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I have recently read an article, in indian express wrote  by shekhar gupta .  My view about the article is that   :- 
बहुत अच्छा लगा क़ी अभी भी देश में कुछ लोग तो बाकि हें जो  हमारे नेताओं को अच्छा मान रहे हें , नेताजी के बारे में लिख रहे हें क़ी one good thing about party politics is that politicians cannot wrap themselves in the Tricolour. Because they are, at least presumably, accountable to that flag: in the form of Parliament, the judiciary, and to we, the people.  याने क़ी आपकी नजर में अन्ना या किरण बेदी या केजरीवाल से तो अच्छे राजा कलमाड़ी या दिग्गी हें 
आपने पूरी ताकत लगा कर नेताओ को पाक साफ़ और टीम अन्ना को आरोपी  बताने क़ी कोशिश क़ी हे  लेकिन अब लोगों का नेताओ से और आप जेसे अंग्रेजीदां  बुद्धिजीवियों से भरोसा उठ गया हे देश को लगने लगा हे क़ी    the  concept of “we, the people...” is  reduced to “we, the  274 M.P.'s  and we the अंग्रेजीदां  बुद्धिजीवि  who seated in A/c Cabin's and  talk about village's problem  
हो सकता हे क़ी आपको लगे क़ी में थोडा पर्सनल हो गया हूँ लेकिन हकीकत यही हे और इसे आप और हमारे माननीय नेता लोग जितनी जल्दी समझ लें उतना अच्छा हे  विशेषाधिकार से कुछ समय आप लोगो का मुह बंद कर सकते हे हमेशा नहीं  
में तो एक बार फिर से यही बोलूँगा जय हिंद भारत माता क़ी जय आप को शायद बोलने में थोड़ी परेशानी होगी क्योकि इंग्लिश में इसे क्या कहते हें वो पेट्रिअतिक जेसा कुछ कहते हें और हम तो ठहरे ठेठ  खांटी गावं के लोग हमें पेट्रिअतिक कहलाने में कभी शर्म नहीं आती   
जय हिंद भारत माता क़ी जय  

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Comment by Abhinav Arun on September 6, 2011 at 3:48pm

aaj desh ke halaat hamare mahapurushon ke sapno ke bharat se bilkul juda hain waastav men is swarth parak aur awsar raajneeti ne pura khel bigaada hua hai | rajniti seva n hokar swarth ho gayi hai |
 . ...magar shubh sanket hai janta jaag gayi hai haan isme kathit buddhijiviyon ko apni sakriy bhumika khud rekhjankit karnee hogi !

Comment by दुष्यंत सेवक on September 6, 2011 at 3:39pm

pahli vicharottejak post ke liye badhai kaka :)

Comment by आशीष यादव on September 5, 2011 at 5:46pm

आज की दशा बिलकुल ख़राब हो चुकी है| आप ने सही कहा की जो कभी गाँव का मुंह ही नहीं देखे वो क्या जान सकते है की हालात गाँव के क्या है| योजनाओं से देश नहीं चल सकता| उन पर अमल होना चाहिए|
आज की स्थिति है की,
योजना क पैसा कूल्ह खाय गईला नेता जी|
आ बन के बहुरुपिया देखा गईला नेता जी|
लोक तंत्र के संकेत अच्छे नहीं हैं|  मै इस बात से सहमत हूँ| अगर आप देश हित में कुछ भी करेंगे तो आप के पीछे जाँच एजेंसियां बैठ जाएँगी| अगर आप कुछ लूट रहे हैं तो फिर सही है| वो इंसान जो करोडो का घोटाला किया हुआ है वो कहता है की राजनीति नहीं जानते अना हजारे और बाबा रामदेव| वही इंसान ज्यादा राजनीति जनता है| कुछ भी स्थिति दयनीय है भारत की| इसे बदलना होगा| सभी को मिलकर आगे आना होगा| क्रांतियाँ तब तक होनी चाहिए जब तक पूरा सुधर न हो जय|
जय हिंद,
भारत माता की जय


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 4, 2011 at 4:50pm

राजेंद्र प्रसाद जी, बिगत कुछ दिनों से जो देश में हो रहा है उसे भारत के लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता, सरकारी मिसनरियों को आवाज बुलंद करने वालों के पीछे लगाया जा रहा है, बाबा रामदेव ने आवाज बुलंद किया तो उनको कुचला ही नहीं गया बल्कि उनके टीम के पीछे जांच एजेंसियों को लगा दिया गया, अब अन्ना टीम के पीछे भी जांच / विभिन्न सरकारी टीमों को लगाया गया है, क्या सरकार की मंशा है कि इस देश में अब किसी को बोलने नहीं दिया जाय, डरा धमका के रखा जाय ?

मैं आपकी कई बातों से सहमत हूँ , आज गाँव का विकास वातानुकूलित कुप्पों में बैठ कर किया जा रहा है, यही कारण है कि जिसको लाभ मिलना चाहिए उनको भनक तक नहीं लगता और कथित गरीब सारा योजना ले उड़ते है

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