For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकान्त कविता : अजन्मी कविता

सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक से लौट
चाय की चुस्कियों के साथ बैठते ही
कविता के कुछ कीड़े 
कुलबुलाने लगे...
कितना कुछ करता है न 
एक अभियंता समाज के लिये 
सड़क, पुल, अस्पताल, विद्यालय
नाली, गली, मस्जिद, देवालय
टी वी, मोबाइल, जहाज, कंप्यूटर
बिजली, पानी, रेल व मोटर
और भी बहुत कुछ...
जिधर नज़र जाती है 
हर तरफ अभियंताओं का योगदान
कि, जोड़ते हैं दिलों को
बनाते हैं विश्वास का सेतु
एक कविता तो बनती है
अभियंताओं के लिए भी...
विचारों का द्वंद्व चल रहा था
मन मष्तिष्क के मध्य 
तभी सामने पड़े अखबार पर
नज़र ठहर गयी 
बहुमंजली इमारत से कूद
एक अभियंता ने कर ली थी 
आत्महत्या....
बताया गया था,
बहुत परेशान था वह
राजनीतिक एवं प्रशासनिक हस्तक्षेप से,
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया था...
वो धम्म की आवाज़ के साथ 
ऊपर से गिरा
और
कुछ ही पलों में छटपटा कर 
दम तोड़ दिया था। 
मानसिक शून्यता के मध्य
दम तोड़ दी
एक अजन्मी कविता
जैसे गर्भ में ही
कर दी गयी हो
भ्रूण हत्या..
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 839

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neelam Upadhyaya on April 16, 2018 at 10:59am

आदरणीय गणेश जी, नमस्कार । प्रशासन तंत्र पर कटाक्ष करती बहुत ही बढ़िया कविता । हार्दिक बधाई।

Comment by Satyanarayan Singh on April 15, 2018 at 3:17pm

प्रशासनिक व्यवस्था में राजनितिक हस्तक्षेप कैसे एवं किस हद तक हावी है इसकी बानगी आपकी कविता करा गई सादर बधाई आदरणीय 

Comment by Ajay Tiwari on April 14, 2018 at 6:13pm

आदरणीय गणेश जी,

व्यवस्था किस तरह से मध्यमवर्ग को भी उत्पीड़ित करती है इसे आपकी कविता संवेदनशील तरीके से पेश करती है.

हार्दिक बधाई. 

Comment by Samar kabeer on April 13, 2018 at 6:48pm

जनाब गणेश जी "बाग़ी" साहिब आदाब, लाजवाब कविता,वाक़ई इंजीनियर्स का भी हक़ तो है कि उनपर साहित्यकार क़लम उठाये,आप तो साहित्यकार भी हैं और इंजीनियर भी,क्या कविता लिख दी आपने इसकी तारीफ़ के लिए

शब्द नहीं मेरे पास,ढेरों मुबारकबाद आपको इस बहतरीन सृजन के लिए ।

'चश्मदीदों' बहुवचन में मुनासिब शब्द नहीं है,इसके स्थान पर 'देखने वालों' कर लें तो उचित होगा ।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 13, 2018 at 3:51pm

हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी। बहुत सुंदर कटाक्ष करती कविता।

Comment by Ram Ashery on April 13, 2018 at 3:35pm

it is representing a real life of an engineer congratulation 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service