For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमारी प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका "बाबूजी का भारतमित्र" का सितम्बर अंक दोहा विशेषांक के रूप में आ रहा है, जिसके लिए देश भर से दोहाकारों से दोहे आ चुके हैं / ओपन बुक्स से जुड़े दोहाकार मित्र भी ३१ जुलाई से पूर्व अपने २० प्रतिनिधि दोहे भेज सकते हैं / मेल एड्रेस है > raghuvinderyadav@gmail.com  

Views: 1834

Reply to This

Replies to This Discussion

अवश्य मित्र ! कहाँ रहते हैं आजकल ? ओ बी ओ पर आपकी कमी हमेशा रहती है ! सादर

आदरणीय अम्बरीश जी शुक्रिया/ मेरी धर्मपत्नी काफी दिन से अस्वस्थ है, इसलिए मैं थोडा असहज हूँ/ ईश्वर ने चाहा तो जल्दी ही वापसी करूँगा/ सादर 

आदरणीय रघुविन्द्र जी !  ईश्वर उन्हें अति शीघ्र ही स्वस्थ करें! ताकि शीघ्र ही हम पुनः साथ-साथ हों! सादर  

आदरणीय अम्बरीश जी शुभकामनाओं के लिए आभारी हूँ

धन्यवाद आदरणीय भाई जी ! आपका हार्दिक स्वागत है |

आपकी धर्मपत्नी को ईश्वर शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ करे और आप सपरिवार सानन्द रहें.

आपका सुप्रयास निरंतर हो.

सादर

आदरणीय, आपकी दुआओं के लिए तहेदिल से आभार

आदरणीय रघुविन्द्र जी, बेहद सराहनीय कदम है ये.....मैं ये जानना चाहता हूँ की क्या दोहे किसी निश्चित संख्या में ही भेजने हैं अथवा इच्छानुसार....ओ बी ओ पर प्रकाशित हो चुके दोहे भेजे जा सकते हैं या नहीं.......कृपया बताने का कष्ट करें.....

मित्रवर, कम से कम २० दोहे भेजने हैं, पूर्व प्रकाशित दोहे भेज सकते हैं, बस दोहे धारदार होने चाहियें

दमक दामिनी देखती देखे दमक विराट
दोए दोए लोचन धार पीऊ, मूंदे नयन कपाट.

 ललना  ले ले लालसा लल्ला लाड लड़ाएं ;
माँ ममता में मुदित मन ,मादकता मन माहें   .

निर्झर निरखे नीर नित ,नित नित निरखे नार ;
निरख निरख नार नीर ने ,निर्झर नथे न धार .

धवल  ध्वजा धर धर्म धन; धन धर धीरे धीर ;
परम प्रिय प्रण-प्राण पण,परखे प्रियवर पीर

दीप जीर्वी

मित्रवर, चार से काम नहीं चलेगा/  कम से कम २० दोहे भेजने हैं, पूर्व प्रकाशित दोहे भेज सकते हैं, बस दोहे धारदार होने चाहियें


.....पूर्व प्रकाशित || कठपुतली के दोहे || .....


कठपुतली को देख के, बालक करे विचार ||
नाचे कैसे काठ ये , कौन खींचता तार ||१||

नाचे ऐसे झूम के, ठुमके मारे चार ||
मन बेचारा बाबरा, रम जाये हर बार ||२||

ये तन लगता काठ का, डोरी मन का तार ||
कठपुतली है आदमी , नचा रहे करतार ||3||

नचा रहा है हाथ से, विस्मित है संसार ||
हरि हाथों से नाचते , मन का बांधे तार ||४||

इतराता क्यूँ आदमी, अपना रूप निहार ||
कठपुतली सा नाचता , मन में लिये विकार ||५|

कठपुतली का खेल सा,. नर नारी परिवार ||
ब्याह रचाके ईश ने , मिलन किया साकार ||६||

कठपुलती चखती नहीं, कैसा मीठा खार ||
भूला बैठा आदमी , इस जीवन का सार ||७||

कठपुतली बोले नहीं , कभी नमाने हार ||
हर मौसम में नाचती , गरमी शीत बहार ||८||

कठपुतली के नाच सा, मानव का संसार ||
मन ही तन की डोर है, लाये विषय विकार ||९||

इस टी वी के दौर में, कठपुतली बेकार ||
मिलके सब हैं देखते, सास बहू का प्यार ||१०||



.....................|| बहार के दोहे || ......................


मुख रख दर्पण सामने, इतरा रही अपार ||
सखि ये रुत आनंद की, लो आ गयी बहार ||१ ||

बाग़ बाग़ घूमे फिरे, गुथ गुथ सुन्दर हार ||
शारद से विनती करें, वर दो बारम्बार || २ ||

मुरली मीठी बज रही, डमरू वीणा तार ||
ताली दे दे नाचते, शिव शम्भू करतार || ३ ||

सुरमय कोयल कूकती, चलती मधुर बयार ||
सखि तरुणाई धरा भी, उर में उपजा प्यार ||४ ||

सुमन गुलाबी फूलते, फूल उठे कचनार ||
छटा निराली धरा की, अदभुत है संसार ||५ ||

पीली सरसों फूलती, सेज सजाये बहार ||
प्रेममयी मन हो गया, प्रीती ही आधार ||६ ||

अंग अंग टूटे सखी, हारी में मन हार ||
प्रिय से मिलने बाबरी, होय रही तैयार ||७ ||

झनके पायल पैर में, दमके बिंदी हार ||
रोज रोज सजती सखी, काजल की ले धार ||८ ||

नयन बिछाए राह पे , इक टक रही निहार ||
प्रिय के स्वागत में खड़ी, देखूं मुख एक बार ||९ ||

रस योवन छलका रहा, नित नव नव श्रृंगार ||
सखि नवयुगल पे छा रहा, मादक हुआ बहार ||१० ||

मना मना के रूठते, करते हैं मनुहार ||
सीधे सीधे नैन के, तिरछे तिरछे वार ||११ ||

स्वपन लोक में डोलती, प्रेम बना आधार ||
गोरी चितवन सजन को,  बाहों के दे हार ||१२ ||

विरह सही ना जात है, काल कि भारी मार ||
इक पल लगता साल है, पल पल डारे मार || १३ ||

छवि को देखे सांवरी, प्रिय की नज़र उतार ||
मन में सोचे बाबरी , अब न जाए बहार ||१४ ||


संदीप पटेल "दीप"

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर,होठों को शहद, रस, जाम आदि तो कई बार देखा सुना था लेकिन पहली बार होंठ पे गमले देखने का…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आभार आ. शिज्जू भाई..मंच पर इसी तरह की चर्चा ही उर्जा भर्ती है आभार "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर,आपने मुझे मज़ाक मज़ाक में अब्दुल रज़ाक कर दिया 🤣😂🤣😂🤣😂"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"बहुत खूब, आदरणीय दिनेश कुमार जी. वाह वाह  इस अच्छे प्रयास पर हार्दिक बधाई स्वीकार…"
9 hours ago
Sushil is now a member of Open Books Online
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"क्या खूब कहा आदरणीय निलेश भाई सादर बधाई,   “जो गुज़रेगा इस रचना से ‘नक्की’…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"हा हा हा.. कमाल-कमाल कर जवाब दिये हैं आप, आदरणीय नीलेश भाई.  //व्यावहारिक रूप में तो चाँद…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service