For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय
Open Books on-line
पर मेरी यह पंक्तियाँ अशुद्ध घोषित की गईं -
बताया गया कि
व्यवहारिक शब्द गलत है-
इसके स्थान पर व्यावहारिक होना चाहिए-
इस प्रकार से मात्राओं की गणना को गलत बताकर मेरी मौलिक और अप्रकाशित रचना को अनुमोदित नहीं किया गया-
जहाँ तक मुझे पता है यह दोनों रूप-
सही हैं-
आप क्या कहते हैं-
सादर
--रविकर
मर्यादित वो राम जी, व्यवहारिक घन-श्याम ।
देख आधुनिक स्वयंभू , ताम-झाम से काम ।
ताम-झाम से काम-तमाम कराते राधे ।
राधे राधे बोल, सकल हित अपना साधे ।
बेवकूफ हैं भक्त, अजब रहती दिनचर्या ।
कर खुद गीता पाठ, रोज ही जाकर मर-या ।।

Views: 7369

Reply to This

Replies to This Discussion

आदरणीय रविकर जी,आपकी रचना (कुण्डलिया) प्राप्त हुई थी, जिसपर एडमिन द्वारा आप को दिनांक 13 जनवरी 13 को ही पत्र दिया गया था, जो निम्न है .............

//मर्यादित वो राम जी, व्यवहारिक घनश्याम ।
कृपया एक बार देख लें, शायद "व्यावहारिक" सही शब्द होता है, इस प्रकार मात्रा 13-11 की जगह 13-13 हो रही है |
पुनः सुधार कर अनुमोदन हेतु भेजे |//

इसके प्रतिउत्तर में आपने कुछ भी नहीं लिखा और आज आप द्वारा फोरम में यह बात उठाई गयी है । आपके मंतव्य को प्रतिष्ठा देते हुए आपके पत्र को अनुमोदित किया जाता है ।  यदि आपने कहा होता कि " रचना सही है " तो आपकी रचना हू-ब-हू अनुमोदित कर दी गई होती, क्योंकि ओ बी ओ के मंच पर आपको एक तरह से कुण्डलिया विधा में निष्णात और माहिर जाना जाता है ।

आदरणीय रविकर जी | ओबीओ पर आपसे सत्य ही कहा गया है क्योंकि जिस शब्द में ‘इक’ प्रत्यय लगा कर हम उसका विशेषण बनाएंगे, तो उसका पहला वर्ण द्विमात्रिक या गुरु हो जाएगा। जिस प्रकार भूगोल से भौगोलिक,  देह से दैहिक, शिक्षा से शैक्षिक, इच्छा से ऐच्छिक, विज्ञान से वैज्ञानिक, इतिहास से ऐतिहासिक समाज से सामाजिक होता है उसी प्रकार व्यवहार से व्यावहारिक ही होना चाहिए |

ओबीओ पर किसी भी प्रकार की शिकायत सदैव 'सुझाव एवं शिकायत' समूह में ही दर्ज करानी चाहिए | क्योंकि यह इसके लिए सही जगह नहीं है | सादर

आदरणीय --


मारुति प्रकाशन मेरठ के मेगा हिंदी शब्द-कोष संकलन-कर्ता आबिद रिजवी के पेज क्रमांक ९२६ पर व्यवहारिक और ९२७ पर व्यावहारिक दोनों शब्दों को देख रहा हूँ-
सादर -

व्यवहारिक/ व्यावहारिक :

आपने उक्त शब्दकोश में सही देखा है, आदरणीय रविकर जी. मारुति प्रकाशन के कोश में ही नहीं कतिपय उन शब्दकोशों में भी दोनों ही शब्दों को देखा जा सकता है जो संस्कृत-शब्दों को मान देते हैं.

व्यवहारिक - विशेषण [संस्कृत] - कारबार संबन्धी, कारबार या कारोबार में लगा हुआ, कानून-संबंधी, मुकदमेबाज़ । एक तथ्य यह भी है कि शब्द व्यवहारिकजीव (केवल व्यवहारिक नहीं) वेदांत का शब्द है जिसका तात्पर्य ज्ञानमय कोष की आत्म-संज्ञाओं से है.

व्यावहारिक - विशेषण [संस्कृत] - समझभरा जीवन, व्यवहार आदि में पारंगत, साधारण जीवन जीने वाला, व्यवहार में आने लायक, वास्तविक, मिलनसार । कई संदर्भों में व्यवहारिक शब्द से शब्द ऋण जुड़ जाय तो तात्पर्य व्यवसाय आदि के लिए लिया गया ऋण होता है. लेकिन यह व्यवहार का मामला अधिक लगता है वर्ना इस सामासिक शब्द को मूल अर्थ के अनुसार व्यवहारिक-ऋण कहना अधिक उचित होगा.

मेरा निवेदन निम्नवत् है, आदरणीय -

१. मर्यादित वो राम जी, व्यवहारिक घन-श्याम  पंक्ति में इन दोनों शब्दों में से अब किस शब्द का प्रयोग उचित होगा, यह आपको भी भान हो गया होगा. घनश्याम पंक्ति के प्रथम चरण में प्रयुक्त राम के संदर्भ में है. इन संदर्भों में घनश्याम के लिए प्रयुक्त विशेषण (गुण) व्यवहारिक तर्कसंगत नहीं हो सकता. वह व्यावहारिक ही होना चाहिये.

२.  यहाँ अब प्रश्न क्या है, आदरणीय ? शब्दों, उनके होने और उनकी प्रतिष्ठा को ले कर प्रश्न हैं या शब्दों के व्यावहारिक प्रयोग को लेकर प्रश्न हैं ?

३. एक बात जो विशेष रूप से दीख रही है, वह है घनश्याम और घन-श्याम शब्दों का प्रयोग. आदरणीय रविकरजी, आपने मूल रचना में घनश्याम शब्द का प्रयोग किया है. (ऐसा मूल प्रस्तुति से ज्ञात है). जबकि आपकी बाद की प्रस्तुति में घन-श्याम शब्द का प्रयोग हुआ है.

स्पष्ट है, कि घनश्याम या घन-श्याम सामसिक शब्द हैं.

         घनश्याम - घन (के वर्ण) जैसा श्यामपन वाला है जो अर्थात कृष्ण.  यह बहुव्रीहि समास हुआ.

         घन-श्याम - यह द्वंद्व समास का उदाहरण है. यानि,  लोटा-डोरी, दाल-भात, गौरी-शंकर, सीता-राम आदि के लहजे में. यानि घन और श्याम.  इस हिसाब से घन-श्याम शब्द कदापि कृष्ण को इंगित नहीं करता. जबकि आपकी पंक्ति के दूसरे चरण का भावार्थ कृष्ण की अपेक्षा करता है.

अब हम आप द्वारा व्यवहृत पंक्ति की मात्राओं पर विचार करें .

मर्यादित वो राम जी, व्यवहारिक घनश्याम  (मूल पंक्ति)

प्रथम चरण में मात्रा -  १३

द्वितीय चरण में मात्रा - १२

मर्यादित वो राम जी, व्यवहारिक घन-श्याम  (संशोधित पंक्ति)

प्रथम चरण में मात्रा - पूर्ववत १३

द्वितीय चरण में मात्रा - ११

आदरणीय, हम शब्द के यमक रूपों में प्रयोग कर खूब रंजन करें.  किन्तु, शब्दों के अन्वर्थ (अर्थात, यथार्थ, स्पष्ट अर्थ) ही बिगड़ जायँ, या, अति-व्याकरण अथवा अति-नियमों के कारण छंदों में प्रयुक्त पंक्तियों के भाव ही मरने के कगार पर आ जायँ तो किसी रचनाकार द्वारा किया गया ऐसा पद्य-प्रयास वस्तुतः पद्य संसार में प्रेत-प्रयास की श्रेणी का माना जाता है. इसके ज्वलंत और मुखर उदाहरण केशवदास हैं, जिन्हें छंद-विद्वानों और पद्य-समीक्षकों ने ’पद्य का प्रेत’ या ’छंद का प्रेत’ की संज्ञा से विभूषित किया है. कारण तो आपको भी स्पष्ट होगा.

 

उपरोक्त तथ्यों से प्रतीत होता है कि ओबीओ के ऐडमिन या प्रधानसंपादक द्वारा आपकी प्रस्तुत रचना की मूल प्रस्तुति पर लिया गया निर्णय उचित है. 

 

एक निवेदन :   वरिष्ठ रचनाकार जिन्हें शब्दों पर और छंदों की कुछ विधियों में सिद्धहस्तता सी है, वे ओबीओ के ऐडमिन या प्रधान संपादक के निर्णय पर अनावश्यक प्रश्न न खड़ा करें. यह व्यक्तिगत मेल या व्यक्तिगत संवाद का विषय हो सकता है, न कि सार्वजनिक मंच पर उसकी चर्चा हो. या, ऐसे संशयों को पटल पर रखने के कई रूप हो सकते हैं. यथा,   विशेषण हेतु प्रयुक्त कौन सा शब्द उचित और शुद्ध है - व्यावहारिक या व्यवहारिक ?

सादर

सादर।।

विशेषण हेतु प्रयुक्त कौन सा शब्द उचित और शुद्ध है - व्यावहारिक या व्यवहारिक ?

बिलकुल..इस प्रकार अपनी बात को रखनी चाहिए थी।। आभार।।

सधन्यवाद कहूँ, तो आप संभवतः अपनी बात कह कर मेरे कहे पर आये हैं. है न ? .. :-))

वस्तुतः मैंने इस विन्दु पर एक सप्ताह पहले ही अपने मंतव्य दे दिये थे.

आपको मेरा कहा सार्थक लगा, मैं आभारी हूँ, मान्यवर.

क्षमा करें..ये दोनों शब्द चलते नहीं दौड़ते हैं..और केवल बोलचाल में ही नहीं साहित्यिक विधा में भी।। जैसे राजनैतिक और राजनीतिक भी दौड़ रहे हैं, दौड़ाए जा रहे हैं।।

हाँ...यहाँ एक बात है...अगर व्याकरण की दृष्टि से देखते हैं तो व्यवहार से बनने वाला विशेषण व्यावहारिक ही होगा...यहाँ यह भी ध्यान दें..यह हिंदी व्याकरण के आधार पर नहीं...संस्कृत व्याकरण के आधार पर। तो यहाँ संस्कृत की नहीं हिंदी की बात हो रही है..और हिंदी संस्कृत नहीं..एक भाषा ही है। एक बात आज तक मेरे समझ में भी नहीं आई कि क्यों हिंदी को संस्कृत के राह पर चलाने की कोशिश की जाती है...हिंदी को संस्कृत के नियमों में बाँधा जाता है..संस्कृत में नायक का संधि-विच्छेद होता है पर हिंदी के विद्धवान भी हिंदी में नायक का संधि-विच्छेद दर्शाते हैं..मुझे तो बस यह कहना है कि नायक संस्कृत का शब्द है और हिंदी ने इसे अपना लिया है...संस्कृत में इसका जो भी करें..करें...पर हिंदी पर थोपना ठीक नहीं।। 

एक बात और हिंदी क्या है...पहले लोगों को यह समझना चाहिए...फिर व्यवहारिक को गलत बताना चाहिए...इस प्रकार तो सूर, तुलसी, जायसी आदि महान संत-कवियों की रचनाओं में लोग बहुत सारे शब्दों को गलत ठहरा देंगे...या बोलेंगे की राम चरित हिंदी में नहीं अवधी में लिखा गया है...हिंदी..बनी ही है इन भाषाओं से...तो क्या इसमें इन भाषाओं के शब्दों को गलत कहा जाएगा।।

खैर मुद्दे पर आता हूँ...संस्कृत के नियम के अनुसार व्यावहारिक ही ठीक यानि मानक होगा...मैं भी सहमत हूँ पर संस्कृत में...व्यवहार का विशेषण व्यावहारिक होगा पर हिंदी की बात होगी तो दोनों ही चलेंगे...और ये दोनों शब्द आप को शब्दकोशों में मिल जाएँगे।

एक बात और जब कोई कवि अपने हृदय से निकले उद्गार को शब्दों में पिरोता है तो अगर वह शब्दों को चुनने में लग जाए तो वह रचना अवगाह बनती जाती है।। रचनाएँ ऐसी हों जो आम लोगों को भी आसानी से समझ में आएँ न कि इतना कठिन की लोग पढ़ने से बचें।।

अगर हिंदी की बात है तो हमें तुलसी के राम चरित को ध्यान में रखना होगा न कि आदि कवि के रामायण को और साथ ही संस्कृत के नियमों को हर जगह हिंदी में भी लागू करना ठीक नहीं। सादर आभार।।

कतिपय विन्दु मूल प्रविष्टि से इतर होने से हो सकता है कि अन्यान्य डाइवर्टेड विन्दुओं का कारण बनेंगे.  फिर तो आदरणीय रविकर भाईजी को अपने प्रश्न का सटीक उत्तर मिले तो मिले.. साथ ही साथ, घेलुआ की तरह एक नई परेशानी भी मिल जायेगी. हा हा हा..  

सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service