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Sushil Sarna's Discussions (1,408)

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मुख्य प्रबंधक

"आदरणीया राजेश दीदी, आदरणीय शरदिंदु जी, आदरणीय अरुण जी, आदरणीय गिरिराज जी,आदरणीय शिज्…"

Sushil Sarna replied Apr 1, 2015 to ग्रीष्म सत्र 2015 हेतु ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रबंधन टीम व कार्यकारिणी टीम का पुर्नगठन...

52 Feb 8, 2016
Reply by मनोज अहसास

मुख्य प्रबंधक

"ओबीओ टीम को हार्दिक हार्दिक बधाई - शुभकामनाएं "

Sushil Sarna replied Apr 1, 2015 to ग्रीष्म सत्र 2015 हेतु ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रबंधन टीम व कार्यकारिणी टीम का पुर्नगठन...

52 Feb 8, 2016
Reply by मनोज अहसास

"आदरणीया   Satyanarayan Singh जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक आभार…"

Sushil Sarna replied Feb 14, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"एक डोर है प्रेम की, इक फंदा कहलाय।जीवन कहीं हुआ शुरू, कहीं अंत हो जाय॥वाह आदरणीय वाह…"

Sushil Sarna replied Feb 14, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"अभी विशाल रात है, अभी सुदूर भोर हैमधुर-मधुर मुलायमी समय विशिष्ट डोर है वाह आदरणीय नम…"

Sushil Sarna replied Feb 14, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"घट भर प्रेम सुधा नित रखिये, मिला कूप जीवन प्यारा!प्रेम डोर घट बांध सत्य फिर, भरता आज…"

Sushil Sarna replied Feb 14, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"पर....ताड़ गये पूरब वालेरात अँधेरे मेंआये कुछ सायेअँधेरा छटा आखों में तैर गये लाल डोर…"

Sushil Sarna replied Feb 14, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"इस मुट्ठी को मैं सहलाती रही । कि तुम्हें भी ये अनुभूति होगी ,जब मेरे जीवन के अंतिम क…"

Sushil Sarna replied Feb 14, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"मेरे से अधिक योग थाउन साँसों की डोरी का,जिसने सम्भाल लिया घर बार,तभी मै जीतता ही गया…"

Sushil Sarna replied Feb 14, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"मरासिम आजकल क्यूं यार सुस्ताने नहीं देते?मुझे हंसने नहीं देते, मुझे गाने नहीं देतेवा…"

Sushil Sarna replied Feb 14, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
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Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
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Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
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गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
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Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
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Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
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surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
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surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
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Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
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