For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-४

ज़िन्दगी जो भी तेरे अहकाम रहे
..वो सब के सब मिरे मुक़ाम रहे |

अय्यार कम नहीं हर बशर-ए-मौजूदा
पर तेरी जिद के आगे सब नाकाम रहे |

हर रास्ता खत्म था इक दोराहे पर..
क्या कहें किस तलातुम बेआराम रहे |

रंग-ए-खूं की खबर हर सम्त थी फैली
हम फिर भी गफ़लत में सुबहोशाम रहे |

इक मौत ही है जो बेख़ौफ़ तुझसे
वरना जो लड़े गुजरे अय्याम रहे |

हर शख्स ख्वाहिशमंद है केवल इतना
कुछ न हो बस वो चर्चा-ए-आम रहे |

सतर ना छुप सकेगी फ़ाजिर अब तेरी
बस इक कलम और मिरा क़लाम रहे |


(अहकाम=आदेश; मिरे=मेरे; मुक़ाम=लक्ष्य,मंजिल; अय्यार=चालाक; बशर-ए-मौजूदा=आजकल का इंसान; तलातुम=बेचैनी; रंग-ए-खूं=व्यवहार,स्वभाव; सम्त=ओर,तरफ; गफ़लत=भूल,गलती; अय्याम=ज़माना,वक़्त; सतर छुपाना=नग्नता छुपाना; फ़ाजिर=व्यभिचारी,दुराचारी; क़लाम=रचना)

Views: 462

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विवेक मिश्र on July 11, 2010 at 12:46am
@ हाँ गणेश भाई. सही कहा आपने. धन्यवाद..
@ धन्यवाद राणा जी..

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on July 10, 2010 at 12:41am
बस इक कलम और मिरा क़लाम रहे..........क्या बात है विवेक भाई .बेहद उम्दा.वाह!!! वाह!!!!!!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 10, 2010 at 12:29am
वाह विवेक भाई वाह, ये ग़ज़ल काफी अच्छी बनी है, लग रहा है संपादक जी कुछ गुरु मंत्र आप को दे दिये है, हा हा हा हा , अच्छी रचना के लिये बधाई स्वीकार करे , धन्यवाद ,
Comment by विवेक मिश्र on July 9, 2010 at 6:09pm
@ गुरु जी और अमरेन्द्र जी- आपकी टिप्पणियों के लिए सहृदय धन्यवाद..
@ प्रभाकर सर- यूँ ही आपके सुझाव मिलते रहेंगे तो गलतियां सुधरती रहेंगी. बहुत-२ धन्यवाद..

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 9, 2010 at 4:21pm
विवेक भाई,
//क्या कहें किस तलातुम में बेआराम रहे |//
"तलातुम+में" ?????????
ज़रा ध्यान दीजिये इस पर - मैंने इशारा दे दिया है !
Comment by Rash Bihari Ravi on July 9, 2010 at 4:03pm
bahut badhia lajabab

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
3 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service