चारो तरफ मची भगदड़ अब धीरे धीरे कम हो चली थी, बस घायल लोगों की चीखें ही चारो तरफ गूंज रही थीं. इस भयानक हादसे में सैकड़ों लोग मरे थे और उससे ज्यादा ही घायल थे. राहत में पहुंचे लोग मृत शरीरों को एक तरफ इकट्ठा कर रहे थे और घायलों को हस्पताल भेजने की तैयारी में भी जुटे थे.
पटरी के एक तरफ पड़े एक युवा के मृत शरीर को लोगों ने उठाकर एक तरफ कर दिया. कुछ ही देर बाद कुछ और लोग एक लड़की के मृत शरीर को भी वहीँ डाल गए. कुछ घंटे बीतते बीतते तमाम लाशें एक दूसरे से गड्डमड्ड पड़ीं थीं और लड़के का हाथ लड़की के हाथ में था.
ऊपर कहीं आसमान के किसी कोने में दोनों की आत्माएं बेहद सुकून महसूस कर रही थीं. लड़के की आत्मा ने मुस्कुराते हुए लड़की की आत्मा से कहा "ऊपरवाले ने तुम्हारी बात कितनी जल्दी सुन ली, कल ही तुम कह रही थी कि समाज अगर साथ जीने नहीं देता तो कम से कम साथ साथ मरने तो देगा. और देखो आज मरने के बाद तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में है".
लड़की की आत्मा भी मुस्कुरायी और उसने लड़के की आत्मा का हाथ अपने हाथ में ले लिया. नीचे लाशों के अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थीं, लड़के और लड़की के घर वाले हादसे के स्थल पर एक दूसरे से अलग बैठकर उनके मौत पर विलाप कर रहे थे.
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आदरणीय विनय कुमार जी आदाब,
अमृतसर के रेल हादसे को अपनी लघुकथा का कथानक बनाकर उस पर प्रेम के विजय की बेहतरीन और सोचने और झकझोरने वाली लघुकथा । प्रेम की हर काल में विजय हुई है चाहे हादसा हो या युद्ध । प्रेम हर जगह जीता है । अमृतसर का हादसा हमें यह भी सीख दे गया कि बुराई जश्न मनाना और उसकी निंदा करना कलयुग में कितना जानलेवा है । कलयुग में बुराई सशक्त है । हमें सावधान रहने की ज़रूरत है । हार्दिक बधाई इस सशक्त और ज्वलंत घटना को लघुकथा का कथानक बनाने पर ।
जनाब विनय कुमार जी आदाब,
बहुत अच्छी लघू कथा के लिए बधाई स्वीकार करें ,
आप सब की शानदार लघूकथाओं की चाशनी ने मुझे ग़ज़लों के साथ साथ लघू कथा कहने का चस्का लगा दिया है।
बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब
जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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