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लिखें हिंदी कहें हिंदी पढ़ें हिंदी जहाँ हिंदी
अगर है हिंद की संतान फिर बोले यहाँ हिंदी
बताता छंद चौपाई है पिंगल शास्त्र अपना क्या
हमारे देश की यह मात्र भाषा है रवाँ हिंदी
सिखाया पाठशाला में है इसकी संस्कृत जननी
वतन का नाम हिंदोस्तान हमारा कारवाँ हिंदी
यही है ध्येय चारो ओर इसका ध्वज भी लहराये
हमारे देश के हर प्रांत में गूंजे सदाँ हिंदी
न शर्मायें विदेशों में कभी हिंदी अगर बोलें
हमें हो गर्व हिंदी पर हमारी तो जुबाँ हिंदी
हैं पटरानी सभी भाषा में अव्वल इसका दर्जा है
सजी है रस अलंकारों से प्यारी गुलिस्तांँ हिंदी
अभी शुरुआत है प्यारों लड़ाई और लड़नी है
न कोई प्रश्न हो इस पर जहाँ जाएं वहांँ हिंदी
मिला वरदान ऋषि मुनियों से चिर यौवन जिएगी तू
हमारे मुल्क का अभिमान है यह नौजवाँ हिंदी
ख़ुशी से झूमती है "दीप" लिखती जब कोई कविता
कृपा है शारदे तेरी हुई जो मेहरबाँ हिंदी
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
त थ द ध..... न के हिसाब से मानक शब्द हिन्दी है न कि हिंदी .. हिन्दी के गुणगान करती रचना में हिन्दी ही ठीक न लिखा तो क्या लिखा
झूठी तारीफ़ें हम नहीं करते
क्षमा करें
बहुतख़ूब बहुतख़ूब ग़ज़ल कही आदरणीया...बधाई
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