For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नमस्कार साथियों,

"चित्र से काव्य तक" अंक -९ प्रतियोगिता से संबधित निर्णायकों का निर्णय आपके समक्ष प्रस्तुत करने का समय आ गया है | इस बार भी प्रतियोगिता में निर्णय करना अत्यंत दुरूह कार्य था जिसे हमारे निर्णायकों श्री संजय मिश्र 'हबीब' व श्रीमती वंदना गुप्ता नें अत्यंत परिश्रम से संपन्न किया है जिसके लिए हम उनका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं |

लगातार तीन दिनों तक चली इस प्रतियोगिता के अंतर्गत कुल ५२० रिप्लाई आयीं हैं  इनके अंतर्गत अधिकतर छन्न -पकैया, दोहा,  कुंडली, गज़ल, गीत, बरवै, हाइकू, क्षणिकाएं व छंदमुक्त सहित अनेक विधाओं में रचनाएँ प्रस्तुत की गयीं, सर्व प्रथम आदरणीय प्रधान सम्पादक जी नें अपने शानदार छन्न-पकैया छंदों से इस आयोजन का श्रीगणेश किया जो कि अत्यंत मनोहारी रहा, तदपश्चात् जब उनके छन्न-पकैया पर छन्न पकैया छंदों में ही प्रतिक्रियायें दी गईं  तो सम्पूर्ण वातावरण ही छन्न-पकैया-मय हो गया फिर तो प्रतिक्रियाओं में छन्न -पकैया का कुछ ऐसा दौर चला कि सर्वत्र आनंद ही आनंद हो गया | इस प्रतियोगिता में समस्त प्रतिभागियों के मध्य, आदरणीय संजय मिश्र 'हबीब' , आदरणीय अविनाश बागडे जी, आदरणीया श्रीमती शन्नो अग्रवाल जी, धर्मेन्द्र कुमार सिंह,  व आदरणीय गणेश जी बागी जी, आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, आदरणीय धर्मेन्द्र शर्मा जी, आदि  ने अंत तक अपनी बेहतरीन टिप्पणियों के माध्यम से सभी प्रतिभागियों व संचालकों में परस्पर संवाद कायम रखा, न केवल यह वरन उन्होंने अपनी प्रतिक्रियाओं में छन्न-पकैया, दोहा, कुण्डलिया, कह मुकरी व घनाक्षरी आदि छंदों का खुलकर प्रयोग करके इस प्रतियोगिता को और भी आकर्षक व रुचिकर बना दिया | इस आयोजन में उत्साहवर्धन हेतु आदरणीय श्री आलोक सीतापुरी जी, श्री योगराज प्रभाकर जी, श्री संजय मिश्र 'हबीब' जी, श्रीमती वंदना गुप्ता, श्रीमती शन्नो अग्रवाल जी, श्री सतीश मापतपुरी जी आदि नें भी प्रतियोगिता से बाहर रहकर मात्र उत्साहवर्धन के उद्देश्य से ही अपनी-अपनी स्तरीय रचनाएँ पोस्ट कीं जो कि सभी प्रतिभागियों को चित्र की परिधि के अंतर्गत ही अनुशासित सृजन की ओर प्रेरित करती रहीं, साथ-साथ इन सभी नें अन्य साथियों की रचनायों की खुले दिल से निष्पक्ष समीक्षा व प्रशंसा भी की जो कि इस प्रतियोगिता की गति को त्वरित करती रही |

बंधुओं ! हम सभी आदरणीय योगराज जी के अत्यंत आभारी हैं कि उन्होंने इस लुप्तप्राय विधा छन्न -पकैया को इस मंच पर जीवित किया केवल यही नहीं वरन इससे पूर्व भी वह एक और लुप्तप्राय विधा कह -मुकरी विधा को इसी मंच पर ही इस नया आयाम दे चुके हैं|  यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता छंदबद्ध होकर अपेक्षित गुणवत्ता की ओर अग्रसर हो रही है...........

इस यज्ञ में काव्य रूपी आहुतियाँ डालने के लिए सभी ओ बी ओ मित्रों का हार्दिक आभार...

प्रतियोगिता का निर्णय कुछ इस प्रकार से है...



 प्रथम स्थान : श्री दिनेश मिश्र 'राही' जी

अभिमान कभी न भरैं उर मा अरमान सदा उत्साह भरैं.

विकलांग हूँ तो कोई बात नहीं बस ईश हमार सहाय करैं.

परवाज भरूं बिनु पंख यहाँ कुविचार भगें व कुछांह जरैं.

फ़ुटबाल उडै नभ बीच सदा खुशियाँ धरि दीप प्रकाश झरैं..

 

उत्साह  में कोइ  कमी न रहै नित नीति के संग उड़ान भरूं .

विकलांग हूँ जो अभिशाप नहीं चहुँ ओर अदम्य उड़ान भरूं.  

फ़ुटबाल ही लक्ष्य जो साध सदा अब राष्ट्र निमित्त उड़ान भरूं.

बइसाखि ही पांव हमार लगें न थकैं, हुलसाय उड़ान भरूं..

 

द्वितीय स्थान श्रीमती मोहिनी चोरड़िया जी

नियति से मिला है

इन्हें ये रूप

बनाकर असमर्थ असहाय

कर दिया कुरूप,

जिंदगी बेबस हुई

कोई गीत

कोई प्रीत

कोई मीत नहीं

माता -पिता तक मारने की

सोचते हैं इन्हें

जन्मते ही  

समझते हैं बोझ इन्हें ,

लेकिन कुछ  

इन्हें जीने देने की कसम

खाते हैं

सिर्फ जीने देने की ही नहीं

इज्जत से जीने की

शायद वे समझते हैं कि 

ये  बच्चे असहाय , अपूर्ण

हो सकते हैं

अयोग्य नहीं

इन्हें दया की भीख की नही

जरुरत है प्रेम की

प्रेम जो योग्यता को निखारता है

प्रेम जो जीने का  ज़ज्बा देता है

प्रेम मिलने पर देखें

कैसे उड़ान भरते हैं सपने इनके

और इसी समय

कई संभावनाएं जन्म लेती हैं

कुछ असंभव नहीं रहता

प्रेम बन जाता है  प्रेरणा

प्रेम बन जाता है हौसला

और उड़ान सिर्फ परों से नहीं

हौसलों से होती है

जैसा कि चित्र में दर्शाया है

बैसाखी ,चेहरे की चमक

चेहरे की चमक हौसला है

सिर्फ बैसाखी ही नहीं

हौसला फुटबाल खिलाता है

ओलंपिक तक में मेडल दिलाता है

उस समय ये जांबाज़ बन जाते हैं

विजेता

विजेता जिंदगी के खेल के

प्रेम के साथ सम्मान  पाकर

गुनगुना उठती है ज़िंदगी

हाथ उठ जाते हैं सम्मान में उसके

जिसने गिराया उठाया भी उसी ने |

 

तृतीय स्थान : श्री महेंद्र आर्य जी 

जिंदगी के खेल में हम सब फ़ुटबाल हैं
समय खेलता हमें दे देकर ताल है

लात इक करारी जब सीने पर पड़ती है
कष्ट थोडा होता है , कसक थोड़ी गड़ती है
लेकिन ये लात हमें उड़ा ले जायेगी
जीवन का गोल जहाँ वहां ले जायेगी
उन्नति का रास्ता - बस यही उछाल है
जिंदगी के खेल में ............................

इन से ही सीखिए, जिंदगी का फलसफा
इतना कुछ खोकर भी , जीवन से न खफा
मुश्किलें फ़ुटबाल है , लात खा के भागेगी
ऐसे ही खेल से किस्मत फिर जागेगी
खेलते हैं बाँकुरे , क्या बेमिसाल हैं
जिंदगी के खेल में ...............

 

प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के उपरोक्त सभी विजेताओं को सम्पूर्ण ओ बी ओ परिवार की ओर से हार्दिक बधाई...

प्रथम व द्वितीय स्थान के उपरोक्त दोनों विजेता आगामी "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१० के निर्णायक के रूप में भी स्वतः नामित हो गए हैं, तथा आप दोनों की रचनायें आगामी अंक के लिए स्वतः प्रतियोगिता से बाहर होगी |

जय ओ बी ओ!

अम्बरीष श्रीवास्तव

अध्यक्ष,

"चित्र से काव्य तक" समूह

ओपन बोक्स ऑनलाइन परिवार

Views: 1576

Replies to This Discussion

तीनो विजेतायों आदरणीय दिनेश मिश्र राही जी, श्रीमती मोहनी चोरडिया जी एवं आदरणीय महेंद्र आर्य जी को हार्दिक बधाई.  इस बहुत ही सुन्दर निर्णय के लिए निर्णायक मंडल को भी कोटिश: साधुवाद.  

प्रथम विजेता आदरणीय श्री दिनेश मिश्रा राही जी, द्वितीय विजेता आदरणीय श्रीमती मोहिनी चोरडिया जी और तृतीय विजेता आदरणीय श्री महेंद्र आर्य जी को बहुत बहुत बधाई साथ ही निर्णायक की महती भूमिका का पालन करने हेतु श्री संजय मिश्र हबीब व् श्रीमती वंदना गुप्ता जी का बहुत बहुत आभार |

प्रथम एव द्वितीय विजेता चूँकि स्वतः आगामी प्रतियोगिता हेतु निर्णायक नामित हो गए है मैं बताना चाहता हूँ कि अब आगामी प्रतियोगिता के विजेताओं को नगद पुरस्कार राशि भी दी जायेगी |

अधिक जानकारी हेतु यहाँ क्लिक करे ....

तीनों विजेताओं सर्वादरनीय दिनेश मिश्र 'राही' जी/मोहिनी चौरडिया जी/महेंद्र आर्य जी  को सादर बधाईयाँ/शुभकामनाएं....

जय ओ बी ओ.

तीनो विजेतायों को हार्दिक बधाई.

Tino Vijetaon Ko Hardik Badhai ! Ayojan Shandar raha aur Prastutiyan Shaandaar !! Jai OBO !
तीनो विजेता हार्दिक बधाई स्वीकारें ...:)

तीनों ही विजेताओं  --श्री दिनेश मिश्र ’राही’ जी, श्रीमती मोहिनी चोरड़ियाजी और श्री महेंद्र आर्य जी--   को मेरी हार्दिक बधाइयाँ. 

रचना कर्म एक तरह से कहा जाय तो अत्यंत महीनी से निरखने की परिणति है. जिस कारण हृदय में भाव उपजते हैं.  इस क्रम में प्रस्तुत आयोजन का मूल ही निरखने की प्रक्रिया को निखारना है. इन अर्थों में प्रस्तुत आयोजन ’चित्र से काव्य तक’ में भाग लेना नव-हस्ताक्षरों ही नहीं स्थापित रचनाकारों के लिये भी चुनौती रहा है.  अतः, इस प्रतियोगिता में पुरस्कृत होना सहज नहीं है.   

आने वाले माह से इस प्रतियोगिता में पुरस्कार के रूप में नगद राशि दी जाने वाली है. यह प्रबन्धन द्वारा उत्साहवर्द्धन हेतु अपनाया गया एक आत्मीय प्रयास है. 

इस आयोजन के संचालक आदरणीय अम्बरीष भाई को मेरा सादर नमस्कार जिनके सुगढ़ प्रयास का परिणाम समक्ष है.

तीनों विजेताओं- राही जी, मोहिनी जी व महेन्द्र जी को मेरी हार्दिक शुभकामनायें व आने वाले नव वर्ष की भी ओ बी ओ के सभी सदस्यों को अनेकों शुभकामनाये.  

निर्णायक मंडल ! आपका आभार की आपने मेरी रचना को तृतीय स्थान के लायक समझा ! आभार सभी मित्रों का जिन्होंने मेरी कविता पर अपनी विद्वत टिप्पणियां की ! आभार उन मित्रों का भी जिन्होंने मुझे इस चयन किये जाने पर बधाइयाँ प्रेषित की ! और अंत में आभार मेरे सखा अम्बरीश जी का जिन्होंने चित्र से काव्य के रूप में रचनात्मकता को जगाने का बीड़ा उठाया हुआ है !

चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता के सभी विजेताओ को हार्दिक बधाई.

तीनों ही विजेताओं को मेरी और से ढेर सारी बधाइयां !!!

आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com/2011/12/741.html

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
1 hour ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
13 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
21 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
yesterday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service