For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमारी प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका "बाबूजी का भारतमित्र" का सितम्बर अंक दोहा विशेषांक के रूप में आ रहा है, जिसके लिए देश भर से दोहाकारों से दोहे आ चुके हैं / ओपन बुक्स से जुड़े दोहाकार मित्र भी ३१ जुलाई से पूर्व अपने २० प्रतिनिधि दोहे भेज सकते हैं / मेल एड्रेस है > raghuvinderyadav@gmail.com  

Views: 1831

Reply to This

Replies to This Discussion

अवश्य मित्र ! कहाँ रहते हैं आजकल ? ओ बी ओ पर आपकी कमी हमेशा रहती है ! सादर

आदरणीय अम्बरीश जी शुक्रिया/ मेरी धर्मपत्नी काफी दिन से अस्वस्थ है, इसलिए मैं थोडा असहज हूँ/ ईश्वर ने चाहा तो जल्दी ही वापसी करूँगा/ सादर 

आदरणीय रघुविन्द्र जी !  ईश्वर उन्हें अति शीघ्र ही स्वस्थ करें! ताकि शीघ्र ही हम पुनः साथ-साथ हों! सादर  

आदरणीय अम्बरीश जी शुभकामनाओं के लिए आभारी हूँ

धन्यवाद आदरणीय भाई जी ! आपका हार्दिक स्वागत है |

आपकी धर्मपत्नी को ईश्वर शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ करे और आप सपरिवार सानन्द रहें.

आपका सुप्रयास निरंतर हो.

सादर

आदरणीय, आपकी दुआओं के लिए तहेदिल से आभार

आदरणीय रघुविन्द्र जी, बेहद सराहनीय कदम है ये.....मैं ये जानना चाहता हूँ की क्या दोहे किसी निश्चित संख्या में ही भेजने हैं अथवा इच्छानुसार....ओ बी ओ पर प्रकाशित हो चुके दोहे भेजे जा सकते हैं या नहीं.......कृपया बताने का कष्ट करें.....

मित्रवर, कम से कम २० दोहे भेजने हैं, पूर्व प्रकाशित दोहे भेज सकते हैं, बस दोहे धारदार होने चाहियें

दमक दामिनी देखती देखे दमक विराट
दोए दोए लोचन धार पीऊ, मूंदे नयन कपाट.

 ललना  ले ले लालसा लल्ला लाड लड़ाएं ;
माँ ममता में मुदित मन ,मादकता मन माहें   .

निर्झर निरखे नीर नित ,नित नित निरखे नार ;
निरख निरख नार नीर ने ,निर्झर नथे न धार .

धवल  ध्वजा धर धर्म धन; धन धर धीरे धीर ;
परम प्रिय प्रण-प्राण पण,परखे प्रियवर पीर

दीप जीर्वी

मित्रवर, चार से काम नहीं चलेगा/  कम से कम २० दोहे भेजने हैं, पूर्व प्रकाशित दोहे भेज सकते हैं, बस दोहे धारदार होने चाहियें


.....पूर्व प्रकाशित || कठपुतली के दोहे || .....


कठपुतली को देख के, बालक करे विचार ||
नाचे कैसे काठ ये , कौन खींचता तार ||१||

नाचे ऐसे झूम के, ठुमके मारे चार ||
मन बेचारा बाबरा, रम जाये हर बार ||२||

ये तन लगता काठ का, डोरी मन का तार ||
कठपुतली है आदमी , नचा रहे करतार ||3||

नचा रहा है हाथ से, विस्मित है संसार ||
हरि हाथों से नाचते , मन का बांधे तार ||४||

इतराता क्यूँ आदमी, अपना रूप निहार ||
कठपुतली सा नाचता , मन में लिये विकार ||५|

कठपुतली का खेल सा,. नर नारी परिवार ||
ब्याह रचाके ईश ने , मिलन किया साकार ||६||

कठपुलती चखती नहीं, कैसा मीठा खार ||
भूला बैठा आदमी , इस जीवन का सार ||७||

कठपुतली बोले नहीं , कभी नमाने हार ||
हर मौसम में नाचती , गरमी शीत बहार ||८||

कठपुतली के नाच सा, मानव का संसार ||
मन ही तन की डोर है, लाये विषय विकार ||९||

इस टी वी के दौर में, कठपुतली बेकार ||
मिलके सब हैं देखते, सास बहू का प्यार ||१०||



.....................|| बहार के दोहे || ......................


मुख रख दर्पण सामने, इतरा रही अपार ||
सखि ये रुत आनंद की, लो आ गयी बहार ||१ ||

बाग़ बाग़ घूमे फिरे, गुथ गुथ सुन्दर हार ||
शारद से विनती करें, वर दो बारम्बार || २ ||

मुरली मीठी बज रही, डमरू वीणा तार ||
ताली दे दे नाचते, शिव शम्भू करतार || ३ ||

सुरमय कोयल कूकती, चलती मधुर बयार ||
सखि तरुणाई धरा भी, उर में उपजा प्यार ||४ ||

सुमन गुलाबी फूलते, फूल उठे कचनार ||
छटा निराली धरा की, अदभुत है संसार ||५ ||

पीली सरसों फूलती, सेज सजाये बहार ||
प्रेममयी मन हो गया, प्रीती ही आधार ||६ ||

अंग अंग टूटे सखी, हारी में मन हार ||
प्रिय से मिलने बाबरी, होय रही तैयार ||७ ||

झनके पायल पैर में, दमके बिंदी हार ||
रोज रोज सजती सखी, काजल की ले धार ||८ ||

नयन बिछाए राह पे , इक टक रही निहार ||
प्रिय के स्वागत में खड़ी, देखूं मुख एक बार ||९ ||

रस योवन छलका रहा, नित नव नव श्रृंगार ||
सखि नवयुगल पे छा रहा, मादक हुआ बहार ||१० ||

मना मना के रूठते, करते हैं मनुहार ||
सीधे सीधे नैन के, तिरछे तिरछे वार ||११ ||

स्वपन लोक में डोलती, प्रेम बना आधार ||
गोरी चितवन सजन को,  बाहों के दे हार ||१२ ||

विरह सही ना जात है, काल कि भारी मार ||
इक पल लगता साल है, पल पल डारे मार || १३ ||

छवि को देखे सांवरी, प्रिय की नज़र उतार ||
मन में सोचे बाबरी , अब न जाए बहार ||१४ ||


संदीप पटेल "दीप"

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"नमस्कार,  शुभ प्रभात, भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर 'धामी' जी, कोशिश अच्छी की आपने!…"
41 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब!अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
46 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"लोक के नाम का  शासन  ये मैं कैसा देखूँ जन के सेवक में बसा आज भी राजा देखूँ।१। *…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service