आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,
सादर अभिवादन.
ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 39 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.
सर्वप्रथम, आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
18 जुलाई 2014 दिन शुक्रवार से 19 जुलाई 2014 दिन शनिवार
विदित ही है, कि चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव आयोजन की रूपरेखा अंक-34 से एकदम से बदल गयी है.
प्रत्येक आयोजन में अब प्रदत्त चित्र के साथ-साथ दो छन्द भी दिये जाते हैं. जिनके मूलभूत नियमों पर लेख मंच के भारतीय छन्द विधान समूह में पहले से मौज़ूद होता है. प्रतिभागियों से अपेक्षा रहती है कि वे प्रदत्त चित्र तथा उसकी अंतर्निहित भावनाओं को दिये गये छन्दों के अनुसार शब्दबद्ध करें.
अबतक निम्नलिखित कुल दस छन्दों के आधार पर रचनाकर्म हुआ है -
अंक 36 - छन्नपकैया तथा कह-मुकरी
इस बारका आयोजन अबतक दिये गये उपरोक्त दसों छन्दों में से पाँच छन्दों पर आधारित है. यानि प्रस्तुत आयोजन अबतक सीखे गये छन्दों पर ही पुनर्अभ्यास के तौर पर होगा.
(चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से लिया गया है)
इस बार के आयोजन के लिए उपरोक्त दस छन्दों में से पाँच छन्द निम्नलिखित हैं :
रोला, चौपाई, छन्नपकैया, कह-मुकरी, गीतिका
चौपाई, छन्नपकैया में रचनाकर्म करना है तो इनके पाँच से अधिक छन्द न हों.
रोला, कह-मुकरी, गीतिका में रचनाकर्म करना है तो इनके तीन छन्द से अधिक न हों.
आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 18 जुलाई 2014 दिन शुक्रवार से 19 जुलाई 2014 दिन शनिवार यानि दो दिनों के लिए खुलेगा.
रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा. केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
विशेष :
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अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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बहुत उच्चकोटी के गीतिका छंद रचे हैं आपने आदरणीय गिरिराज जी, मनोयोग से पढे आनंद आ गया। बहुत बहुत बधाई आपको
आदरणीया कल्पना जी , आपके सराहना ने निश्चित मेरा मनोबल बढ़ाया है ॥ आपका हार्दिक आभार ॥
फलसफे की बात कह दी , गीतिका में आपने
मन प्रकम्पित कर दिया है आपके आलाप ने
पीर सहकर सुख लुटाना बहुत मुश्किल काम है
लुट गया जो सब लुटाकर,आज उसका नाम है ||
सादर.............
रोला छंद.
कई दिखाता खेल, नाम है जिसका जोकर,
हमें हँसाता खूब, नित्य मन ही मन रोकर,
दर्शक करते वाह, मजा जब उनको आता,
तब जोकर कुछ और, नए करतब दिखलाता ||
कुछ हैरतअंगेज, दृश्य व्याकुल करते हैं,
पर सर्कस के खेल, यही तो मन हरते हैं,
ताली पाते खूब, नए नित खेल दिखाकर,
बाजीगर से और, अधिक पर भाता जोकर ||
मौलिक/अप्रकाशित.
बहुत सुन्दर और प्रदत्त विषयानुरूप रोला छंद रचे हैं आ० रक्ताले जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें।
आदरणीय प्रभाकर जी सादर प्रणाम, रचना पसंद कर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हृदयातल से आभार. सादर.
आदरणीय अशोक जी
सर्कस का जीवंत चित्रण i बहुत सुन्दर छंद रचना में i
कुछ हैरतअंगेज, दृश्य व्याकुल करते हैं,
पर सर्कस के खेल, यही तो मन हरते हैं,
आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहब सादर, छंदों पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रया के लिए दिल से आभार. सादर.
आ० अशोक रक्ताले जी, सच में जोकर सभी को बहुत भाता है और बच्चे तो उसे देखने के लिए ही सर्कस जाते हैं,बहुत अच्छे रोले लिखे हैं हार्दिक बधाई आपको |
जी ! जोकर भी सर्कस की जान होते हैं. आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर, छंद पसंद कर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार. सादर.
आदरणीय अशोक भाई , विषयानुरूप लाजवाब रोला छंदों के लिये अपको हार्दिक बधाई ॥
आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब सादर नमन, आपकी सुन्दर प्रतिक्रया ने रचना को सार्थकता प्रदान की है. सादर आभार.
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