For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओबीओ लाइव महा-उत्सव अंक 24  का आयोजन दिनांक 06 अक्तूबर से  08 अक्तूबर के मध्य सम्पन्न हुआ. जिसके संचालन का जिम्मा इस बार ख़ाकसार पर था. इस बार रचनाधर्मियों को विषय के रूप में नारी-शक्ति  दिया गया था, जिसके पीछे  मूल मंतव्य यह था कि माह अक्तूबर भारतवर्ष सहित समस्त विश्व में भारतीयों और हिन्दु जीवनावलंबियों के लिये दूर्गापूजा और दशहरा का त्यौहार लेकर आया है. हालाँकि, दोनों त्यौहारों की अलग-अलग अवधारणाएँ हैं. लेकिन हेतु एक ही है. जहाँ देवी दूर्गा समस्त पौरुषीय ऊर्जस्विता तथा समवेत वीर्यता का अद्भुत मानवीयकरण हैं, वहीं दशहरा की पृष्ठभूमि ही राम की ’शक्ति-पूजा’ है.

विचार यह बना कि शक्ति की इस उन्नत अवधारणा को प्रतिपादित कर चुके भारतीय जन-समाज में आज के संदर्भ को देखते हुए नारी के उज्ज्वल तथा सकारात्मक पक्ष को प्रस्तुत किया जाय. इस तथ्य की पृष्ठभूमि बना यह वाक्य कि ’शक्ति’ केवल संहार नहीं, सृजन तथा पुरुषोचित विजय-उद्घोष का भी मूल है.

यह एक चुभती हुई सच्चाई है, कि महिमा-मण्डन भारतीय जन-मानस हेतु एक तरह से जैविक गुण की तरह है. 
हम यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता  यानि जहाँ नारियों की पूजा होती है वहीं देवता बसते हैं, कहने में कभी कोताही नहीं करते लेकिन भारतीय समाज में सारी बन्दिशें इन पुजनीया के पैरों में ही डाली जाती रही हैं. आज भी ! यह कहते हुए कि विश्वासो नैव कर्तव्यः स्त्रीषु   यानि, स्त्रियों पर कभी विश्वास मत करो. भरा-पूरा समाज इन अर्थों में बिना पलक झपकाये लगातार हाइपोक्रीट की तरह व्यवहार करता दीखता है ! 

इस तथ्य के आलोक में महा-उत्सव का आयोजन वस्तुतः एक चुनौती था.
इस चुनौती को स्वीकार करते सबसे पहले अपनी गरिमामयी उपस्थिति के साथ प्रस्तुत हुए आदरणीय आलोक सीतापुरी जी जिनकी सवैया छंद में आबद्ध प्रस्तुति मंगलाचरण की तरह हर पाठक द्वारा गायी गयी.

आयोजन पूरे तीन दिनों तक चला, हालाँकि विषय के विशिष्ट होने के कारण प्रारम्भ में रचनाकारों का उत्साह अत्यंत संयमित रहा. परन्तु, एक बार दिशा स्पष्ट होते ही साहित्य प्रेमियों ने इस आयोजन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया ! छंदबद्ध रचनाओं में मत्तगयंद सवैया, दुर्मिल सवैया, घनाक्षरी, दोहे, कुण्डलिया, सार छंद, तटांक छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हुईं, तो सामान्य पदों में गीत, ग़ज़ल, अतुकांत कविताएँ, तुकांत कविता, जापानी पद्य विधा हाइकू में भी प्रविष्टियाँ आयीं.  प्रविष्टियों के माध्यम से शक्ति का मानवीयकरण नारी के हर पहलू पर रचनाकारों ने ध्यान आकृष्ट किया. 
 
17 रचनाकर्मियों द्वारा कुल 30 स्तरीय रचनाएँ इस आयोजन में पेश की गयीं. इस लिहाज से कुल 931 प्रतिक्रियाएँ संतोषजनक ही हैं.

सर्वश्री आलोक सीतापुरीजी, अम्बरीष श्रीवास्तवजी, धर्मेन्द्र कुमार सिंहजी, लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवालाजी, राजेशकुमारीजी, प्रदीप कु. कुशवाहाजी, सीमा अग्रवालजी, अशोक कुमार रक्तालेजी, रेखा जोशीजी, डॉ.प्राची सिंहजी, सतीश मापतपुरीजी, अब्दुल लतीफ़ खानजी, शैलेन्द्र ’मृदु’जी, संदीप कुमार पटेलजी, विंध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठीजी, पियुष द्विवेदी ’भारत’जी तथा सौरभ पाण्डेय ने अपनी-अपनी रचनाओं से पाठकों का मनस-रंजन किया तथा शक्ति के पौराणिक स्वरूप को प्रतिस्थापित तो किया ही किया, इस मंच के माध्यम से आज के समाज की विडंबनाओं पर भी भरपूर प्रहार किया. इन सबके बावज़ूद यह अवश्य मानना पड़ेगा कि विडंबनाओं पर प्रहारों के बावज़ूद इस मंच का वातावरण अनवरत संयत, सहज और शिष्टवत बना रहा.
 
इस तथ्य के प्रति मैं यह कहने का सादर अनुमोदन चाहूँगा कि ’सीखने-सिखाने’ की परंपरा का निर्वहन अवश्य ही इस मंच पर वातावरण विशेष की मांग करता है, जिसे प्रधान सम्पादक के कुशल नेतृत्व में प्रबन्धन समिति और माननीय सदस्यों द्वारा हार्दिक संलग्नता के साथ बूँद-बूँद कर सुगठित किया गया है.  यदि शिष्टाचारवत श्रद्धा-स्नेह के सम्बोधन शब्द एवं तत्व हाशिये पर रख दिये गये तो परस्पर सम्मान और कुछ तथ्यपरक ’सुनने’ की प्रवृति पर ही पहली चोट पड़ेगी. इस तरह की चोटों से नेट पर कई पटल आये दिन दो-चार होते रहते हैं. ओबीओ पर इस तरह का विशेष माहौल है तो यह कई प्रबुद्ध कारणों से है और इन प्रबुद्ध कारणों पर कभी कोई प्रश्न उचित नहीं होगा. 

इसी तथ्य के आलोक में तथा ओबीओ की समृद्ध परंपरा के अनुसार इस बार भी पाठकों और सुधीजनों ने प्रस्तुतियों और प्रविष्टियों पर अपनी प्रतिक्रियाएँ केवल वाह-वाही तक ही सीमित नहीं रखीं.  बल्कि उन्होंने आवश्यकतानुसार प्रविष्टियों पर अपने बहुमूल्य सुझाव भी दिये. सभी रचनाओं के हरेक पहलू पर हुई खुली विवेचनाएँ न केवल रचनाकारों के लिये लाभकारी होती हैं, बल्कि उन पाठकों के लिये भी उपयोगी हुआ करती हैं जो रचनाधर्मिता के महीन तथ्यों को जानने-समझने के लिये चुपचाप इस मंच पर आया करते हैं.  ऐसी विवेचनाएँ,  प्रदत्त सलाह और निरंतर संवाद किसी आयोजन को जीवंत बनाने का माद्दा रखती हैं. इन्हीं मायनो में ओबीओ पर कोई आयोजन विलक्षण हो जाता है. 

आदरणीय अम्बरीष श्रीवस्तव जी की प्रतिक्रिया स्वरूप आशु रचनाएँ सामान्य पाठकों के लिये रोमांच का विषय हुआ करती हैं और अनुमोदन पाती हैं. आदरणीया राजेश कुमारीजी, गणेश जी बाग़ी, आदरणीया सीमाजी, आदरणीया प्राचीजी, आदरणीय धरम शर्माजी, आदरणीय धर्मेन्द्र सिंहजी, भाई वीनस जी, आदरणीय अशोक रक्तालेजी ने जिस प्रकार सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिक्रियाएँ और टिप्पणीयाँ दीं, वो रचनाकर्मियों के लिये पाठ स्वरूप थीं.  अवश्य ही, रचनाकर्मियों का उत्साहवर्द्धन करती ये प्रतिक्रियाएँ कोरी वाह-वाही तक कत्तई सीमित नहीं होतीं, बल्कि मार्गदर्शन करती हुई स्पष्ट हुआ करती हैं. मैं व्यक्तिगत तौर पर इस मंच के प्रधान सम्पादक आदरणीय योगराज भाईजी की अदम्य सहभागिता हेतु सादर धन्यवाद देता हूँ, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से अति विकट परिस्थितियों में होने के बावज़ूद रचनाकर्मियों का उत्साहवर्द्धन करने हेतु उपस्थित तो हुए ही, श्वेत-श्याम टिप्पणियों द्वारा साहित्यिक सलाह भी देते रहे.  हम सभी सदस्यगण आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की हार्दिक कामना करते हैं.  आपका मार्ग-दर्शन इस मंच को हर समय अपेक्षित है. लेकन दूसरी ओर, ओबीओ के कई वरिष्ठ सदस्यों की अनुपस्थिति या चलताऊ उपस्थिति कइयों को खली है. यों यह भी तथ्यपरक है कि व्यक्तिगत या अन्यान्य व्यस्तताएँ किसी सदस्य के लिये एक बहुत बड़ा कारण हो जाया करती हैं.  और इसे सहजता से समझा और लिया जाना चाहिये. 

मैं आयोजन महा-उत्सव अंक - 24 में सम्मिलित सभी रचनाकर्मियों और पाठकों का हृदय से धन्यवाद करता हूँ और आशा करता हूँ कि सभी का सहयोग एवं स्नेह इस मंच को इसी तरह अनवरत प्राप्त होता रहेगा. मैं अंत में इस मंच के मुख्य प्रबन्धक भाई गणेश जी बाग़ी तथा प्रधान सम्पादक आदरणीय श्री योगराज प्रभाकरजी को इस सफल आयोजन पर हार्दिक बधाई देता हूँ.
 
जय ओबीओ.. . सादर.. .

सौरभ पाण्डेय

संचालक ’महा-उत्सव’
सदस्य - प्रबन्धन समिति, ओबीओ. 

Views: 1621

Reply to This

Replies to This Discussion

आदरणीय राजेशकुमारी जी, आपकी टिप्पणी ने उत्साहित तो किया ही है एक तरह से दिशा भी तय करती दिख रही है. विश्वास रखिये, आप सबों की उपस्थिति में आने वाला समय उत्तरोत्तर उन्नति की ओर अग्रसरित होता दिखेगा.

मैं आपकी बातों पर आगम की पंक्तियाँ उद्धृत करना चाहूँगा -

संगच्छध्वं संवदध्वं
सं वो मनांसि जानताम् ।
देवा भागं यथापूर्वे संजानाना उपासते ।
समानोमन्त्रः समितिः समानी
समानंमनः सहचितमेषाम् ।
समानं मन्त्रमभिमन्त्रये वः
समानेन वो हविषा जुहोमि ।
समानी व आकूतिः
समाना हृदयानि वः ।
समानमस्तु वो मनो
यथा वः सुसहासति ।

हमसभी संग-संग चलें; समवेत बातें करें एवं समवेत सोचें. जिस तरह से हमारे अग्रजों ने अपने-अपने दायित्त्व निभाये, उसी तरह हम भी समवेत ही अपने दायित्व और कृत्य को साझा करें.  हम समवेत सोचें और साथ मिलजुल कर इकट्ठे बने रहें.  हमारे मस्तिष्क और उसके विचार एकसार हों. परमसत्ता हमें एकसार विचार दे तथा एकसार तथ्य दे.  हम सभी साथ-साथ सद्-व्यवहार में आगे बढ़ें तथा हमसभी के हृदय एवं मनस एकसार हों, ताकि परस्पर समानता व्यवस्थित की जा सके.

सधन्यवाद

जी आप सही कह रहे हैं अनेकता में एकता हो तो त्वरित श्रम साध्य एवं सफल होता है उसमे सभी का उत्तरदायित्व होता है

कमाल के विचारक और संप्रेषक है आप सौरभ जी ...पूरे उत्सव की इतनी सारगर्भित रिपोर्ट पढ़ कर उत्सव जैसा ही मज़ा आ गया और पुनः उन क्षणों को नए धरातल पर जिया ..........विषयानुरूप समृद्ध प्रविष्टियों के साथ साथ आपकी  और अम्बरीश जी की निरंतर उपस्थिति ने माहौल  को बहुत संतुलित,मनोरजक  और ज्ञानवर्धक बनाए रखा निश्चित रूप से आदरणीय योगराज जी की कमी महसूस हुयी पर उनके  कुछ देर के आगमन ने ही संतोष प्रदान किया ........ कार्यक्रम के  विवरण और समीक्षा के लिए आपको बहुत बहुत बधाई ....इतने व्यस्त होने के बावजूद जो जोश आप में है वो हम सब तक पहुंचता है .........

विदुषी सीमाजी, जो तथ्य आपके लिये उद्धृत होनी चाहिये, उसे आपने मुझसे जोड़ कर एकदम से मुझे जैसे मूक कर दिया है. आपके उत्साह और आपकी वैचारिकता का हमसभी हृदय से सम्मान करते हैं. यह सही है, सीमाजी, हमारी समवेत सक्रियता मंच की गरिमा तथा ओबीओ के आयोजनों को नित ऊँचाई प्रदान करेगी और जिस हेतु के लिये हम सभी निस्स्वार्थ इकट्ठे हुए हैं वह सतत सधता जायेगा.

सद्यः समाप्त आयोजन में आपकी उदार सहभागिता के हम सादर आभारी हैं.

आदरणीय सौरभ जी,
एक सफल आयोजन जिसके पहले दिन ने जितना चौकाया था वहीँ दूसरे और तीसरे दिन ने भी खूब चौंकाया
स्तरीय रचनाओं ने मुदित किया, पारिवारिक माहौल ने बने रहने को प्रेरित किया और अब आपने सब कुछ एक पोस्ट में समेट कर गागर में सागर भर दिया

सादर

जय होऽऽऽऽऽऽऽऽ 

सस्नेही भाई एवं अनुशासित सदस्य वीनसजी,  ओबीओ के मंच पर आपकी सकारात्मक उपस्थिति एक तरह से औषधीय काढ़ा है.  आयोजन के पहले दिन जिस तरह से आप विचलित दिखे थे, वह आपकी इस मंच के साथ हार्दिक संलग्नता का द्योतक है. और आयोजन के अंतिम दिन आपका उत्साह देखते ही बनता था. भाई, अभिभूत हूँ.  मैं आपकी उच्च भावनाओं का हृदय से आदर करता हूँ. आयोजन के रिपोर्ताज़ पर आपके सहर्ष अनुमोदन को मैं ’समवेत’ ऊर्जा-संवर्द्धन हेतु ठोस कारण की तरह ले रहा हूँ. 

सधन्यवाद.

एक बात :  मैं आपकी दृष्टि में वही हूँ जो आप मुझे कहते और हृदय से मानते हैं. साहित्य के प्रति आपका अभिन्न लगाव मुझे आवश्यक मान देता है, जो स्वतः संप्रेष्य है.

शुक्रिया

आदरणीय सौरभ जी, इस आयोजन के सफल सञ्चालन व इस सारगर्भित रिपोर्ट के प्रस्तुतीकरण के लिए हम सभी की ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें ! इस  आयोजन को सफल बनाने हेतु सभी सहभागी सदस्यों सहित  आदरणीय मुख्य प्रबंधक गणेशजी बागी व आदरणीय प्रधान संपादक योगराज प्रभाकर जी के प्रति भी हमारी ओर से हार्दिक बधाइयाँ !

आदरणीय अम्बरीश जी, रिपोर्ट पर आपका अनुमोदन सनद है. आपकी सहभागिता आयोजन के लिये विश्वस्त संबल है.

सादर

धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी ....

सौरभ जी ..आपके नेतृत्व में संपन्न इए आयोजन ने नई  ऊँचाइयों को स्पर्श किया।।।साधुवाद।

आपका सादर सहयोग अपेक्षित है, आदरणीय भाईजी. आपकी सहागिता के हम आभारी हैं.  सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service