For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल~ बलराम धाकड़ (इरादा तो था मुहर्रम को ईद कर देंगे)

1212 1122 1212 112/22

इरादा तो था मुहर्रम को ईद कर देंगे।
तरीक़ा उनका था जैसे शहीद कर देंगे।

वो एक बार सही महफ़िलों में आएं तो,
उन्हें हम अपनी ग़ज़ल का मुरीद कर देंगे।

उम्मीद बन के जो इस ज़िन्दगी में शामिल हो,
तो कैसे तुमको भला नाउम्मीद कर देंगे।

जो तुमने ख़्वाब भी देखे बराबरी के तो,
वो ऐसे ख़्वाब की मिट्टी पलीद कर देंगे।

तुम उनसे पानी, सड़क, रौशनी तो मत माँगो,
तुम्हें वो चाँद-सितारे ख़रीद कर देंगे।

सितम न ढाएंगे ऐसी उम्मीद भी मत रख,
तुम्हें वो अपने सितम का मुफ़ीद कर देंगे।

~मौलिक/अप्रकाशित

~ बलराम धाकड़

Views: 1081

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Balram Dhakar on October 31, 2018 at 10:35pm

हौसला अफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया, आदरणीय बृजेश जी।

सादर।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 31, 2018 at 12:26pm

बढ़िया ग़ज़ल कही है आदरणीय..आदरणीय समर साहब ने जानकारी भी अच्छी दी है।

Comment by Balram Dhakar on October 30, 2018 at 11:36pm

हौसला अफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया, आदरणीय विजय निकोर जी।

Comment by vijay nikore on October 30, 2018 at 10:29am

आपकी गज़ल अच्छी लगी। हार्दिक बधाई, आदारणीय बलराम जी।

Comment by Balram Dhakar on October 29, 2018 at 1:07pm

धन्यवाद, आदरणीय समर सर। आपकी समझाइश के मुताबिक सुधर कर लूँगा।

सादर।

Comment by Samar kabeer on October 28, 2018 at 10:25pm

"मश्क़-ए-सितम"---सितम का अभ्यास ।

"मज़ीद"---ज़ियादा ।

वैसे "मज़ीद" अच्छा नहीं लगे तो "शदीद"(तेज़) क़ाफ़िया भी रख सकते हैं ।

Comment by Balram Dhakar on October 28, 2018 at 9:47pm

आदरणीय समर सर, ग़ज़ल में आपकी शिरक़त और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया! आप जैसे उस्ताद शाइर से इतनी शाबाशी भी प्रोत्साहक होती है।

अपने एकदम दुरुस्त फ़रमाया,

मतले में इस्तेमाल किया गया मुहर्रम मातम के अर्थ

में ही लिया गया है क्योंकि इसका स्थापित एवं प्रचलित

अर्थ यही प्रतीत होता है। इसका कारण आप स्वयं 

बता चुके हैं।

बाकी आपने ठीक कर ही दिया है परंतु 

"वगरना मश्क़-ए-सितम वो मज़ीद कर देंगे"

इस मिसरे के माइने मैं समझ नहीं पा रहा हूँ।

मश्क़-ए-सितम और मज़ीद का अर्थ कृपया बताने का कष्ट करें।

सादर!

Comment by Samar kabeer on October 28, 2018 at 8:59pm

जनाब बलराम धाकर जी आदाब,आजकल ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हो रहा है,और वो भी मुश्किल ज़मीन और क़वाफ़ी में,बहुत बहुत मुबारकबाद ।

' इरादा तो था मुहर्रम को ईद कर देंगे।
तरीक़ा उनका था जैसे शहीद कर देंगे'

मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,दूसरी बात ये कि 'मुहर्रम' शब्द का अर्थ आपने शायद ग़लत समझा है,आप 'मुहर्रम' का अर्थ शायद मातम या ग़म ले रहे हैं,आपकी जानकारी के लिए बता रहा हूँ कि "मुहर्रम" इस्लाम धर्म के एक महीने का नाम है,जो नये साल का पहला महीना होता है,और इस्लाम धर्म के मुताबिक़ जबसे दुनिया बनी है,ये मुक़द्दस महीना माना जाता है,और इसकी आमद से मुसलमान ख़ुश होते हैं,लेकिन इत्तिफ़ाक़ से कर्बला का सानिहा भी इसी महीने में होने की वजह से कुछ नादान इसे मातम का महीना समझ बैठे,और ये इतना प्रचलित हो गया कि वो इसमें ख़ुशी मनाना अपने ऊपर हराम कर लेते हैं,जबकि ऐसा नहीं है ।

दूसरी बात 'शहीद' शब्द की,इस्लाम में शहीद होना ख़ुश नसीबी की बात होती है,और इस्लाम के मुताबिक़ शहीद दुनियावी नज़रिये से मर जाते हैं,लेकिन उन्हें ज़िन्दा तस्लीम किया जाता है,औए शहीद का मातम नहीं होता, उम्मीद है आप मेरी बात समझ रहे होंगे ।

' उम्मीद बन के जो इस ज़िन्दगी में शामिल हो,
तो कैसे तुमको भला नाउम्मीद कर देंगे'

इस शैर के दोनों मिसरों में 'उम्मीद' शब्द की वजह से लय बाधित हो रही है,इस शैर को यूँ लिखें:;

उमीद बन के जो इस ज़िन्दगी में शामिल हो,
तो कैसे तुमको भला नाउमीद कर देंगे'

सितम न ढाएंगे ऐसी उम्मीद भी मत रख,
तुम्हें वो अपने सितम का मुफ़ीद कर देंगे'

इस शैर के ऊला मिसरे में भी 'उम्मीद' शब्द की वजह से लय बाधित हो रही है,दूसरी बात ये कि इस शैर में शुतरगुर्बा दोष भी है, तीसरी  बात ये कि क़ाफ़िया 'मुफ़ीद' यहाँ काम नहीं कर रहा है,इस शैर को यूँ कर सकते हैं:-

'  सितम न ढाएंगे ऐसी उमीद भी मत रख

वगरना मश्क़-ए-सितम वो मज़ीद कर देंगे'

बाक़ी शुभ शुभ ।

'  

Comment by Balram Dhakar on October 28, 2018 at 12:11pm

जनाब राज़ साहब, हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!

सादर!

Comment by राज़ नवादवी on October 28, 2018 at 11:47am

आ० बलराम धाकड़ जी, आदाब. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें. सादर.  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
4 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service