For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रतियोगिता परिणाम: "चित्र से काव्य तक" अंक-१३

प्रतियोगिता परिणाम: "चित्र से काव्य तक" अंक-१३

नमस्कार साथियों,

"चित्र से काव्य तक" अंक -१३ प्रतियोगिता से संबधित निर्णायकों का निर्णय आपके समक्ष प्रस्तुत करने का समय आ गया है | हमेशा की तरह इस बार भी प्रतियोगिता का निर्णय करना अत्यंत दुरूह कार्य था जिसे हमारे निर्णायक-मंडल नें अत्यंत परिश्रम से संपन्न किया है जिस हेतु हम समस्त निर्णायकों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं |

दोस्तों ! इस बार का चित्र अपने आप में अद्वितीय था क्योंकि भले ही एक नज़र में उसमें केवल एक वृक्ष का तना व उकेरा गया परिपक्व मानव भ्रूण ही दिख रहा था परन्तु उसमें भावनाओं का एक समूल विश्व  ही समाहित था |  ..... ऐसे अनोखे चित्र पर आधारित रचनाओं के माध्यम से हमारे साथियों नें हमारी कन्या संतति को को बहुत मान दिया है | लगातार तीन दिनों तक चली इस प्रतियोगिता के अंतर्गत हमारे छन्द्कारों ने इस चित्र को छंदों के माध्यम से स्वरूचि अनुसार विभिन्न आयामों में चित्रित करने का प्रयास किया है  इस हेतु सभी ओ बी ओ सदस्य बधाई के पात्र हैं |

इस प्रतियोगिता का आगाज़ आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर के चित्र को सलीके से परिभाषित करते हुए बेहतरीन कुंडलिया छंदों से हुआ| जिनमें प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गयी......... तद्पश्चात इस प्रतियोगिता के अंतर्गत अधिकतर  कुंडलिया , हरिगीतिका, बरवै, चौपाई, मानव छंद , मनहरण घनाक्षरी, सार/ललित छंद , दोहा, सरसी, पद्धरि , ज्वालाशर आदि अनेक विधाओं में छंद प्रस्तुत किये गये, पिछली बार की तरह इस बार भी प्रतिक्रियाओं में छंदों की कुछ ऐसी रसधार बही कि सभी कुछ छंदमय हो गया|  इस प्रतियोगिता में समस्त प्रतिभागियों के मध्य,  आदरणीय योगराज प्रभाकर , सौरभ पाण्डेय, अरुण कुमार निगम, आदरणीया सीमा अग्रवाल जी,  डॉ० ब्रजेश त्रिपाठी, धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’,  धर्मेन्द्र शर्मा जी  व आदरणीय गणेश जी बागी आदि  ने अंत तक अपनी बेहतरीन टिप्पणियों के माध्यम से सभी प्रतिभागियों व संचालकों के मध्य परस्पर संवाद कायम रखा तथा तथा प्रतिक्रियाओं में छंदों का खुलकर प्रयोग करके इस प्रतियोगिता को और भी रुचिकर व आकर्षक बना दिया | आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर, श्री सौरभ पाण्डेय जी, श्री तिलकराज कपूर, , श्री अविनाश बागडे व श्रीमती सीमा अग्रवाल आदि नें भी प्रतियोगिता से बाहर रहकर मात्र उत्साहवर्धन के उद्देश्य से ही अपनी-अपनी स्तरीय रचनाएँ पोस्ट कीं जो कि सभी प्रतिभागियों को चित्र की परिधि के अंतर्गत ही अनुशासित सृजन की ओर प्रेरित करती रहीं, साथ-साथ सभी नें अन्य साथियों की रचनायों की खुले दिल से निष्पक्ष समीक्षा व प्रशंसा भी की जो कि इस प्रतियोगिता की गति को त्वरित करती रही | पीछे-पीछे यह खाकसार भी इन सभी विद्वानों की राह का अनुसरण करता रहा.... प्रसन्नता की बात यह भी है कि अभी-अभी हाल में ही ओ बी ओ से जुड़े हमारे नए सदस्य इस प्रतियोगिता को लेकर बहुत उत्साहित हैं !

बंधुओं ! हर्ष का विषय यह है कि यह प्रतियोगिता छंदबद्ध होकर अपेक्षित गुणवत्ता की ओर अग्रसर हो रही है........... संभवतः वह दिन दूर नहीं..... जब ओ बी ओ पर मनचाही विधा में मनभावन छंदों की चहुँ ओर बरसात होगी |

इस यज्ञ में काव्य-रूपी आहुतियाँ डालने के लिए समस्त ओ बी ओ मित्रों का हार्दिक आभार...

प्रतियोगिता का निर्णय कुछ इस प्रकार से है...

 

_______________________________________________________________________

प्रथम पुरस्कार रूपये १००१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company

 

 प्रथम स्थान : पर श्री आलोक सीतापुरी जी  की हरिगीतिका प्रतिष्ठित है |

 (१)

छंद हरिगीतिका

(१६, १२ मात्रा)

गर्भस्थ शिशु सम बीज अंकुर, विटप गहबर सोहहीं|

पावन प्रकृति संतति वनस्पति, देव तन मन मोहहीं|

शिशु लिंग की पहचान कर जिमि, जनम कन्या रोधहीं|

निज स्वार्थ हित यह नर अधम नहिं, लोक मंगल सोधहीं ||

--आलोक सीतापुरी

 ___________________________________________________________________

द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali

A leading software development Company

 

द्वितीय स्थान ; पर  डॉ० प्राची सिंह के दोहे विराजमान हैं | 

दोहा (13+11)

जीवन दाता वृक्ष हैं, खाद्य शृंखलाधार .

कैसे फिर जीवन बचे, होवे जो संहार ..

***************************** *****

कन्या संतति वाहिनी, जीवन का आधार .

कैसे फिर जीवन चले, भ्रूण दिए जो मार..

 **********************************

सरकारी वन पौलिसी, बोले पेड़ लगायँ .

        तेइस प्रतिशत वन बचे, तैंतिस पर ले आयँ..       

*********************************** 

दिन दिन गिरता जा रहा, कन्या का अनुपात.

जनगणना के आंकड़े, कहते हैं यह बात ..

***********************************        

कागज लट्ठा औ’ दवा, वृक्षों के उपहार .

दोहन की सीमा नहीं, जंगल हैं लाचार

***********************************

कन्या गुण की खान है, ममता का अवतार.

खामोशी से झेलती, सारे अत्याचार .. 

--डॉ० प्राची सिंह

 _________________________________________________________________

तृतीय पुरस्कार रुपये २५१/-  व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala

A leading publishing House

 तृतीय स्थान : श्री राकेश कुमार त्रिपाठी 'बस्तिवी' के  दोहों को जाता है |

 दोहे (१३+११)

अनायास ही छीनते, धरती माँ का प्यार,
बालक बिन कैसा लगे, माता का श्रृंगार ?

.पंछी का घर छिन गया, छिनी पथिक से छाँव,
चार पेड़ गर कट गए, समझो उजड़ा गाँव.

निज पालक के हाथ ही, सदा कटा यों पेड़,
ज्यों पाने को बोटियाँ, काटी घर की भेड़

लालच का परिणाम ये, बाढ़ तेज झकझोर.
वन-विनाश-प्रभाव-ज्यों, सिंह बना नर खोर.

झाड़ फूंक होवै कहाँ, कैसे भागे भूत,  
बरगद तो अब कट गया, कहाँ रहें "हरि-दूत"?  

.श्रद्धा का भण्डार था, डोरा बांधे कौम,
भर हाथी का पेट भी, कटा पीपरा मौन..

झूला भूला गाँव का, भूला कजरी गीत, 
कंकरीट के शहर में, पेड़ नहीं, ना मीत.

--राकेश त्रिपाठी 'बस्तिवी'

प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के उपरोक्त सभी विजेताओं को सम्पूर्ण ओ बी ओ परिवार की ओर से हार्दिक बधाई व साधुवाद...

उपरोक्त प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के विजेताओं की रचनाएँ आगामी "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१४  के लिए प्रतियोगिता से स्वतः ही बाहर होगी |  ‘चित्र से काव्य तक’ प्रतियोगिता अंक-१५ में वे पुनः भाग ले सकेंगे !

निर्णायकों के रूप में प्रथम व द्वितीय स्थान के विजेताओं के स्वतः नामांकन की प्रक्रिया को समाप्त करते हुए ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि अगले माह से एक स्थाई निर्णायक-मंडल का गठन किया जाएगा जो आगामी प्रतियोगिताओं के मूल्यांकन हेतु अधिकृत होगा ! ओ बी ओ एडमिन द्वारा इस सम्बन्ध में शीघ्र ही अलग से  एक अधिसूचना जारी की जायेगी !

जय ओ बी ओ!

अम्बरीष श्रीवास्तव

अध्यक्ष,

"चित्र से काव्य तक" समूह

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार

Views: 2867

Replies to This Discussion

स्वागत है आदरणीय अविनाश जी !

मान्यवर अविनाश जी, धन्यवाद एवं अभिनन्दन.

"चित्र से काव्य तक" अंक-१३ प्रतियोगिता के तीनो विजेताओ आदरणीय आलोक सर,आदरणीया प्राची जी एवं राकेश जी को मेरी शुभकामना और हार्दिक बधाई।

स्वागतम महिमा जी !

महिमा जी, सादर धन्यवाद.

प्रतियोगिता के तीनो विजेतायों आदरणीय आलोक सीतापुरी जी, डॉ प्राची सिंह जी, एवं भाई राकेश त्रिपाठी बस्तिवी जी को मेरी हार्दिक बधाई. इन तीनो की प्रविष्टियाँ वाक़ई इस सम्मान के योग्य थीं. मुझे यह भी ज्ञात है कि इस बार विजेतायों के चुनाव का कार्य बहुत ही मुश्किल रहा, अत: आदरणीय अम्बरीश श्रीवास्तव जी तथा पूरे निर्णायक मंडल को भी मेरा हार्दिक साधुवाद. जय ओबीओ.   

आदरणीय प्रधान संपादक जी ! आपका हार्दिक आभार ! आपका स्नेह बना रहे ! आपके कुशल मार्गदर्शन में ओ बी ओ का प्रगति पथ सदैव ही प्रशस्त होता रहेगा! जय ओ बी ओ !

सादर

श्रद्धेय श्री योगराज जी, सादर धन्यवाद. मेरी रचना में तो आपका भी बहुत योगदान है, यह सम्मान यह अवश्य ही गुरुजनों एवं निर्णायक गणों के बड़े दिल का प्रतीक है. जय ओ बी ओ.

श्री आलोक जी ,डा० प्राची जी और राकेश कुमार त्रिपाठी जी  तीनों विजेताओं  को हार्दिक बधाई।

स्वागतम भाई वीनस जी !

हार्दिक धन्यवाद भाई वीनस जी.

स्वागत है आदरणीया सीमा जी ! अभी देर कहाँ हुई है ...:-)

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कह-मुकरी * प्रश्न नया नित जुड़ता जाए। एक नहीं वह हल कर पाए। थक-हार गया वह खेल जुआ। क्या सखि साजन?…"
42 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कभी इधर है कभी उधर है भाती कभी न एक डगर है इसने कब किसकी है मानी क्या सखि साजन? नहीं जवानी __ खींच-…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय तमाम जी, आपने भी सर्वथा उचित बातें कीं। मैं अवश्य ही साहित्य को और अच्छे ढंग से पढ़ने का…"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय सौरभ जी सह सम्मान मैं यह कहना चाहूँगा की आपको साहित्य को और अच्छे से पढ़ने और समझने की…"
10 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कह मुकरियाँ .... जीवन तो है अजब पहेली सपनों से ये हरदम खेली इसको कोई समझ न पाया ऐ सखि साजन? ना सखि…"
11 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"मुकरियाँ +++++++++ (१ ) जीवन में उलझन ही उलझन। दिखता नहीं कहीं अपनापन॥ गया तभी से है सूनापन। क्या…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"  कह मुकरियां :       (1) क्या बढ़िया सुकून मिलता था शायद  वो  मिजाज…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"रात दिवस केवल भरमाए। सपनों में भी खूब सताए। उसके कारण पीड़ित मन। क्या सखि साजन! नहीं उलझन। सोच समझ…"
yesterday
Aazi Tamaam posted blog posts
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service