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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-79 (विषय: मेरे देश में)

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-79 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है,
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-79
"विषय: 'मेरे देश में'  
अवधि : 30-10-2021  से 31-10-2021 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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रचना पर टिप्पणी हेतु बहुत-बहुत  शुक्रिया आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। लेखक यही जानने को इच्छुक है कि पाठक तक क्या संदेश पहुँच पाया। ...प्रतीत होती लगी... आपको। कृपया स्पष्ट कीजिएगा कि रचना क्या सम्प्रेषित कर रही पाठकों को, ताकि लेखक को पाठकीय राय/ प्रतिक्रिया अधिक स्पष्ट हो सके। रचना की कमियाँ कृपया इंगित कीजिएगा मार्गदर्शन सहित। अर्थात कृपया सम्प्रषणीयता और क्लिष्टता आदि की लघुकथागत पक्षों पर मार्गदर्शन भी प्रदान कीजिएगा इस रचना पर।

रोजगार महोत्सव
कैंपस -चयन हेतु देश  -विदेश की कंपनियों के प्रतिनिधि अपने -अपने ऑफर लिए महाकुंभ स्थल पर खड़े हैं।स्नानार्थियों की रेलमपेल में अभ्यर्थियों का रेला थोड़ी दूर रुका हुआ है।
' स्ना.. स्ना ...न करने वाला लोघ भीड लगा डेटा हाय।' एक विदेशी ने गुस्सैल अंदाज में कहा।
'संगम है।मांगो,तो यहां मनोकामना,या कहूं तो विश पूरी होती हाय।' हिंदुस्तानी प्रतिनिधि व्यंग्यात्मक लहजे में बोला।
'ओय खूब!खूब!! माय टो बढ़िया रिक्रूट मांगटा।'विदेशी प्रतिनिधि संगम -तट पर विद्यमान जनसमूह की तरफ मुड़कर नमन करता हुआ बोला।
'मेरे गूगल को मैन डो(दो) डेव (देव)लोग।'
'फेसबुक पर नजर करें, डेव जी।'
मेरी मोबाइल कंपनी को भी मैन (आदमी)चाहिए, डेवो!'
सभी विदेशियों ने अपनी अपनी मन्नत के लिए मिन्नत करने के बाद एक साथ ही हिंदुस्तानी प्रतिनिधि से पूछ डाला,'टूम ने इहां किया मांगा, मैन?'
'यही कि हियां का मेरिट(लोग) हियां ही रुक जाता।'हिंदुस्तानी का जवाब सुन सारे विदेशी एक -दूसरे का मुंह देखने लगे।
"मौलिक व अप्रकाशित"

जनाब मनन साहिब, दिए विषय पर अच्छी लघुकथा 

मुबारकबाद कुबूल फरमाएं 

आभार जनाब तसदीक साहिब।

आदाब। व्यंग्यात्मक रचना में गंभीरता लिये बढ़िया उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई जनाब मनन कुमार सिंह साहिब। /लोघ/ की जगह अंग्रज़ मुख से
/लऊग/ अच्छा लगेगा। इसी तरह /यहाँ/ के लिये ,/एहाँ/ या /ईडर (इधर)/, /क्या/ की जगह /ख़्या/।
/मेरिट/ या /मैरिड/? या मैरिट में आने वाले प्रतियोगी? थोड़े स्पष्ट वाक्य की आवश्यकता लग रही है।

आभार आ.उस्मानी जी।

हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार जी।व्यवस्था पर सीधा प्रश्न चिन्ह। बहुत सुन्दर लघुकथा।

आभार आ.तेजवीर जी।

मेरा देश महान - लघुकथा- 

"क्या नाम है तुम्हारा नौजवान?" 

ईश्वर।"

क्या तुम सच में ही ईश्वर हो?" 

"जी साहब।" 

"तो यहाँ क्या लेने आये हो?”

"नौकरी जनाब।

"हम ईश्वर को नौकरी कैसे दे सकते हैं।

"तो जनाब मुझे नौकरी कौन देगा?”

"किसी नेता को पकड़ो।

"जनाब मैं पहले नेता जी के पास ही गया था। उन्होंने ही मुझे आपके पास भेजा है। एक सिफ़ारिशी खत भी दिया है।

दिखाओ।"

"ये लीजिये जनाब।

"ये तो मंत्री जी का खत है। वे तो खुद ही नौकरी देने में सक्षम हैं।

"मगर जनाब उन्होंने कहा कि हम नौकरी नहीं देते,  हम तो केवल सिफ़ारिशी खत ही देते हैं।" 

मौलिक एवं अप्रकाशित

सादर नमस्कार। व्यवस्था पर, विडम्बनाओं पर.तंजदार रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह जी। शीर्षक कोई नया व छोटा भी तदनुसार हो सकता है मेरे विचार से।

हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद जी।

जनाब तेज वीर साहिब, दिए विषय पर अच्छी लघुकथा हुई है

मुबारकबाद कुबूल फरमाएं 

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