सूखी सी शाख
बैठा पंछी अकेला
पतझड़ में ।
नयी नवेली
लाजवंती वधू सी
सिमटी धूप ।
सूरज जब
अलसाया, चल पड़ा
क्षितिज पार ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
हाइकू बहुत सुन्दर है
बधाई स्वीकार करे आ नीलम उपाध्याय जी
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत बहुत आभार ।
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी, शुद्धिकारण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद । आइंदा ऐसी भूल न हो, प्रयास रहूँगी और आपके मार्गदर्शन की आकांक्षा रहेगी । हार्दिक आभार ।
आदरणीय समर कबीर जी, उत्साह वर्धन का आभार प्रकट करती हूँ
आदरणीय श्याम नारायण जी, उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।
आदरणीया नीलम उपाध्याय जी आदाब,
बहुत ही बेहतरीन हाइकु के माध्यम से सुंदर अभिव्यक्ति का प्रदर्शन । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । दूहरे हाइकु में 7 अक्षर के स्थान पर 8 हो रहे हैं । देख लें ।
मोहतरमा नीलम जी आदाब,बढ़िया हाइकू लिखे,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर |
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