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प्रबंधन समिति,

एक सुझाव है कि प्रतिदिन ब्लोग पोस्ट्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रति सदस्य एक दिन में ब्लॉग द्वारा रचना पोस्ट करने की संख्या निर्धारित कर दी जानी चाहिए
क्योकि एक दिन में एक सदस्य द्वारा ४- ५ पोस्ट करने पर स्तरीयता कम होने का खतरा बना रहता है साथ ही पाठकों के लिए भी सभी पोस्ट पर समुचित समय दे पाना मुश्किल होता होगा
इस सन्दर्भ में एक सदस्य द्वारा एक दिन में अधिकतम एक रचना पोस्ट करने की ही अनुमति सर्वथा उचित प्रतीत होती है

सादर



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Replies to This Discussion

वीनसजी, इस मंच पर नए सदस्य आये हैं. अवश्य है कि, ऐसा आगमन आशाओं और उत्साह भरे माहौल के बनने का कारण हो रहा है. जहाँ कुछ सदस्यों के प्रति वाकई बहुत-बहुत आशाएँ बनी हैं. तो कुछ किसी प्रोडक्टिंग फैक्ट्री के आउटकम की तरह अपनी ’अद्भुत’ प्रविष्टियों से मंच को लगातार नवाजते जा रहे हैं. स्तर का ढंग यह है कि ’रचनाकार’ अपनी प्रस्तुतियाँ बस झोंक रहे हैं, यह मान कर कि यह मंच लगातार ’कुछ भी’ प्रस्तुत करते जाने का एक प्लेटफ़ार्म भर है. जैसा कि अमूमन अन्यान्य अंतर्जालीय प्लेटफ़ार्मों पर हुआ करता है. बिना यह जाने-समझे कि इस मंच का उद्येश्य ही ’सीखने-सिखाने’ का है. या, ’जानने-समझने’ का भी यहाँ कोई ढंग अपनाया जाता है. इस हड़बोंग भरे माहौल में यह भी हो रहा है कि रचना की विधा, उसके शिल्प, उसके कथ्य या तथ्य, उसकी संप्रेषणीयता और कसावट पर बात करना मानों ’आ बैल मुझे मार’ का पर्याय या जीना हो गया है.

कोई आश्चर्य नहीं कि विधा या किसी कथ्य संबंधी सलाह पर कुछ रचनाकार आपसे आपकी जानकारी का सर्टिफ़िकेट मांग लें ! या, आपके सुझाए टिप्स पर आपकी भद्द ही पीट दें. यह सही है कि रचना कोई हो बुरी नहीं होती लेकिन उसके होने में क्या, क्यों और कैसे के सटीक विन्दु न हों तो रचनाकारों में आत्ममुग्धता हावी हो जाती है. यदि मंच पर ऐसा ही होता दीख रहा है तो आश्चर्य नहीं होता. सदस्य सीखने या सुनने नहीं मात्र सुनाने के लिए प्रविष्टियाँ दे रहे हैं.

मुझे अवश्य ही दुख है कि मैंने आपके पोस्ट के माध्यम से कुछ कठिन बातें की हैं. लेकिन मंच पर आती रचनाओं की बाढ़ को संयमित करना भी आवश्यक है. जो कि आपके सुझाव का अंतर्निहित भाव है.

लेकिन यह भी सही है कि ऐसे स्तर की रचनाएँ जो आप देख रहे हैं यह सोच कर मंच पर आने दी जाती हैं कि रचनाकार अपनी रचनाओं के आलोक में उसके शिल्प, कथ्य, उसकी विधा आदि पर समझने-बूझने का प्रयास करेंगे;  जानकारों, सुधी पाठकों और विद्वद्जनों की सलाहों पर ध्यान दे कर अपने रचनाकर्म में उत्तरोत्तर सुधार लायेंगे. लेकिन जब ’हम सबकुछ जानते हैं’ का भ्रम हावी हो जाये, या मन में फेसबुकिया उड़ान हावी हो जाय, तो कुछ भी कहना-सुनाना हाशिये पर जाता दिखायी देता है.

वीनस जी की बात से सच कहूं तो मुझे २००% सहमत होने का मन है.... कभी कभी तो इतनी पोस्ट दिखती हैं पढ़ने के लिए कि घबरा कर मैं एक भी नहीं पढ़ पाती क्योंकि ठीक से पढ़े बिना कुछ भी लिख देना रचनाकार के प्रति अन्याय है | इसलिए पोस्टिंग को सीमित तो किया ही जाना चाहिए 

//लेकिन यह भी सही है कि ऐसे स्तर की रचनाएँ जो आप देख रहे हैं यह सोच कर मंच पर आने दी जाती हैं कि रचनाकार अपनी रचनाओं के आलोक में उसके शिल्प, कथ्य, उसकी विधा आदि पर समझने-बूझने का प्रयास करेंगे;  जानकारों, सुधी पाठकों और विद्वद्जनों की सलाहों पर ध्यान दे कर अपने रचनाकर्म में उत्तरोत्तर सुधार लायेंगे.///

यह कार्य ओबओ की सार्थकता को प्रमाणित करता है 

सीमाजी,  रचनाओं की संख्या कभी परेशानी का कारण नहीं है. आने वाले समय मे यह संख्या बहुत बड़ी संख्या बनने वाली है. वीनसजी के कहे में एक अंतर्धारा भी है और वह यह है कि प्रस्तुत रचनाऒं की संख्या के समानान्तर उनकी गुणवत्ता. यदि सोद्देश्य और सुगढ़ रचनाएँ आती हैं तो उनका सहर्ष स्वागत है. उनके लिए पाठक भी लालायित हैं.   सीमाजी, आप भी साक्षी रही हैं,  उन्नत भावों से समृद्ध अच्छी रचनाओं पर इसी मंच पर कई-कई बार सार्थक बहसें चली है. कितनी ही रचनाओं के शिल्प और तथ्य और व्याकरण तक में टिप्पणियों के आदान-प्रदान में ही अभूतपूर्व सुधार हुए हैं. कहना न होगा, आज वे रचनाएँ उन रचनाकर्ताओं की सबसे अच्छी रचनाओं में से हैं. 

आपने मेरे कहे में से जिस भाग को उद्धृत किया है, वह प्रबन्ध सम्पादक और प्रबन्धन के विचारों का ही परावर्तन है. इस भाव की पवित्रता को नव-हस्ताक्षर भी समझें, आदर दें और उसी पवित्रता के साथ रचनाधर्म का पालन करें.

शुभ-शुभ

आदरणीय वीनस जी , आपके इस सुझाव को मेरा भी समर्थन है. सादर.

श्री वीनस केसरी जी का सुझाव - किसी लेखक की एक दिन में एक  रचना ही पोस्ट करे, ठीक लग रहा है । 

इस सन्दर्भ में आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी के विचार भी बहुत विचारणीय है । इसके समाधान में एक 

सुझाव यह भी हो सकता है की प्रबंध समिति के छंद विशेष का ज्ञान रखने वाले व्यक्ति विशेष द्वारा किसी रचना के 

अनुमोदन से पहले ही उसकी त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाकर त्रुटी संशोधित करने को कहा जावे और तभी उसे 

अनुमोदित किया जावे । जैसा भी हो विचारणीय अवश्य है । सुझावों का स्वागत है

//एक सुझाव है कि प्रतिदिन ब्लोग पोस्ट्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रति सदस्य एक दिन में ब्लॉग द्वारा रचना पोस्ट करने की संख्या निर्धारित कर दी जानी चाहिए //

भाई वीनस जी, आपकी प्रतिभा से यह मंच सदैव लाभान्वित होते रहा है, समय समय पर आपके उचित सुझाओं को प्रबंधन ने सर माथे पर लिया हैं, भविष्य में भी आपके सुझाओं का सदैव इस मंच पर स्वागत रहेगा, अब केन्द्रित करते है इस सुझाव पर .... ओ बी ओ पर सक्रिय सदस्यों की संख्या में उतरोत्तर वृद्धि अवश्यम्भावी है फलस्वरूप रचनाओं की भी संख्या बढ़नी लाजमी है, आने वाले दो चार सालों में कई गुना वृद्धि संभावी है, इस परिस्थिति में हम ब्लॉग की संख्या सिमित क्यों करें, यदि अधिक संख्या में स्तरीय रचनायें ओ बी ओ पर आती है तो उसका हमें स्वागत करना चाहिए, एक सदस्य एक दिन में १० रचनायें पोस्ट करें किन्तु वो सभी गुणवता पूर्ण हो, हमें असल परेशानी अस्तरीय रचनाओं से है, सदस्यता ग्रहण करने के साथ सदस्य अपनी थोक रचनायें गुणवत्ता पर ध्यान दिए बगैर पोस्ट करते है, और चाहते है कि सभी रचनायें अनुमोदित हो जायँ, उत्साहवर्धन के ख्याल से कम गुणवत्ता की रचनायें भी अनुमोदित कर दी जाती है, किन्तु दिक्कत तो तब होती है जब गुणी जनों के सुधारात्मक सुझावों पर वो अनाप-सनाप बकने लगते है | भविष्य में ओ बी ओ प्रबंधन रचनाओं को अनुमोदन में तथा फीचर करने में और कड़ा मानक अपनाएगा |

   
//क्योकि एक दिन में एक सदस्य द्वारा ४- ५ पोस्ट करने पर स्तरीयता कम होने का खतरा बना रहता है साथ ही पाठकों के लिए भी सभी पोस्ट पर समुचित समय दे पाना मुश्किल होता होगा//

सहमत हूँ वीनस जी, जब क्षमता से अधिक उत्पादन होता है तो गुणवता नियंत्रण पर ध्यान नहीं रह पाता, उसी प्रकार जब रचनाकार एक दिन में कई कई रचनाओं में ऊर्जा निवेश करते है तो रचनायें सिर्फ शब्द जाल बन कर रह जाती हैं और वो पाठकों को प्रभावित नहीं करती , यदि उस उर्जा को संघनित कर किसी एक रचना में निवेश कर दिया जाय तो रचना सभी को आकर्षित करती है, यह तो रचनाकारों को समझना होगा |


//इस सन्दर्भ में एक सदस्य द्वारा एक दिन में अधिकतम एक रचना पोस्ट करने की ही अनुमति सर्वथा उचित प्रतीत होती है//

इस प्रकार का कोई बंधन रखने का विचार नहीं है |

निचोड़ :- ओ बी ओ प्रबंधन किसी रचनाकार की रचनाओं को संख्याबल के आधार पर सिमित नहीं करेगा | गुणवत्ता मानकों को और कठोर करेगा जिससे स्तरीय रचनायें प्रकाशित हो सके |

///  निचोड़ :- ओ बी ओ प्रबंधन किसी रचनाकार की रचनाओं को संख्याबल के आधार पर सिमित नहीं करेगा | गुणवत्ता मानकों को और कठोर करेगा जिससे स्तरीय रचनायें प्रकाशित हो सके |   ///

गणेश जी
निश्चित ही अधिक संख्या से कोई दिक्कत नहीं है स्तरहीन रचनाएं ही चिंता का कारण है और मैं इस नीचोड़ से सहमत हूँ
यह पहले से किया जा रहा है पोस्ट को अनुमोदन के लिए रोकने का एक मुख्य आशय यह भी रहा है
इससे भी समस्या का निदान हो सकता है बशर्ते रचना विधान को ध्यान में रखते हुए नए व पुराने सभी सदस्यों की रचना को अनुमोदित करते समय एक ही मानक का पालन किया जाये
ऐसा सर्वथा अनुचित लगता है कि नए सदस्य एक दिन में ४ - ५ स्तरहीन रचना पोस्ट करें और उत्साह वर्धन के लिए उनकी सभी पोस्ट को एक ही दिन में अनुमोदित कर दिया जाये और पुराने सदस्य से अपेक्षा की जाए कि वो बढ़िया से बढ़िया ही लिखेंगे ....

बात तभी बनेगी जब 
नए पुराने सदस्यों के प्रति अलग रवैया ना रखा जाये और मंच में ब्लॉग पोस्ट होने का निश्चित मानक निर्धारित हो जो कि रचना शिल्प और विधान को संतुष्ट करता हो

नहीं तो, शानदार..., बहुत बढ़िया....., क्या कहने .... लिखकर आगे बढ़ जाने के अतिरिक्त क्या विकल्प बचेगा

आप सभी प्रबुद्धजन ने मेरे सुझाव पर अपना मत प्रकट किया इसके लिए आभारी हूँ
प्रबंधन समिति का भी आभारी हूँ

//इससे भी समस्या का निदान हो सकता है बशर्ते रचना विधान को ध्यान में रखते हुए नए व पुराने सभी सदस्यों की रचना को अनुमोदित करते समय एक ही मानक का पालन किया जाये//

वीनस जी, सबसे पहले तो ओ बी ओ को भली भाति समझने की आवश्यकता है, यह कोई व्यक्तिगत ब्लॉग नहीं है जो रचनाओं को आमंत्रित करें उनमे से अपने मानक के अनुसार रचनाएँ प्रकाशित कर दें. ओ बी ओ शुरू से ही इस उद्देश्य के साथ चला है कि अच्छे और जानकार रचनाकारों की संगत में रह कर नए रचनाकार कुछ सीख सके, कहीं ऐसा न हो कि मानक के चक्कर में मंच के उद्देश्यों को भूल जाये | साहित्य हेतु मानक कोई फिजिकल स्केल नहीं होता यह एक बौद्धिक स्केल है जो अलग अलग व्यक्तियों का अलग अलग हो सकता है, अभी भी अनुमोदन कोई ना कोई मानक के आधार पर ही किया जाता है |

//ऐसा सर्वथा अनुचित लगता है कि नए सदस्य एक दिन में ४ - ५ स्तरहीन रचना पोस्ट करें और उत्साह वर्धन के लिए उनकी सभी पोस्ट को एक ही दिन में अनुमोदित कर दिया जाये और पुराने सदस्य से अपेक्षा की जाए कि वो बढ़िया से बढ़िया ही लिखेंगे ....//

जब पूर्व में ही कहा जा चूका है कि प्रबंधन अपने मानको को और कड़ा करेगा तो फिर इस टिप्पणी का क्या अर्थ है, यदि पुराने सदस्यों से बढ़िया लिखने की अपेक्षा की जाय तो इसमें गलत क्या है |

जिन पाठकों को लगता है कि फलां रचना अच्छी नहीं है तो कौन कहता है कि आप वाह-वाह करिए ही या टिप्पणी करिए ही, कोई भी शुरूआती दौर से ही अच्छा नहीं लिखने लगता, इसी ओ बी ओ पर हम सबने नए रचनाकारों को उत्तरोत्तर प्रगति करते हुए देखा है, यदि उन्हें मंच नहीं मिलता तो क्या वो प्रगति कर पाते ?

//बात तभी बनेगी जब नए पुराने सदस्यों के प्रति अलग रवैया ना रखा जाये और मंच में ब्लॉग पोस्ट होने का निश्चित मानक निर्धारित हो जो कि रचना शिल्प और विधान को संतुष्ट करता हो//

क्या अभी तक ओ बी ओ बगैर मानक के चलते रहा है ? भ्रम और भुलावे में रहना ठीक नहीं, पहले भी मानक था अब भी है और भविष्य में भी रहेगा | पुनः दोहराना चाहूँगा कि ओ बी ओ अपने न्यूनतम बाटम लाइन को ऊपर अवश्य करेगा, किन्तु नए रचनाकारों का ध्यान सदैव रखा जायेगा |

//नहीं तो, शानदार..., बहुत बढ़िया....., क्या कहने .... लिखकर आगे बढ़ जाने के अतिरिक्त क्या विकल्प बचेगा //

यह कोई जरुरी नहीं, कि इस तरह कि टिप्पणी की ही जाय, या जो रचनाएँ सदस्यों को पसंद न हो उसपर टिप्पणी करी ही जाय | मैंने अच्छी रचनाओं पर अच्छे साहित्यकारों द्वारा शानदार..., बहुत बढ़िया....., क्या कहने .... लिखकर आगे बढ़ते देखा है, हद तो तब होती है जब आयोजनों में अच्छे साहित्यकार आतें हैं और १० मिनट में २० रचनाओं के ऊपर टिप्पणियाँ देकर अपनी रचना पोस्ट करने हेतु एक मनोवैज्ञानिक कुशन तैयार करते है और अपनी रचना पोस्ट कर चल देतें है | क्या ये सब बातें प्रबंधन के संज्ञान में नहीं है ? सब है ...

इस विशद और पूरी तरह से संतुष्ट करते स्पष्टीकरण के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, भाई गणेशजी.  कई मायनों में वीनस जी द्वारा उठाये गये प्रश्न की आवश्यकता बन गयी थी. ताकि उसके आलोक में ओबीओ के उद्येश्य पर एक बार पुनः चर्चा हो जाय. तथा नये रचनाकारों को यथासंभव सदेश भी दिया जा सके.

यह अवश्य ही है कि नये प्रस्तुतकर्ताओं और अभ्यासकर्ताओं के तथा अनुभवी रचनाकारों के मध्य एक ही रेखा नहीं खींची जा सकती. ऐसा करना नये रचनाकारों को हतोत्साहित करना हो जायेगा. या, यह उनके प्रति असंवेदनहीनता ही होगी. सर्वोपरि यह ओबीओ का उद्येश्य ही नहीं है. उद्येश्य को पुनः रेखांकित करने के लिए गणेश भाई को पुनः धन्यवाद.

लेकिन यह भी आवश्यक है कि नए रचनाकार मात्र सुनाने पर अधिक जोर न दें. वैसे, यह भी अवश्य है कि हर नया लिखने वाला अधिक से अधिक सुना जाना पसंद करता है. लेकिन संयम, नम्रता और निरंतरता ही किसी नये रचनाकार को प्रबुद्ध करती है. चाहे रचना अतुकांत रचना ही क्यों न हो, लिखने के क्रम में नियमानुकूल होना, संयत होना और विधानुसार (अतुकांत रचनाओं की भी एक विधा है) बहुत ही आवश्यक है. अन्यथा उस रचनाकार की प्रगति रुक ही नहीं जाती, वह अप्रासंगिक हो जाता है. ऐसे कई-कई उदाहरण इस मंच ने भी देखे हैं.

अतः नये रचनाकारों द्वारा जानकार, पुराने और समृद्ध रचनाकारों को पढ़ना, उन्हें गुनना और समझना बहुत ही आवश्यक है. और इस हेतु मंच भी होना चाहिये जहाँ तदनुरूप अभ्यास भी चलता रहे. ओबीओ ऐसा ही एक मंच है.

गणेशभाई समुच्चय में तथ्यों को रखने के लिए पुनः धन्यवाद.

तथ्यों को अनुमोदित करने हेतु आभार आदरणीय सौरभ भईया, मैं आपकी बातों से पूर्णतया सहमत हूँ , नये रचनाकारों में नम्रता पहली शर्त होना चाहिए, आभासी दुनिया में शब्द ही बोलतें हैं, सदैव अपनी टिप्पणियों में यह ध्यान रखना होगा कि इसका असर या भाव सामने वाले के पास क्या जा रहा है |

 // पुनः दोहराना चाहूँगा कि ओ बी ओ अपने न्यूनतम बाटम लाइन को ऊपर अवश्य करेगा, किन्तु नए रचनाकारों का ध्यान सदैव रखा जायेगा //



गणेश जी आपके इस आश्वासन से संतुष्ट हूँ
मेरा अनुरोध और आशय भी इसी तईं था

धन्यवाद

आदरणीय प्रबंध समिति व सदस्यगण

अब चर्चा के बाद मेरे इस सुझाव का एक पक्ष यह भी हो सकता है कि पहले प्रबंधन समूह एक कड़ा मानक स्थापित करे और फिर अगर नए सदस्यों को प्रोत्साहित करने के लिए कोई रचना मंच के मानक से नीचे होते हुए भी अनुमोदित करनी ही पड़े तो प्रोत्साहन स्वरूप ऐसे रचनाकार की एक दिन में केवल १ रचना का अनुमोदन हो तो ही उचित है

एक़ दिन में एक रचनाकार की ऐसी ४- ५ रचना को अनुमोदित करने से बचा जाये और पुराने सदस्यों को यह छूट कम से कम मिले

मानक पर खरी उतरती रचना पर संख्या का प्रतिबंध न लगया जाये

परन्तु तब नियम में उल्लेख न होने के कारण प्रबंधन समिति का कार्य कई गुना बढ़ जायेगा क्योकि तक हर रचना की मानीटरिंग में और समय देना पड़ेगा

अस्तु जैसा मंच के लिए सर्वोचित हो ....

 

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