For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 36 (Now closed with 966 Replies)

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।


 महा-उत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |

पिछले 35 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 36
विषय - "परम्परा और परिवार"
आयोजन की अवधि-  शुक्रवार 11 अक्टूबर 2013 से शनिवार 12 अक्टूबर 2013 तक 

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दिए हुए विषय को दे डालें एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति. बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य-समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित पद्य-रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-
ओबीओ लाईव महा-उत्सव के 36 में सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.

सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 11 अक्टूबर दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 19220

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आपको मेरी रचना और इसकी भावदशा प्रभावकारी लगी इस हेतु सादर धन्यवाद, आदरणीय सत्यनारायण जी.

इस नवगीत का एक एक बंद सौ सौ कहानिया कहता है. सिसकते, सुबकते और दरकते पारिवारिक संबंधों की तीखी किरचें इस नवगीत में बड़ी शिद्दत से चुभती हुई महसूस की जा सकती है।  इस बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति हेतु मेरी  कोटिश: बधाई स्वीकारें आदरणीय सौरभ भाई जी।     

आदरणीय योगराजभाईसाहब, आपाके अनुमोदन से कोई रचना सार्थक आयाम पा जाती है. आपने सही कहा है, आदरणीय, कि सिसकते, सुबकते और दरकते पारिवारिक संबंधों की तीखी किरचें इस नवगीत में बड़ी शिद्दत से चुभती हुई महसूस की जा सकती है.
अपने वज़ूद से त्रस्त इकाई किसी परम्परा का निर्वहन क्या कर सकेगी, सर्वमान्य परम्पराओं तक से नज़रें चुराती दिखती हैं. और सारा कुछ भौतिक या देह स्तर पर सीमित हो कर रह जाता है.
आपके अनुमोदन के लिए सादर धन्यवाद.
शुभ-शुभ

आदरणीय सौरभ जी! बहुत ही भावात्मक नवगीत। आपके लेखन में जो चीज मुझे बहुत आकर्षित करता है, वह है शब्दों का सटीक तीर के समान प्रयोग। यह नवगीत भी उस प्रयोग से अछूता नहीं है। सुन्दर नवगीत के लिये बधाई।
एक समस्या है कि आपने शब्दों का जो अर्थ दिया है वह मुख्य गीत में आकर मिल गया है। पता नहीं यह मेरे मोबाइल का दोष है या सबको ऐसा ही दिख रहा है। प्रथम तो जब लय भंग हुआ मैं समझ ही नहीं पाया कि आपके गीत में लय भंग की गड़बड़ी हो लेकिन बाद में स्थिति स्पष्ट हुई।

भाई विंध्येश्वरी प्रसादजी, आपने जिस विश्वस्त ढंग से मेरे गीतों में लयभंगता की स्थितियाँ न होने की बात कही है, यह मुझे भी आगे के लिए सचेत कर रहा है. आपके विश्वास पर सतत खरा उतरने की कोशिश रहेगी मेरी. रचा आपको पसंद आयी यह एक रचनाकार के तौर पर मेरे लिए भी संतोष की बात है.


//एक समस्या है कि आपने शब्दों का जो अर्थ दिया है वह मुख्य गीत में आकर मिल गया है। पता नहीं यह मेरे मोबाइल का दोष है या सबको ऐसा ही दिख रहा है।//

विश्वास है, अबतक आपने ओबीओ के इन पन्नों को किसी कम्प्यूटर में खोल कर देख लिया होगा. और आपकी समस्या अबतक समस्या ही न रही होगी. :-)))))))))

शुभ-शुभ
 

सौरभ साहब, सुंदर चित्रण, नयी परिभाषा, नयी शब्दावली, परिवार और रीति रिवाजों पर प्रकाश डालती ये रचना बहुत बहुत बधाई -  सुरिन्दर रत्ती - मुंबई   

रचना को पसंद करने के लिए आपका सादर धन्यवाद, आदरणीय सुरीन्दर भाई.

छागल अलता                                    
कोर सुनहरी
काजल-सेनुर, बातें गहरी                       
चुभती चूड़ी याद हुई फिर
देख रुआँसा
दरका दरपन !

 

कठवत सूखा बिन पानी के                      

पर उम्मीदें
लेती परथन !

 

आदरणीय सौरभ जी, एक एक शब्द पीड़ा से कराह रहा है, फिर भी उम्मीद! यही तो हमारी पारिवारिक परंपरागत विशेषताएँ हैं जो उम्मीद के धागे से जुड़ी हुई जीवन को बिखरने नहीं देतीं। आपका शायद यह पहला नवगीत मैं पढ़ रही हूँ। भाव ऐसे कि गागर में सागर!  बहुत बहुत बधाई आपको

आदरणीया कल्पनाजी, आपने रचना के मर्म को छुआ है और एक रचनाकार के तौर पर मेरे लिए यह आह्लादकारी है. आपका सादर धन्यवाद.


//आपका शायद यह पहला नवगीत मैं पढ़ रही हूँ। //

आदरणीया, यह मेरे पूर्ववर्ती नवगीतों का कैसा भाग्य कहूँ कि आपकी दृष्टि से नहीं गुजरे हैं. लेकिन इसके पीछे भी एक विचित्र सी बात है. मैं अमूमन ओबीओ के आयोजनों के लिए लिख पाता हूँ. जो आयोजनों के बाद संकलन में अवश्य शामिल होते हैं लेकिन इसी मंच के ब्लॉग आदि में स्थान नहीं बना पाते. पहले के कई आयोजनों में मेरे नवगीत स्थान पा चुके हैं.
सादर

जी, आदरणीय! यही कारण हो सकता है। मेरा समय भी दो तीन स्थानों पर बंट जाता है, इससे अधिक क्षमता कंप्यूटर पर आने की शेष नहीं रहती, कुछ न कुछ पढ़ने से रह ही जाता है। आयोजनों में भी अधिक देर कंप्यूटर पर रहूँ तो थकने लगती हूँ। सारी रचनाएँ नहीं पढ़ पाती न ही टिप्पणियाँ कर पाती हूँ। कुछ न कुछ छूट ही जाता। आपकी किताब में शायद नवगीत भी संकलित  होंगे। वीनस जी से एक सेट लखनऊ में ही ले लूँगी, आराम से पढ़ती रहूँगी।

सादर

//आपकी किताब में शायद नवगीत भी संकलित  होंगे। वीनस जी से एक सेट लखनऊ में ही ले लूँगी, आराम से पढ़ती रहूँगी।//

:-)))))))))))))))))))

आदरणीया, लखनऊ के लोकार्पण कार्यक्रम में मेरा काव्य-संकलन शामिल नहीं है.

अलबत्ता, मेरे चयन और सम्पादन में पन्द्रह रचनाकारों की सार्थक प्रस्तुतियों का संकलन लोकर्पित होगा. सम्मिलित रचनाकारों की रचनाओं पर अपनी क्षमता और बुद्धि भर मेरा प्रयास आपकी सुदृष्टि का आकांक्षी रहेगा. 

सादर

क्या कहूँ ,कैसे कहूँ, जिस उच्चाई पर यह नवगीत बैठा है वहां तक पहुँच पाना आसान नहीं, बिम्ब सबका देखा सुना है किन्तु उसका प्रयोग, वाह वाह मुग्धकारी है, कल से आज तक कई कई बार पढ़ चूका हूँ, हर बार रचना नई लगती है, बहुत बहुत बधाई । 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
7 seconds ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
25 seconds ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
1 minute ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
1 minute ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
10 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
14 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service