For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज़ादी --- डॉ o विजय शंकर

उड़ता वो आज़ाद परिंदा
नभ छू लेने की कोशिश
करता है,
ऊंचा , ऊंचा उड़ता है |
बीच बीच में धरती छूने ,
लौट , लौट कर आता है ,
कुछ चुंगता है, कुछ खाता है,
इठलाता है, कुछ गाता है ,
फिर , फुर्र से उड़ जाता है ,
दूर, बहुत दूर , ओझल हो ,
क्षितिज तरफ वो जाता है ,
क्षितिज तरफ वो जाता है ||
यूँ आते - जाते हमको वो
अपने हौसले दिखलाता है ,
और हमको यह बतलाता है,
हौसलों से क्या नहीं हो जाता है,
हौसलों से क्या नहीं हो जाता है ॥

एक परिंदा पिंजड़े में है ,
खाता है , पीता है ,
गाता है , सोता है ,
सबका मन बहलाता है,
फुर फुर्र भी वो करता है ,
बस उड़ नहीं वो पाता है ,
जोर बहुत वो लगाता है,
थक जाता है, सो जाता है,
फिर जागता है, खाता है ,
गाता है , फिर सो जाता है ,
वह हमको यह बतलाता है,
कुछ ऐसा भी है , बेशक है,
जो हो नहीं सकता है ,
कितना जोर लगा ले परिंदा
पिंजड़ा लेके नहीं उड़ सकता है।
यह ऐसा है जो हो नहीं सकता ,
पिंजड़े में बंद रहते हुए ,
वो कभी उड़ नहीं सकता है ॥
वो कभी उड़ नहीं सकता है ॥


मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 735

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 20, 2015 at 9:46am
आपके मूल्यांकन हेतु बहुत बहुत आभार, आदरणीय प्रतिभा त्रिपाठी जी, बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 19, 2015 at 10:46pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, दोनों ही स्थितियां अपना अपना सच बता रहीं हैं ,सही है, आपकी पकड़ का आभार, बधाई हेतु आपको धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 19, 2015 at 10:43pm
आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी, हिलने-डुलने , चलने-फिरने ,बोलने-उड़ने की स्वतंत्रता में ही स्वतंत्रता है, आपकी पकड़ का आभार, बधाई हेतु आपको धन्यवाद, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 19, 2015 at 9:00pm

आदरणीय विजय भाई , दोनों स्थितियाँ दो सच बयान कर रहीं है , बढ़िया रचना हुई है , हार्दिक बधाई ॥

Comment by maharshi tripathi on February 19, 2015 at 8:27pm

एक तरफ खुले विचारों वाला मनुष्य और दूसरी तरफ दूसरे के अधीन जीवन जीता मनुष्य ,,,,,,क्या अंतर बताया आपने आ. विजय शंकर जी आपको बधाई | 

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 19, 2015 at 6:26pm
आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी, स्मृतियों से जुड़ी आपकी प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार एवं धन्यवाद, सादर.
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 19, 2015 at 6:23pm
आदरणीय परी एम श्लोक जी, सड़क पर रेड लाइट की प्रतीक्षा ही हमें कितना विवश करती है, पिंजड़े की जिंदगी क्या कहती है, आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार, बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद, सादर.
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 19, 2015 at 6:19pm
आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी, एक खुला परिवेश , एक बंद परिवेश, कितना अंतर डालता है ,बस यही है, आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार, बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद, सादर.
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 19, 2015 at 6:15pm
आदरणीय हरी प्रकाश जी, बहुत सुन्दर प्रतिक्रिया प्रस्तुत की आपने , आपका आभार, बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद, सादर.
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 19, 2015 at 1:26pm

आ० विजय सर  !

आपने जीवन के दो भिन्न दृश्य दिखाए  i 'अपना अपना भाग्य' कहानी याद आती है i  सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
14 hours ago
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service