For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"OBO लाइव तरही मुशायरे"/"OBO लाइव महा उत्सव"/"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता के सम्बन्ध मे पूछताछ

"OBO लाइव तरही मुशायरे"/"OBO लाइव महा उत्सव"/"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता के सम्बन्ध मे यदि किसी तरह की जानकारी चाहिए तो आप यहाँ पूछताछ कर सकते है !

Views: 12375

Reply to This

Replies to This Discussion

जनाब आदाब,मैं यह जानना चाहता हूँ कि 'चित्र से काव्य तक'आयोजन में क्या छन्न पकैया सारछन्द की प्रस्तुति दी जा सकती है ?

आदरणीय समर कबीर साहब, "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 57 हेतु चयनित छंद "चौपाई छन्द और सार छन्द" है.
सादर.

सम्मान्य मंच संचालक महोदय जी, दो प्रश्नों के उत्तर दीजिएगा
1- महाउत्सव में 'एक' प्रविष्ठी में किसी भी विधा में एक रचना ही पोस्ट करना है या दो या दो से अधिक विधाओं की रचनाएँ एक ही प्रविष्ठी में पोस्ट कर सकते हैं?
1- अतुकांत कविता में अधिकतम कितनी सार्थक पंक्तियों की अनुमति है? इसी तरह अन्य विधाओं में पंक्ति संख्या निर्धारित है क्या?

1. पद्य-काव्य के महा-उत्सव की एक ही प्रविष्टि में चाहे जितनी रचना प्रस्तुत कर सकते हैं. 

2. अतुकान्त कविता चाहे जितनी पंक्तियों की हो, मनाही नहीं है. 

लेकिन. सही बात तो यह है कि श्रेष्ठ से श्रेष्ठ कवि भी एक बार में एक से अधिक रचना नहीं लिख पाता. रचनाकर्म एक अत्यंत क्लिष्ट और गहन प्रक्रिया है. वहीं, अतुकान्त या मुक्त छन्द की रचनाओं की पंक्तियों की सार्थकता उनकी संख्या नहीं, कथ्य-संप्रेषण की निश्चितता होती है. रचनाकर्म का हेतु पाठकों से भाव-भावनाओं का शाब्दिक संप्रेषण हुआ करता है, न कि पाठक-श्रोता के धैर्य की परीक्षा लेना. दूसरे, हर रचना हर किसी पाठक केलिए नहीं होती.

रचनाएँ भी अपने पाठक नियत कर लेती हैं. रचनाओं में घटिया रचनाएँ नहीं होतीं, क्योंकि हर तरह की रचनाओं के पाठक हुआ करते हैं.

विश्वास है, आदरणीय, समीचीन उत्तर मिल गया है.

शुभेच्छाएँ

आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपके प्रश्न विलम्ब से देख पाया क्योकिं नेट नहीं चल रहा था. आदरणीय सौरभ सर ने उत्तर दिया है विश्वास है कि आपके प्रश्न उनसे तुष्ट हो गए होंगे. आदरणीय सौरभ सर ने न केवल उत्तर दिया है बल्कि नव अभ्यासियों और एक रचनाकार के लिए मार्गदर्शन भी किया है. इस मंच की यही विशेषता है. आदरणीय सौरभ सर का हार्दिक आभार. नमन 

आदरणीय मिथिलेश भाई, कहे को अनुमोदित करने केलिए हार्दिक धन्यवाद !  भाई, मुझे लगा कि मैं रचनाकर्म के लिहाज से अर्जित अपने अनुभव साझा करूँ.

शुभ-शुभ

 

आपके अनुभव सदा लाभकारी हुआ करते हैं,जय हो ।

महोदय ! क्या ओ बी ओ के अपने पृष्ठ पर पूर्व में अंकित की गयी किसी रचना को  "OBO लाइव महा उत्सव" में  प्रस्तुत की जा सकती है या नहीं ?

डॉ टी आर शुक्ल  .

जी नहीं आदरणीय डॉ टी आर सुकुल जी, अपने ब्लॉग में पोस्ट की गई रचना आयोजन में पुन: पोस्ट नहीं की जा सकतीI 

सभी गुणीजन को मेरा नमस्कार. इस बार के तरही मुशायरे के बारे में मेरे कुछ सवाल हैं. इस बार का मिसरा है "जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती". मैं ये जानना चाहता हूँ कि
1)क्या मैं किसी मिसरे में "तो शोहरत और हो जाती" लिख सकत हूँ. यानी "शोहरत" और इसी तरह के अन्य शब्द जैसे "मोहलत" "सोहबत" को (2 2) के रूप में इस्तेमाल कर सकता हूँ या नहीं.

2) यहाँ पर काफ़िया "अत" है.दिए गये मिसरे में "इनायत" है.यानी "अत" से पहले "आ" की मात्रा है. तो क्या हमें मिसरों में "आ" की मात्रा वाले शब्द जैसे "बगावत" "हिफाज़त" "शरारत" ही इस्तेमाल कर सकते या कि "हकीकत" "मुहब्बत" "जुर्रत" जैसे शब्द भी काफ़िये में लिख सकते हैं.
कृपया मार्ग दर्शन करें..... धन्यवाद

भाई गुरप्रीत सिंह जी, इनायत, बगावत, शराफत आदि काफियों का ज़िक्र मंच संचालक महोदय ने बतौर मिसाल किया हैI अगर आपने गौर से देखा हो तो उद्घोषणा में काफिया के लिए "अत" शब्द इस्तेमाल किया गया है, जिसका मतलब साफ़ है कि जो काफिया "अत" से समाप्त हो रहा होI अत: जुर्रत/मोहलत/शोहरत/गफलत/नफरत/कुर्बत/ग़ुरबत/हकीकत/मोहब्बत/सदाक़त/निजामत/सलामत/तबीयत/रफाकत/शराफत/उल्फत/खलकत/जन्नत/मिन्नत/दिक्कत/ज़हमत/ आदि जायज़ काफिये हैंI    

आदरणीय योगराज जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने इतनी अच्छी तरह से उदाहरणों सहित समझाया. एक अच्छी बात और हुई कि आपकी दी गयी उदाहरणों से मुझे कुछ नए शब्द भी मिल गए जो मैं पेहले नही जानता था.
तो महोदय "शोहरत" शब्द का वज़न (22) ही होगा ना. कृपया ये भी क्लियर कर दीजिए

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
13 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service