For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जय हे काली,करालि,कालिके
वसुधा का प्रांगण स्वच्छ करो
दुर्व्यसनी दुष्ट पिशाचों का
संहार करो,संहार करो

विषयी,कामातुर,कुलहंता
करते कलियों का शीलभंग
ऐसे पापी व्यभिचारियों का
तुम अंत त्वरित अविलम्ब करो

नहीं जिन्हें शील कुल की लज्जा
बढ़ रहे रक्तबीजों से जो
उन निर्लज्जों के शोणित का
खप्पर भर भरकर पान करो

पर धन हर्ता महिषासुरों का
जब दर्प भंग कर आओगी
कलियुग के शुंभ निशुंभों का
जब मान रौंदकर आओगी

तब रक्तरंजित असि को तेरी
प्रसून जल से धुलवाएँगे
श्रम तेरा हर लेने को हम
गंगाजल स्नान कराएँगे

फिर धूप दीप घृत चंदन से
तेरी आरती उतारेंगे
नैवेद्य लगा,विश्राम करा
तेरे श्री चरण दबाएँगे

संपूर्ण जगत की अंशभूत
हे आदिभूत चंडिका जया
श्रद्धानत देव,महर्षि,विज्ञजन
तेरा यश गुण गाएँगे

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 540

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Usha Awasthi on September 20, 2017 at 7:25pm
धन्यवाद सुरेंद्र नाथ जी।
Comment by Usha Awasthi on September 20, 2017 at 7:24pm
धन्यवाद समर जी।
Comment by Usha Awasthi on September 20, 2017 at 7:23pm
धन्यवाद मोहित जी।
Comment by नाथ सोनांचली on September 20, 2017 at 1:32pm
आद0 उषा जी सादर अभिवादन,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on September 20, 2017 at 12:13pm
मोहतरमा उषा जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Usha Awasthi on September 19, 2017 at 11:28am
धन्यवाद सलीम रज़ा जी।
Comment by SALIM RAZA REWA on September 19, 2017 at 10:57am
आ. उषा जी,
ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
21 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service