परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 120वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब जलील मानिकपुरी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"तुझ से मिलने की आरज़ू है वही "
2122 1212 22/112
फाइलातुन मुफ़ाइलुन फेलुन/फइलुन
(बह्र: खफीफ मुसद्दस मख्बून मक्तुअ )
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 26 जून दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 27 जून दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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मुहतरमा डिम्पल शर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय उस्ताद मोहतरम Samar Kabeer साहब आदाब एवं चरण स्पर्श स्वीकार करें , गुरुदेव आपके मार्गदर्शन और आपकी प्यार भरी डांट का ही नतीजा है ये , उस्ताद मोहतरम बहुत बहुत धन्यवाद आभार, यूं ही डांटते हुए आशीर्वाद बनाए रखें ताकि एक दिन मैं आपकी वाह और बहुत ख़ूब शब्दों को सुनने लायक हो जाऊं, कृपा दृष्टि और आशीर्वाद बनाए रखें उस्ताद मोहतरम।
तेरा ही मिसरे पर एक अच्छी ग़ज़ल प्रस्तुत की हैं। इसी प्रकार अपना साथ बनाए रखिए और गुणीजनों की राय पर अम्ल करते हुए और अच्छे अशआर से इस पटल की शोभा बनाए रखिए
आदरणीय अजय गुप्ता जी ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति मायने रखती है, हौसला अफ़ज़ाई के लिए हृदय तल से आभार आपका आदरणीय।
मुहतरमा डिम्पल साहिबा, सुंदर ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आदरणीय Tasdiq Ahmed Khan जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत आभार शुक्रिया धन्यवाद आदरणीय।
आदरणीय दण्डपाणि 'नाहक'जी नमस्ते, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़ज़ाई मायने रखती है आदरणीय, हृदय तल से आभार आदरणीय।
आदरणीया डिंपल शर्मा जी
आदाब
एक बेहतरीन तरही ग़ज़ल के मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें.
आदरणीय सालिक गणवीर जी नमस्ते, आदरणीय आप ने ग़ज़ल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई इसके लिए हृदय तल से आभारी हूं आपकी, यूं ही स्नेह एवं आशीर्वाद बनाए रखें आदरणीय।
मोहतरमा डिंपल शर्मा जी बहुत अच्छी गजल हुई है बहुत-बहुत बधाई
आदरणीय Md. Anis Arman जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और बधाई मायने रखती है आदरणीय, स्नेह बनाए रखें , हृदय तल से आभार आपका।
डिम्पल जी अच्छी ग़ज़ल कही है मुबारकबाद कुबूलें
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