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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-20 (विषय: तस्वीर का दूसरा रुख़)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पिछले 19 आयोजनों की अपार सफ़लता के बाद "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक 19  में आपका हार्दिक स्वागत हैI प्रस्तुत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-20
विषय : "तस्वीर का दूसरा रुख़"
अवधि : 29-11-2016 से 30-11-2016 
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 29 नवम्बर  2016 लगते ही खोल दिया जायेगा)
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अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2.  रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
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8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

मुहतरम जनाब   बिंदेश्वरी प्रसाद    साहिब   ,  लघु कथा को पसंद करने और आपकी   हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया  ----

सारगर्भित कथा के लिये बधाई आद०तस्दीक अहमद खान जी ।

मुहतरमा  नीता   साहिबा   ,  लघु कथा को पसंद करने और आपकी   हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया  ----

विषयांतर्गत इस बार की बढ़िया प्रस्तुति के अंतिम दोनों वाक्य बहुत असरदार बन पड़े हैं। तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरम जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहब।

मुहतरम जनाब   शेख शहज़ाद उस्मानी    साहिब आदाब   ,  लघु कथा को पसंद करने और आपकी   हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया  ----

पति से छिपा कर रखा धन, और पत्नी की चिंता ..  बहुत रोचक कथानाक चुना है आपने ...हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय तस्दीक जी 

मुहतरमा प्रतिभा    साहिबा   ,  लघु कथा को पसंद करने और आपकी   हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया  ----

आ० तस्दीक भाई जान , आजकल जो हो रहा है  उसका अच्छा  चित्रांकन किया , अंत की पंक्ति में कथाकार को स्वय अधिक सफाई  या क्लीयरीफिकेशन  देना उचित नहीं . अंत तो वही हो जाता है  जब  पूजा के चेहरे का रंग वापस आ जाता है , उस स्थल पर श्याम रहस्मय ढंग से मुस्करा सकता था बस . सादर

मुहतरम जनाब  गोपाल नारायण    साहिब  ,  लघु कथा को पसंद करने,  आपके मशवरे  और आपकी   हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया  ----

आदरणीय तस्दीक जी, वाह वाह, बहुत लाजवाब लघुकथा लिखी है आपने. पति की समझदारी को शाब्दिक करती हुई आपकी कलम ने बिना कहे ही, सब कह दिया. सफल और सार्थक प्रस्तुति. समसामयिक विषय पर बेहद प्रभावशाली लघुकथा लिखी है आपने. मुग्ध कर दिया. इस प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई. सादर 

मुहतरम जनाब मिथिलेश  साहिब , लघु कथा  आपकी नज़रों में  अच्छी हो गयी ,  मेरा लिखना सार्थक हो गया ,  हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---

साधारण में से अद्वितय (असाधारण) ढूंढ लेना लघुकथा की सबसे अहम विलक्ष्‍णता है। जरूरी नहीं कि लघुकथा पढ़ते समय करंट ही लगे। यदि एक हल्‍की सी मुस्‍कुराहट भी आ जाए तो कम से कम मैं तो उसे सफल लघुकथा मानता हूं। नोटबंदी और उससे उत्‍पन्‍न हालातों पर बहुत ही साधारण से पल चुराकर रची गई इस लघुकथा के लिए आपको असीम शुभकामनाएं। शीर्षक छुपाधन भी बहुत ही स्‍टीक चयन है। पूजा के चेहरे का उड़ता रंग और फिर उस रंग वापिसी ! वाह ! बहुत ही महीन बुनावट है आपकी लघुकथा की । सादर शुभकामनाएं

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