For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सच क्या है कोई पूछे, मैं श्याम बता दूँगा-----ग़ज़ल पंकज मिश्र

221 1222 221 1222

किस्मत की लकीरों पर खुश-रंग चढ़ा दूँगा
मैं दर्द के सागर में पंकज को खिला दूँगा

ज्यादा का नहीं केवल छोटा सा है इक दावा
ग़र वक्त दो तुम को मैं खुद तुम से मिला दूँगा

कुछ और भले जग को दे पाऊँ नहीं लेकिन
जीने का सलीका मैं अंदाज़ सिखा दूँगा

कंक्रीट की बस्ती में मन घुटता है रोता है
वादा है मैं बागों का इक शह्र बसा दूँगा

आभास की बस्ती है, अहसास पे जीती है
जन जन के मनस में मैं यह मंत्र जगा दूँगा

ये रंग ये दुनिया का हर रूप महज़ भ्रम है
सच क्या है कोई पूछे? मैं श्याम बता दूँगा

मौलिक अप्रकाशित

Views: 582

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on June 4, 2019 at 3:09pm

आदरणीय गिरिराज सर, बहुत दिनों बाद आपका मेरी ग़ज़ल पर आगमन सुखदाई लग रहा....सादर आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 4, 2019 at 2:46pm

आदरनीय पंकज भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है , बधाई स्वीकार करें |

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 27, 2019 at 10:42pm

आदरणीय शुशील सर ग़ज़ल को अपनी शुभकामनाएं देने के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 27, 2019 at 10:41pm

आदरणीय प्रदीप जी बहुत बहुत आभार

Comment by Sushil Sarna on May 27, 2019 at 7:56pm

वाह आदरणीय वाह बेहतरीन ग़ज़ल , बेहतरीन अशआर ... इस शानदार ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई।

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on May 27, 2019 at 12:48pm

जीने के सलीके का मैं अंदाज सिखा दुंगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
17 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
21 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
17 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
20 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
20 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
20 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service