For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सांस भर की ज़िंदगी ...

सांस भर की ज़िंदगी ...

वक़्त के साथ
हर शै अपना रूप
बदलती है
धूप ढलती है तो
छाया भी बदलती है

वक़्त के साथ
मोहब्बत की चांदी
केश वन में
चमकने लगी

उम्र की पगडंडियां
झुर्रियों में झलकने लगीं

वक़्त के साथ
यौवन का दम्भ
लाठी का मोहताज़ हो गया
दर्पण
आँख से नाराज़ हो गया
अनुराग
दर्द का राग हो गया
हदें
निगाहों से रूठ गयी
नफ़स
छटपटाई बहुत
आखिर
थककर टूट गयी
वक़्त
चलता रहा
बस
सांस भर की ज़िंदगी
दूर कहीं

छूट गयी


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2018 at 6:47pm

आदरणीय अजय तिवारी जी प्रस्तुति को अपना आत्मीय स्नेह देने का दिल से आभार एवं नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2018 at 6:47pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार एवं नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

Comment by Ajay Tiwari on January 1, 2018 at 11:45pm

आदरणीय सुशील जी, इस प्रभावशाली काव्य-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. 

नव वर्ष मंगलमय हो !

सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2018 at 8:42pm

आ. भाई सुशील जी, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Sushil Sarna on January 1, 2018 at 6:59pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी सादर प्रणाम ... सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। साथ ही आपको नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनयें।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 31, 2017 at 6:41pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।बेहतरीन प्रस्तुति।

Comment by Sushil Sarna on December 28, 2017 at 6:14pm

आदरणीय तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब , आदाब . प्रस्तुति की आत्मीय सराहना का दिल से आभारी।

Comment by Sushil Sarna on December 28, 2017 at 6:14pm

आदरनीय महेन्द्र कुमार जी सृजन आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on December 28, 2017 at 6:13pm

आदरणीय सुरेन्दर नाथ सिंह जी सृजन की मन मुदित करती प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 28, 2017 at 6:13pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब, आदाब . सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service