For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भोला ने हाँफते-हाँफते घर में प्रवेश किया और माँ से बोला -" जल्दी से दे......जल्दी से दे....देर न कर...बाहर लूट मची है....लूट मची है... मुझे भी लूटकर लाना है.....।"
" मगर क्या दे दूँ..... किस चीज की लूट मची है....मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा बेटा....?"
" दो-चार खाली डिब्बे और कुछ प्लास्टिक की बोतलें दे दे ।'
" लेकिन क्यों ?"
" तू नहीं समझेगी माँ । कल रात अयोध्या में नई सरकार ने लाखों की संख्या में दीए जलाए थे । दीयों में बचा तेल हमारे जैसे कई गरीब के बच्चे लूट के ले जा रहे हैं । मैं भी लाऊँगा ताकि तू चार-पाँच दिन उससे सब्जी बना सके ।"
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 857

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 22, 2017 at 9:02pm
आदरणीय आरिफ जी कितनी पैनी सोच के साथ इतने कम शब्दों में आपने गरीबी की दारुण व्यथा को इतने कम शब्दों में व्यक्त कर दिया इस काबिले तारीफ़ रचना पर हार्दिक बधाई सादर
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 22, 2017 at 8:38pm

बढ़िया कथा आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब | हार्दिक बधाई |

Comment by Mohammed Arif on October 22, 2017 at 7:59pm
आपकी उत्साहजनक टिप्पणी से अभिभूत हो गया आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी । दिली आभार आपका ।
Comment by Mohammed Arif on October 22, 2017 at 7:58pm
आदरणीय वासुदेव जी आदाब,आपकी सकारात्मक और उत्साहजनक प्रतिक्रिया से संबल मिला । हार्दिक आभार ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 22, 2017 at 7:38pm
लघुकथा मानकों के बढ़िया परिपालन के साथ विसंगति को सुस्पष्ट उभारती कटाक्ष पूर्ण बेहतरीन लघुकथा के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब। आपके ऐसे सृजन से हमें कम शब्दों में सारगर्भित सृजन की प्रेरणा व सबक़ मिलते हैं।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 22, 2017 at 2:30pm
वाहहहह मोहम्मद आरिफ जी करारा व्यंग। बहुत खूब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service