For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपने ग़म को मैं........संतोष

अरकान-फ़ाइलातून मफ़ाइलुन फेलुन

अपने ग़म को मैं छुपा लेता हूँ
सबकी ख़ुशियों का मज़ा लेता हूँ

दिल में जब याद का उठे तूफ़ां
तेरी तस्वीर बना लेता हूँ

सामने जब वो मेरे आता है
अपने सर को मैं झुका लेता हूँ

जब भी होता है वो ख़फ़ा मुझसे
प्यार से उसको मना लेता हूँ

दिल में जब टीस मेरे उठती है
अश्क मैं छुप के बहा लेता हूँ
#संतोष
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 888

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on October 1, 2017 at 2:35pm
शुक्रिया आदरणीय बृजेश जी ...
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 29, 2017 at 5:03pm
वाह वाह आदरणीय संतोष जी बड़ी ही अच्छी ग़ज़ल कही है..सादर
Comment by santosh khirwadkar on September 28, 2017 at 9:33pm
आदरणीय अफरोज़ साहब , धन्यवाद!!
भविष्य में आप की अहम सलाह को ज़रूर याद रखूँगा!!
Comment by Afroz 'sahr' on September 28, 2017 at 6:23pm
आदरणीय संतोष जी अर्कान के हिसाब से आपका मतला बह्र में नज़र नहीं आता है ।मतला यूँ होना चाहिए। ,,अपने ग़म को छुपा मैं लेताहूँ।।।बाकी गुणीजनों के आने का इंतज़ार करें । सादर,,,,,
Comment by santosh khirwadkar on September 28, 2017 at 6:05pm
आदरणीय आरिफ़ साहब शुक्रिया...
Comment by Mohammed Arif on September 28, 2017 at 5:20pm
आदरणीय संतोष खिरवड़कर जी आदाब, बहुत अच्छी ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । विद्वानजनों की इस्लाह से ग़ज़ल में सुधार आ गया है।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 28, 2017 at 5:02pm

आ. संतोष जी,
बहर के नाम और अरकान के संयोजन के बारे में मेरी जानकारी शून्य है. मैं सिर्फ लय समझता हूँ. 
सादर  

Comment by santosh khirwadkar on September 28, 2017 at 3:32pm
निलेश जी निवेदन चाहूँगा ,क्या मेरे द्वारा लिखे गये ये अरकान सही हैं ??? या बदलाव की आवश्यकता है!!!
Comment by santosh khirwadkar on September 28, 2017 at 2:37pm
धन्यवाद निलेश जी , आप के बताये पंक्तियों को अवश्य ही ध्यान रखूँगा...
भविष्य में भी आप का मार्गदर्शन सदा अपेक्षित!!!
Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 28, 2017 at 12:20pm

अरे वाह संतोष दादा, 
हार्दिक बधाई कि आप ग़ज़ल में आ गये..
दो जगह बहर गयी है ... सुझाव नीचे दे रहा हूँ ..
.
दिल में जब याद का उठे तूफ़ां...दिल में तूफ़ान उठे याद  का जब 
.
जब भी होता है वो ख़फ़ा मुझसे..जब भी होता है  ख़फ़ा वो मुझसे
.
ग़ज़ल की दुनिया में आपके प्रथम प्रयास पर अभिनन्दन 
.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
3 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, समयाभाव के चलते निदान न कर सकने का खेद है, लेकिन आदरणीय अमित जी ने बेहतर…"
3 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. ऋचा जी, ग़ज़ल पर आपकी हौसला-अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
3 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. लक्ष्मण जी, आपका तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
3 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमीरुद्दीन अमर जी, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
3 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी, आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद आपको।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service