कौन कहता है कि इतिहास कोईअदालत होती है
जिस में हार गयों की महज़ मुखाल्फत होती है
और यह भी कि
यह केवल विजयी का फलसफा लिखती है
सफे पर सफा लिखती है
इसलिए मान लिया जाना चाहिए
कि जीत यकीनन लाजिमी है
कैसे भी हो पर हो केवल विजय
लेकिन
शायद सही हो भी
मगर
तब भी
सवाल यह बाकि रह ही जाता है
कि क्योकि
इतिहास लिखवाता है कौन
लिखता जाता है कौन
मौन रहता क्यों मौन
पोषक या शोषक की कहानी
तलवारों की जुबानी
तलहटी में छेद कहाँ देखती हैं
पहरे देखती हैं
पहरेदारों के श्वेद कहाँ देखती हैं
जीतते हैं तो पांडव
हारते हैं तो कौरव
अक्षोहणी की कथा कहाँ लिखी जाती है
गांधारियों की व्यथा कहाँ लिखी जाती है
तो सच ही होता होगा
इतिहास केवल विजय गाथा ही होता होगा
.............
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
अमिता जी, अच्छी रचना के लिए बधाई।
जनाब कबीर साहब ,तथा मुसाफ़िर जी
तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ .आशा है स्नेह बनाए रखेंगे .
साभार
अमिता
बेतरीन रचना हुई है अमिता जी, हार्दिक बधाई।
मुहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
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