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ठिठुरी अम्मा
धूप तो लाजवंती
दुपहरी में ।

कच्ची सी उम्र
नौकरी खँगालता
खाली है झोली

मान न मान
जिंदगी के दो रंग
जीना मरना


मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Neelam Upadhyaya on December 18, 2017 at 12:41pm

आदरणीय सुशील सरना जी,  उत्साहवर्धन के लिए बहुत धन्यवाद ।

Comment by Neelam Upadhyaya on December 18, 2017 at 12:41pm

आदरणीय विजय जी,  उत्साहवर्धन के लिए बहुत धन्यवाद ।

Comment by Neelam Upadhyaya on December 18, 2017 at 12:41pm

आदरणीय समर कबीर जी,  उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार ।

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2017 at 6:48pm
Waaaaaaaah bahut sundr srijan
Comment by vijay nikore on December 16, 2017 at 5:34pm

हाइकू अच्छे लगे। बधाई, आदरणीया नीलम जी।

Comment by Samar kabeer on December 16, 2017 at 5:05pm

मोहतरमा नीलम उपाध्याय जी आदाब,बढ़िया हाइकू, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on December 15, 2017 at 11:33am

आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी, उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार ।

Comment by Mohammed Arif on December 14, 2017 at 7:21pm

बहुत ही सुंदर और सामयिक हाइकु । हार्दिक बधाई आदरणीया नीलम उपाध्याय जी ।

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