For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
ADMIN
OBO

Views: 74347

Reply to This

Replies to This Discussion

अविश्वसनीय . गहरा आघात . साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति. विनम्र श्रद्धांजलि.

विनम्र श्रद्धांजलि , ईश्वर उनकी आत्मा को शांति व उनके परिवार को इस संकट से उबरने की शक्ति प्रदान करे । अत्यंत दुखद 

अत्यंत दुखद समाचार
अन्दर से झकझोर दिया है इस दुर्घटना ने
पता नहीं ईश्वर को क्या हो गया है जो इस मंच से एक एक कर मोती चुराए जा रहे हैं
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें

ओह !
हृदयविदारक !!

बहुत प्यारे मित्र थे संजयजी 

अच्छे संभावनाशील रचनाकार थे 

उनका एक गीत जिसे गाते हुए मैं भी रोया ,  और सुन  कर वे भी !

"माना जीवन की डगर अगम.

पर व्यर्थ निराशा,
दिनकर भी तप कर ही स्वयं,
हरता है तम. 

जीवन जीना है बात और 
जीवन है कीट भी जी लेते 
पर संकट में ना हो हताश 
निश्चित है समर वही जीते 
जग एक कसौटी मानव को 
अविचल करते जाना है कर्म.
 
माना जीवन की डगर अगम..."

गीत सुनने के बाद संजय भाई ने मेल भेजी थी-
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
# "प्रतिक्रया विहीन पा रहा हूँ, स्वयम को....
आपके स्वर का गाम्भीर्य तो इस रचना को एक दूसरी ही दुनिया में ले कर आ गया है...
याद आता है संगीत एल्बम "श्रद्धांजली" में आद लता जी का अपने वरिष्ठ गायक आद. हेमंत कुमार के लिए कहा वाक्य कि "जब हेमंत दा गाते थे तो लगता था कोई साधू मंदिर में बैठा गा रहा हो" 
मुझे लग रहा है जैसे कोई  दरवेश सामने बैठा  राज-ए-हयात का बयान कर रहा है....
आपके स्वर में मेरी रचना (सच कहूं तो 'मेरी'  कहने में संकोच हो रहा है) ने लगता है, नया जन्म ले लिया है... शायद कुछ अजीब लगे आपको यह जानकर कि मेरी आँखे सजल हैं...
सादर....
आपका छोटा भाई."
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
...रुला कर चले  गए गए भाई
मगर इतना जल्दी ?!

भगवान परिवारजनों को आघात सहने की सामर्थ्य दे...
सजल नेत्रों से श्रद्धांजली !
ॐ शांति    ॐ शांति    ॐ शांति 

एक के बाद एक लगातार मंच के दो जिंदादिल रचनाकारों का निधन. कुछ दिन पूर्व ही महोत्सव में संजय जी के छंदों को पढ़ा और भूल भी न पाए कि यह दुखद समाचार. यकीन नहीं होता. संजय जी एक सशक्त रचनाकार थे और मंच पर मेरी पसंद के चुनिन्दा रचनाकारों में एक थे. अब जब उनकी सिर्फ स्मृतियाँ शेष हैं, मेरी ईश्वर से प्रार्थना है ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे और उनके परिवार को इस गिरि से आघात को सहने की शक्ति प्रदान करे. ॐ शान्तिः शान्तिः  शान्तिः !

एक पारिवारिक व्यक्तित्व, एक आत्मीय आवाज़ अब बस यादों के पन्नों का हिस्सा हो गयी. न कुछ कहते बन रहा है, न कुछ सुनते बन रहा है. आदरणीय योगराजभाईजी, यह क्या हुआ ? कितने अपने-अपने पल बाँटे थे हमने ! क्या कुछ नहीं साझा किया था उन्होंने ! व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक !
अपना आभासी परिचय मात्र नहीं था. ..

आदरणीय योगराजभाईजी, आज ठाने हुए अपने पारिवारिक समारोह में मैं कैसे निबाह कर पा रहा था, यह बस आप समझ सकते हैं. बार-बार आँखें नम हो रही थीं. सामाजिकता निभानी थी सो मैं बना था. अभी सारा कुछ निबटा कर ऑनलाइन हुआ हूँ.

ईश्वर संजय भइया के दोनों परिवारों को इस असीम दुःख को सहन कर सकने की अदम्य क्षमता दे. और, हमें उनकी रचनाधर्मिता के प्रति लगन के भाव को जीने की कला दे.
...........
...........
...........

ओह सख्त अफसोस! हबीब भाई भी साथ छोड़ गये, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और परिवार वालों को दुख सहने की शक्ति...आमीन

कुछ दिन पहले महोत्सव में संजय भाई हम सब के साथ थे और अचानक हम से बहुत दूर चले गये......... इतनी दूर कि...

भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार को सहन शक्ति।

ॐ शांति    ॐ शांति    ॐ शांति ...........

स्तब्ध हूँ ...

एक के बाद एक परिवार ने दो सदस्यों को इस तरह खो दिया ... दुखद

विनम्र श्रद्धांजलि

कुछ ही दिन पहले उन्हाेंने कह मुकरियाँ लिखी थी । ५० सर्वश्रेष्ठ कहमुकरियाें में  चार  ताे उनकी ही थीं । 

उन में से एक कह मुकरी थी : 

गोदी में सिर रख सो जाऊँ
कभी रात भर संग बतियाऊँ
रस्ता मेरा देखे दिन भर 
क्या सखि साजन? ना सखि बिस्तर

बिस्तर की गाेदी में सिर रख के साे जाने की उनकी घाेषणा असमय ही इस तरह साकार हाे उठेगी कर के किस ने साेचा था ! 

अत्यन्त दुखद । विनम्र श्रद्धांजलि अर्पण है ।  ईश्वर उनकी आत्मा को शांति व उनके परिवार को इस संकट से उबरने की शक्ति प्रदान करे !

अत्यन्त दुखद .... अत्यन्त हृदय विदारक ..... सशक्त रचनाकार भाई संजय मिश्रा 'हबीब' का यूँ चले जाना एक बड़ी क्षति है ..... उनके शोक-संतप्त परिवार को यह आघात सहन करने की शक्ति प्राप्त हो, यही कामना कर सकते हैं .... हार्दिक श्रद्धांजलि !!!

विनम्र श्रद्धांजलि परम पिता उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service