For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मित्रों आप सबके समक्ष है नए सालका नया तोहफा एक नए कोने के माध्यम से| प्रस्तुत है भूले बिसरे गीतों की कहानी " गीत भूले बिसरे"| प्रतिदिन साईट में दाहिनी तरफ परिवर्तित होने वाला यह कोना आप सबको ऐसी पुरानी यादों में ले जायेगा जो मष्तिष्क के किसी कोने में अब भी तरो ताज़ा
हैं| ऐसे गीत जिन्हें जिन्हें ज़माने में उडी धूल की परतों ने धुंधला कर
दिया है, जिन्हें  सुनकर पुराने दिन चोले बदल कर सिरहाने आ बैठते हैं, दिल
के कसी कोने में एक हलचल सी मचाती है| आपकी यादों के इन्ही घरौंदों को बचा
कर रखने की एक कोशिश है " गीत भूले बिसरे"|

*मुख्य पृष्ठ पर स्थान उपलब्ध करने के लिए OBO प्रबंधन को भी बहुत बहुत धन्यवाद|

आशा है आपको यह प्रयास बहुत पसंद आयेगा|

इस कोने के बारे में अपनी प्रतिक्रया से ज़रूर अवगत कराएं|

 

आपका अपना

(राणा प्रताप सिंह)


Views: 6987

Reply to This

Replies to This Discussion


दोस्तों आज जो गीत प्रस्तुत करने जा रहे है वह 1971 में बनी फिल्म गैम्बलर से है, इस गीत को स्वर दिया है किशोर कुमार ने ,गीतकार हैं नीरज और संगीतकार हैं सचिन देव बर्मन


गीत है... दिल आज शायर है, गम आज नगमा है

 

 

 

दोस्तों आज जो गीत प्रस्तुत करने जा रहे है वह 1973 में चेतन आनंद द्वारा निर्देशित फिल्म हंसते ज़ख़्म से है, इस गीत को स्वर दिया है बलबीर और मोहम्मद रफ़ी ने ,संगीत निर्देशक हैं मदन मोहन  

गीत है-- ये माना मेरी जान मोहब्बत सज़ा है, मज़ा इसमे इतना मगर किसलिए है.

 

 

दोस्तों आज जो गीत प्रस्तुत करने जा रहे है वह 1967 में मनोज कुमार द्वारा निर्देशित फिल्म उपकार से है, इस गीत को स्वर दिया है मन्ना डे ने ,संगीतकार हैं-- इंदीवर, कल्याण जी- आनंद जी
गीत है- कसमे वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या...

 

 

दोस्तों आज की प्रस्तुति है 1966 मे शहीद लतीफ द्वारा निर्देशित बहारें फिर भी आएँगी से... संगीतकार हैं ओ.पी. नय्यर और गीतकार हैं शेवेन रिज़वी और अज़ीज़ कश्मीरी...

गीत है--- आपके हसीन रुख़ पे आज नया नूर है, मेरे दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर है....

 

 


दोस्तों आज की प्रस्तुति है 1959 मे के आसिफ़ द्वारा निर्देशित फिल्म मुगल-ए-आज़म से... स्वर दिया है मोहम्मद रफ़ी ने...संगीत निर्देशक हैं नौशाद और गीतकार हैं शकील बदायानी

गीत है-- ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद ए मोहब्बत ज़िंदाबाद

 



होली के मौसम मे और होली के रंगीन माहौल के बीच आज की प्रस्तुति है फिल्म सिलसिला (1981) से...इस गीत को स्वर से सजाया है खुद अमिताभ बच्चन ने....संगीत है शिव हरी का....

गीत है-- रंग बरसे भीगे चुनर वाली रंग बरसे...

 


आदरणीय शारदा जी, आप के महत्वपूर्ण विचार हेतु हम आभारी है, हमें अच्छा लगता है कि सदस्य अपने बेबाक विचार से हमें अवगत कराते है और यह आपके OBO पर ही संभव है |    

 

OBO का उद्देश्य आज भी वही है जो कल था, कल भी हम लोग साहित्य को और साहित्यकारों को बढ़ावा देने हेतु प्रयत्नशील थे और आज भी है, हमारी सारी गतिविधिया पूर्व की भाति संचालित है | 

 

गीत भूले बिसरे के माध्यम से हम लोग उन साहित्यकारों और कलाकारों को नमन करते है जो भारतीय संगीत जगत को नई उचाईयों पर पहुचाया है और दुनिया में उनके बदौलत भारतीय सिनेमा उद्योग  कृतिमान स्थापित कर रहा है |

 

यदि सदस्यों को लगता है कि OBO का यह कदम सार्थक नहीं है तो हम वादा करते है कि गीत भूले बिसरे को बंद कर दिया जायेगा | OBO परिवार के सदस्यों से उनके विचार आमंत्रित है |

आर पी साहब,
  
विचार अपने अपने हो सकते है..और एक अच्छी शुरुआत और एक ऐतिहसिक विचार अपने जन्म के समय एक छोटी सी आलोचना से खत्म हो सकता है.मैं मोहतरमा की राय से इत्तेफाक नहीं रखता हूँ...भूले बिसरे गीत लिखने पढने और सीखने का बहुत बेहतरीन मंच हो सकता है...आप सिर्फ गीतों की लिरिक और जिस बहर पर गीत लिखा गया है अवश्य दे दे...यह मंच अगर नए गुलजार न पैदा करदे तो मैं लेखन छोड़ दूंगा...कृपया कृपया कृपया कृपया ..भूले बिसरे गीत को जारी रखे...हाँ इसमें भाग लेने वाले सभी लोग गीतों को अप लोड नहीं कर पाएँगे पर सीखने समझने वाले बहुत होंगे...आशा करता हूँ एक बेहतरीन मंच को आप कभी खत्म नहीं होने देंगे...
 आपका
 प्रकाश पाखी 
 बहुत बहुत धन्यवाद पाखी साहिब, आपने अपने विचार से OBO प्रबंधन को अवगत कराये, आपका विचार प्रबंधन को और अच्छा करने हेतु अवश्य प्रेरित करेगा |

होली के मौसम मे और होली के रंगीन माहौल के बीच आज की प्रस्तुति है फिल्म शोले (1975) से...इस गीत को स्वर से सजाया है आशा भोंसले और किशोर कुमार ने...संगीत निर्देशक हैं आर.डी.बर्मन और गीतकार हैं आनंद बक्शी..

गीत है-- होली के दिन दिल खिल जाते हैं रंगों मे रंग मिल जाते हैं....

 

 

साथियों आज की प्रस्तुति है प्रकाश मेहरा द्वारा निर्देशित फिल्म मुक़द्दर का सिकंदर (1978) से...इस गीत को स्वर से सजाया है किशोर कुमार ने...संगीत निर्देशक हैं कल्याणजी आनंदजी और गीतकार हैं अंजान]

 

गीत है-- ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना..

 



साथियों आज की प्रस्तुति है बी. आर. चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म निकाह (1982) से...इस गीत को स्वर से सजाया है पाकिस्तानी गायिका सलमा अगा ने.....संगीत हैं रवि शंकर का और गीतकार हैं हसन कमल/

गीत है-- दिल के अरमान आंशुओं मे बह गये..हम वफ़ा करके भी तन्हा रह गये..

 

 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service