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आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 48 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ 

17 अप्रैल 2015 दिन शुक्रवार से 18 अप्रैल 2015 दिन शनिवार तक.

इस बार के आयोजन के लिए जिस छन्द का चयन किया गया है, वह है –  शक्ति छन्द

शक्ति छ्न्द के आधारभूत नियमों को जानने के लिए यहाँ क्लिक करें...

एक बार में  अधिक-से-अधिक तीन शक्ति छन्द प्रस्तुत किये जा सकते है. 

ऐसा न होने की दशा में प्रतिभागियों की प्रविष्टियाँ ओबीओ प्रबंधन द्वारा हटा दी जायेंगीं.

[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है]

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 217 अप्रैल 2015 से  18 अप्रैल 2015 यानि दो दिनों के लिए रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

  • ओ बी ओ के सभी आधार नियम यहाँ भी लागू होंगे तथा केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
  • आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक प्रविष्टि, न कि एक ही दिन में दो प्रविष्टियाँ.
  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.  आयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  • आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  • इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  • रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  • रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

क्या बात है भाई लक्ष्मण धामी जी, बेहतरीन छंद हुए हैं जिस हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। 

आ0 भाई योगराज जी ,रचना पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ और  शक्तिछन्द पर यह पहला प्रयास  में कोई चूक नहीं हुई यह जानकर संतोष हुआ । स्नेहाशीष के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

लाजवाब छंद रचना के  लिए हार्दिक बधाई श्री लक्ष्मण धामी जी 

आ० भाई लडीवाला जी हार्दिक आभार l

वाह वाह वाह, चित्र की आत्मा तक आपकी रचना पहुँचती है, बेहद खुबसूरत, बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी जी.

बिकेगा  सहज  खेत क्यों ना भला
सदा   हाकिमों   ने  उसे  है  छला
कलम पीर तुम ही लिखो खेत की
इबारत   मिटाओ   उठो   रेत  की

आदरणीय लक्ष्मण धामीजी, आपकी इन पंक्तियों के माध्यम से आपको बधाइयाँ दे रहा हूँ.
शुभेच्छाएँ


अलबत्ता, पहली दो पंक्तियाँ व्याकरण की दृष्टि से बहुत ही कच्ची हैं. आप एक अच्छे ग़ज़लकार हैं. मेरा इशारा कहाँ है, विश्वास है, आप अवश्य समझ रहे होंगें.
सादर

आदरणीय  लक्ष्मण धामी जी,  इस  सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई आपको ! सादर 

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ,

वाह  बहुत सुंदर .... इस छंदोत्सव में आपकी  इस  सार्थक रचना पर  हृदय से बधाई स्वीकार करें। 

आ० लक्ष्मण धामी जी 

चित्रानुरूप व कथ्य -भाव पर संयत प्रस्तुति हुई है 

बिकेगा  सहज  खेत क्यों ना भला
सदा   हाकिमों   ने  उसे  है  छला
कलम पीर तुम ही लिखो खेत की 
इबारत   मिटाओ   उठो   रेत  की 

हार्दिक बधाई 

आदरणीय लक्ष्मण भाई , चित्रके अनुसार बहुत सुन्दर रचना हुई है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

 आदरणीय लक्ष्मण धामी  जी सादर, प्रदत्त चित्र पर तीनो ही छंद सुन्दर  रचे हैं. बहुत-बहुत बधाई. सादर. 

मिले खेत में काम करते सभी

खिलें फूल से मन सभी के तभी

खड़ीं देख कर दूर अट्टालिका,

यहाँ पुष्प से ही सजी,वाटिका |

 

बिना प्रेम के क्या करे चाकरी

जुडें है यहाँ दे सभी हाजरी |

बजाते रहे खेत में नौकरी

बचा डूब से खेत क्यारी भरी |

 

मजा ले रहे आपदा आ पड़ी

सभी गाँव की जान रो पड़ी

सभी एक हो खेत में जा पिलें

करें आस सोना यही से मिलें |

(मौलिक व अप्रकाशित)

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