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रचना के मर्म तक पहुँच कर अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी द्वारा लघुकथा के इस प्रयास पर आपके अनुमोदन और मेरी हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी साहब|
'काश सभी तिरंगे के तीनों रंगों में सिर्फ भारत को देखें ,तीनों रंगों को अलग अलग नहीं , बधाई इस उत्कृष्ट ,अनुपम रचना के लिए आदरणीय चंद्रेश जी
सच कहा आपने आदरणीया प्रतिभा पांडे जी, तिरंगा हमारे देश की पहचान है और यह तीनों रंग हमारे देश में बसे हुए हैं, इसे एक करते हैं| हार्दिक आभार आपका आपको लघुकथा का यह प्रयास ठीक लगा|
हार्दिक आभार आदरणीय सतविंदर कुमार जी, आपको लघुकथा का यह प्रयास ठीक लगा और आपने अपनी टिप्पणी द्वारा मेरा उत्साहवर्धन किया|
देश में एकता देश के विकास की ज़रूरी शर्तों में से एक है, जिसकी चिंता आवश्यक है, आपने रचना के मर्म को सही तरह से जाना आदरणीया अर्चना जी और अपनी टिप्पणी द्वारा मेरा मनोबल भी बढाया, इस हेतु आपका बहुत-बहुत आभार|
हार्दिक आभार आदरणीया नीता सैनी जी, आपको लघुकथा का यह प्रयास ठीक लगा और आपने अपनी टिप्पणी द्वारा मेरा उत्साहवर्धन किया|
"कहीं लोग अपनी तरह इसके भी रंग बदल देंगे तो...?" कहते हुए उसने झंडे को लपेटा और अपनी कमीज़ के अंदर छिपा दिया|
-------अद्भुत सम्प्रेषण ! "रंग "---विषय पर इतना गहरा लेखन सिर्फ आप ही कर सकते है आदरणीय चंद्रेश जी। हरा रंग ,भगवा रंग और ये मानसिक विचलन को कथ्य का साकारित करना इस पंच से , कथा सीधे तीर सी दिल में आघात कर बैठी। ढेरों बधाई आपको।
आदरणीया काँता जी, लघुकथा के इस प्रयास के मर्म को जानकर आपने समीक्षात्मक टिप्पणी कर हमेशा की तरह अपने सकारात्मक शब्दों से मेरे उत्साह में असीम वृद्धि की है इस हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ|
' गुझियाँ '
"ला बहू लिस्ट दे दे ,सामान ले आऊँ "
"कौनसा सामान बाबूजी ?"
"अरे गुझियाँ का , परसों होली है ना , रंग गुलाल वगेहरा भी लाने हैं "I
"हाँ बाबूजी सब हो जायेगा , आप क्यों परेशान हो रहे है , वैसे भी यहाँ मुंबई में इतना सब ताम झाम नहीं होता है "I
पिछले तीन दिन से बहु ऐसे ही टाल रही है उन्हें I उन्हें भी पता है ,कोई गुझियाँ वुझियाँ नहीं बनेंगी , बस उन्हें कहने में अच्छा लगता हैI सावित्री होली के हफ़्तों पहले लिस्ट थमा देती थी उन्हें I वो चिढ जाते थे Iएक बार उन्होंने कह भी दिया था कि चल तैयार गुझियाँ मंगा लेते है तो कितना गुस्सा हुई थी I
डबडबाई आँखों से उन्होंने दीवार में लगी सावित्री की फोटो को देखा और बुदबुदाए;
" चल दीं ना सारे रंग अपने साथ लेकर "I
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