर किसी ने मुहब्बत किसीसे की सच्ची,
'नमन' कभी ये नहीं सिर्फ़ एकबार की बात।
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अरुण कुमार निगम
करो वही जो कहे दिल, सुनो हजार की बात
खिजाँ का दौर भी हो तो, करो बहार की बात ।
न हौसलों में कमी हो, मिलेगी जीत तुम्हें
जुबाँ पे भूल के आये, कभी न हार की बात ।
चुनावी दौर में यारों, मिलेंगे ख़्वाब हसीं
यही तो होता हमेशा, ये है प्रचार की बात ।
शवाब खूब खिलेगा, न होंगे तुमसे हसीं
अजी फरेब करे है, ये इश्तिहार की बात ।
जली वो डायरी जिसमें, लिखे हुए थे कई
उन्हीं की आँखों के क़िस्से, उन्हीं के प्यार की बात ।
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surender insan
है इल्तिज़ा न करो आज इंतज़ार की बात।
करो अगर तो करो आज आप प्यार की बात।।
कि हो रहा है भला क्यों उदास दिल मेरा।
जी चाहता है कि सुनता रहूँ मैं यार की बात।।
उदास रहने की आदत जिसे पुरानी है।
कभी उसे तो न अच्छी लगे बहार की बात।।
जिसे फ़रेब मिला उम्र भर ज़माने से।
वो शख़्स आज भी करता है एतबार की बात।।
जो दोस्ती है निभाते सदा दिलो जां से।
कभी वो लोग न करते है यार मार की बात।।
डरे कभी न परेशानियों से आप कभी।
रखे है नेक इरादे करे न हार की बात।।
नया नही था यूँ महफ़िल में आज भी कुछ ख़ास।
"उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात"।।
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Ravi Shukla
न इश्क हो न करे कोई प्यार व्यार की बात,
पियें पिलाएं करें रोजो शब खुमार की बात।
तमाम फूल चमन में करें बहार की बात।
हमारे हिस्से में आई है ख़ार ख़ार की बात,
कदम कदम पे शिकस्ता दिली हमारी है,
वरक़ वरक़ पे लिखी है ज़फ़ा शिआर की बात।
जवाब तुमको भी देना है हश्र में यारो,
तुम्हें भी काश समझ आये उस दियार की बात।
वफ़ा यकीन कसम अश्क दीद और वादे,
इन्हीं के बीच से निकली है इंंतज़ार की बात।
तमाम राह कटी है ख़ुदा ख़ुदा करके,
समझ न आई हमें कुछ पसे गुबार की बात।
मैं जानता हूँ हकीकत जुबाँ के ज़ख्मों की
लगी है फिर भी ये मरहम सी ग़म गुसार की बात।
कहा जो उससे जुदाई का दौर ख़त्म करो,
सुनी न उसने खुद अपने ही इख्तियार की बात।
जहाँ जहाँ भी गये हमने बस यही देखा,
उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात।
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डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
तमाम इश्क में करते हैं सब करार की बात
किसी से होती नहीं उसके कुछ वकार की बात
बड़ा बखान हैं करते शरूर का सभी तो
मगर नहीं कोई करता कभी खुमार की बात
नहीं किया कभी तौबा शराबे इश्क से उसने
कबूल खुद किया है ये कभी कभार की बात
कभी-कभी बड़ी हिम्मत से मैं गया हूँ वहां
मगर मैं कैसे करूं उससे आर-पार की बात
नहीं है सूझता कुछ बेखुदी में उनके सिवा
उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात
यकीन मानिये अब तो जरूर शर्म आती है
करें तो फिर कैसे हम उनसे अब उधार की बात
उसे उड़ा के कही दूर ले गया कोई
मुझे भली नहीं लगती दयारे-यार की बात
है उनकी रात मुनव्वर हसीन तारों से
उन्हें डराती है हर रोज अन्धकार की बात
बहुत गुबार भरा है जख्म-ए-दिल में अभी
करूंगा मैं ही कभी उससे दिल-गुबार की बात
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सतविन्द्र कुमार राणा
सही नहीं है सभी से हमेशा रार की बात
ज़ुबाँ में शीर हो दिल से निभाओ प्यार की बात
मिटा रहा है जो खुद को जमाने की खातिर
नहीं हैं भातीं उसे बाग-ओ-बहार की बात
सहोगे जुल्म कहाँ तक चलो उठो जागो
निकालो जह्न से अब खुद के बाजदार की बात।
लिखे हुए हैं ये औराक़ पर मेरे दिल के
*उन्हीं की आँखों के किस्से उन्हीं के प्यार की बात*
लुटा के प्यार को दुनिया जिन्होंने जीती है
न देखा है उन्हें करते कभी कटार की बात
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Hemant kumar
नहीं है अच्छा हरिक रोज हमसे खार की बात,
कभी तो प्यार से कर लेते हमसे प्यार की बात।
वो जख्मों को जो हरा करते हैं बता दो उन्हें भी,
किया नहीं वो कभी करते है बहार की बात।
जरा उठा दे कोई परदा इन बे कदरो के सर से,
जो दंगा करते है फिर करते है वो ज़ार की बात।
उड़ाया कर मेरी बातों का भी मजाक मगर तू,
ना इतना करना कभी तू मगर गुसार की बात।
दिलों में आग लगाते देखी है दुनिया हेमंत,
जो उजले है वो ही करते है जाना ख़्वार की बात।
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rajesh kumari
न गुलसिताँ न गुलों में हुई बयार की बात
न वादियों में बची अब कोई बहार की बात
न कीजिये किसी उल्फ़त में इन्तजार की बात
यहाँ पे हो गई बेमानी प्यार व्यार की बात
जुबाँ जुबाँ पे चढ़े हैं बवाल के किस्से
न गुनगुनाती वो झेलम न आबशार की बात
बस इक बवाल का मफ़्हूम याद है उनको
न खेल कूद पढाई न रोजगार की बात
लहू लहू में जहाँ दौडती बगावत हो
है रायगा ही वहाँ अम्न औ करार की बात
सहम सहम के जवाँ हो रहे शजर देखो
न देवदार की बातें न वो चिनार की बात
न गूँजती है हँसी अब यहाँ फिजाओं में
हरेक सिम्त शिकारी करें शिकार की बात
न अख्तियार जमीं पर न आसमां पे कोई
करेगा अब यहाँ कैसे कोई दयार की बात
सबूत आज भी मिलते मुहब्बतों के यहाँ
उन्हीं की आँखों के किस्से उन्हीं के प्यार की बात
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मोहन बेगोवाल
यहाँ मिली है हमेशा ही राह खार की बात
बहार आई न तो क्यूँ करें बहार की बात
रहा हवा को सूनाता तेरी यहाँ जमाने को
सुना मुझे वो तो करता ज़रा इकरार की बात
गुजर गई जो नहीं थी सदा, मगर रही अपनी
"उन्ही की ऑंखों के किस्से उन्ही के प्यार की बात"
यहाँ मिले वो जरूरी अगर तलाश हो उसकी
अगर नहीं तो होती यहाँ गुबार की बात
नगर बदल रहा मेरा मुझे दिखाई तो देता
अगर बदल नहीं जाता हो आर पार की बात
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Mahendra Kumar
ये मौसमों के हँसी क़िस्से, ये बहार की बात
जहाँ है वो, वहीं हूँ मैं, वहीं है प्यार की बात
उसी की याद दिलाए, उसी का नाम पुकारे
ये धड़कनों का जवां शोर, ये क़रार की बात
जला के रूह को रंगों में थोड़ी रौशनी भर दो
कि थोड़ी साफ़ हो जाए दिले निगार की बात
ग़ज़ल के लफ्ज़ में तस्वीर उनकी, रंग उन्हीं का
"उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्हीं के प्यार की बात"
वो खिड़की खोल दो थोड़ी, दिया ये क़ब्र पे रख दो
हवाएँ लायीं हैं देखो दयारे यार की बात
जहाँ पे ढूँढ रहे हो, वहाँ मिलेगी नहीं
हमारे दोस्तों के बीच ऐतबार की बात
किसी ने पूछा कि क्या है ग़ज़ल तो कह दिया उसने
वफ़ा के खोखले मिसरों में प्यार व्यार की बात
बदल के चैनलों सा इस तरह निकल गए आगे
हो जैसे ज़िन्दगी ये मेरी इश्तिहार की बात
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मिथिलेश वामनकर
जिसे वो कहते हैं- ये है नए सुधार की बात
नया प्रपंच है उनका, ये है विचार की बात
समान अवसरों का अर्थ क्या है, यूँ समझो
सितार ध्यान से कहता, हरेक तार की बात
तू सोचती है मुझे और सोचता मैं तुझे
इन्ही दो पंक्तियों के मध्य में है प्यार की बात
नवीन पथ का किया जब चयन किसी ने तो
समाज करने लगा उसके बहिष्कार की बात
मना जो करना है, सीधे ही तुम मना कर दो
भला क्यूँ व्यर्थ में करते हो सौ प्रकार की बात
अभी तो बीज को अँकुए से कुछ निकलने दो
अभी न खेत से करना कोई तुषार की बात
भला हृदय की कहें पीर हम उन्हें कैसे ?
वो घाव देख के करते सदैव क्षार की बात
नगर - नगर ही नहीं हर गली मुहल्ले में
"उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात "
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दिनेश कुमार
परख के देखो सियासी दुकानदार की बात
जुदा मिलेगी हक़ीक़त से इश्तिहार की बात
ख़ज़ाँ को मौसमे-गुल औ'र गुलों को ख़ार कहे
गले से उतरे भला कैसे शह्रयार की बात
किसी के मेहंदी लगे हाथ ज़हन में आये
समाअतों में थी उभरी ज़रा चनार की बात
तमाम उम्र सराबों की ख़ाक छान के भी
मेरे लबों पे थिरकती है आबशार की बात
दिले-तबाह से अफ़्सुर्दगी की बात करो
कि इस पे क़ह्र बपा कर न दे बहार की बात
शजर से टूट चुका एक बर्ग-ए-ज़र्द हूँ मैं
मेरी रविश है कहाँ मेरे इख़्तियार की बात
'दिनेश' अहल--ए--मोहब्बत उन्हीं के रंग में हैं
'उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्हीं के प्यार की बात'
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Dr Ashutosh Mishra
कभी तो यार करो कोई ऐतवार की बात
जरूरी प्यार से पहले है यार प्यार की बात
है तोड़ तितलियों भँवरों का दिल चमन में यूं
सही न लगता मुझे करना ये बहार की बात
चुनाव आते ही लगता बदल गया सब कुछ
हुयी सपा से है पंजे के इस करार की बात
न आँखें वो न वो उल्फत तो क्यूँ करें हरदम
उन्ही के आँखों के किस्से उन्ही के प्यार की बात
तुम्हारे पास जो उसकी नहीं कदर तुमको
मिली जो बांसुरी करते हो तुम सितार की बात
समन्दरों से भी गहरा है इल्म का सागर
हयात जाये गुजर आये जब निखार की बात
कभी तो फ़ूल के जैसे भी पेश आया करो
कभी तो देख तुम्हें भूल पाऊँ खार की बात
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नादिर ख़ान
कभी तो तुम भी करो मुझसे एतबार की बात
शिकायतें भी करो कुछ मगर हो प्यार की बात
बहुत गिनाते हो मुझको मेरी कमी लेकिन
कभी तो खुद में भी करते ज़रा सुधार की बात
न जाने मेरी परेशानियों का हल कब निकले
सुना रहा है यहाँ हर कोई सुधार की बात
मेरा तो साथ गवारा न था कभी जिनको
करे है आज वो खुद में मुझे शुमार की बात
है आसमान उन्ही का उन्ही की है ज़मीं भी
न करना उड़ते परिंदों से अब दयार की बात
घरों की रौनकें ज़िन्दा हैं बेटियों से ही
कि फूलों के बिना होती नहीं बहार की बात
किया न मैंने उसूलों से आजतक सौदा
न कर तू मुझसे सरेराह यूँ उधार की बात
रहा न याद मुझे कुछ मगर ये याद रहा
उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात
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अजीत शर्मा 'आकाश'
कहो न हमसे तुम अब और इन्तज़ार की बात ।
कभी तो हँस के करो यार, प्यार-व्यार की बात ।
हसीं लबों से, कि ज़ुल्फ़ों से, या कि आँखों से
शुरू कहाँ से करूँ, अब मैं हुस्ने यार की बात ।
इसी का नाम सियासत है तुम ये क्या जानो
लगा के आग जो की जाती है मल्हार की बात ।
फ़क़त लुभाने की ख़ातिर हैं सारे हथकण्डे
हटाओ, फेंको भी कूड़े में इश्तिहार की बात ।
किसी जगह नहीं महफ़ूज़ आजकल कोई
सुनायी पड़ती है हर ओर लूटमार की बात ।
हरेक जगह पे खि़ज़ाँ की है हुक्मरानी क्यों
सुनायी देती नहीं अब कहीं बहार की बात ।
सुकूने-दिल के लिए हम तो रोज़ करते हैं
[[उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात]]
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जिन गजलों में मतला या गिरह का शेर नहीं है उन्हें संकलन में जगह नहीं दी गई है इसके अतिरिक्त यदि किसी शायर की ग़ज़ल छूट गई हो अथवा मिसरों को चिन्हित करने में कोई गलती हुई हो तो अविलम्ब सूचित करें|
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जनाब राणा प्रताप सिंह साहिब , ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक _8o के संकलन के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं I
जनाब राण प्रताप सिंह जी आदाब,'ओबीओ लाइव तरही मुशायरा'अंक-80 के संकलन के लिए बधाई स्वीकार करें ।
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