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अविभाजित
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आंख खुलते ही उसे चाय की तलब लग रही थी।
"अरे...चाय..." उसने पत्नी को आवाज दी।
तभी सामने लाल चाय की प्याली देख कर उसने पत्नी की तरफ नजर उठाई।
"आज दूध नहीं आया है।"
उसे याद हो आया कल ही तो वह अखबार में खबर लिख रहा था भाषा आन्दोलनकारीयों के एक बड़े जुलूस की.. "यह प्रान्त हमारा है...यहां हिन्दी नहीं चलेगी... हिन्दी भाषी वापस जाओ...।"
वह जल्दी से उठ कर रामलुभाया ग्वाले के घर की ओर चल पड़ा। वहां एक पूरी बस्ती थी बिहार, उत्तर प्रदेश से कमाई के लिए आए लोगों की।
रात ही लोगों ने बस्ती को लूटपाट कर घरों को जला डाला था।
राजनीति के इस खेल में निशाना बने उजड़े गरीब चुपचाप एक तरफ बैठे थे।
"बाबूजी....।"
उसने रामलुभाया का दर्द उसकी खामोश आंखों मे देखा। वह अपनी गाय को सीने से लगाए बैठा था।
नहीं, वह अंग्रेजी राज की तरह फिर भारतबर्ष को टुकड़ों में विभाजित होने कैसे दे सकता है ।उसके कदम अखबार के दफ्तर की ओर बढ़ चले..।
हिन्दी को राज्य भाषा नहीं राष्ट्र भाषा बनाने के समर्थन की पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए..।
कनक हरलालका
मौलिक व अप्रकाशित
सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीया कनक हरलाल्का जी। गोष्ठी 64 का बढ़िया मुद्दे के साथ बहुत बढ़िया रचना से आग़ाज़ करने हेतु हार्दिक बधाई।
हार्दिक आभार आपका आदरणीय उस्मानी सर .कथा पर सकारात्मक टिप्पणी दी आपने
"हिन्दी को राज्य भाषा नहीं राष्ट्र भाषा बनाने के समर्थन की पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए..।" हार्दिक बधाई।
हार्दिक बधाई आदरणीय कनक हरलालका जी। गोष्ठी का आगाज आपने एक लाज़वाब लघुकथा द्वारा किया है।यह एक कटु सत्य है कि हिंदी को हमारे देश में वह स्थान नहीं मिल पाया जो उसे मिलना चाहिये।समयानुकूल बेहतरीन संदेश।
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर जी ।कथा पर सकारात्मक टिप्पणी के लिए आभार.।
हार्दिक आभार आदरणीय।कथा आपको पसन्द आई इसके लिए धन्यवाद।
यह लघुकथा अच्छी है आदरणीय कनक जी।पर,यह पहले फेसबुक पर आईं थीं। गौर करें।
आदरणीय मनन जी जहाँ तक मुझे याद है मैंने यह कथा फेसबुक पर अभी तक नहीं डाली है ।अगर ऐसा है तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ। वैसे भी अगर है तो प्रसारित है ,पर प्रकाशित नहीं है।
कनक हरलालका जी सादर नमस्कार। बहुत ही सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।
हार्दिक आभार आपका मधु जी..।
भाषा के नाम पर विभाजन और राजनीति दुखद है। पर हिन्दीभाषी प्रदेशों में भी हिन्दी को भाषा के रूप में यथोचित मान पाना अभी बाकी है। लघुकथा के माध्यम से एक अच्छा विषय उठाया है आपने। हार्दिक बधाई
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